- पहले सेम्यूलेटर पर होता था टेस्ट, अब ड्राइविंग ट्रैक पर चलाना पड़ रहा व्हीकल

- ड्राइविंग ट्रैक को फॉलो नहीं कर पा रहे एप्लीकेंट्स, रेड लाइट, सीट बेल्ट को कर रहे इग्नोर

- कार पार्किग में छूट रहे पसीने, सबसे ज्यादा इसीलिये हो रहे फेल

देहरादून।

दशकों से वाहन चलाने वाले डीएल रिन्यूअल में ड्राइविंग टेस्ट के दौरान फेल हो रहे हैं। ओरिजनल ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट के दौरान काफी संख्या में लोग पास नहीं हो पा रहे। ये चौंकाने वाली बात है, जाहिर है ऐसे लोग सेफ्टी के प्वॉइंट से ड्राइविंग में एक्सपर्ट नहीं हैं, वे बस वाहन चला लेते हैं जो खतरनाक भी हो सकता है। पहले तक सेम्यूलेटर पर ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता था, ऐसे में वे लोग आसानी से पास हो जाते थे जो वीडियो गेम्स के एक्सपर्ट थे। इसे देखते हुए ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने वाहनों का ओरिजनल ट्रैक पर ड्राइविंग टेस्ट लेने का निर्णय लिया। अब टूव्हीलर और फोर व्हीलर दोनों के टेस्ट झाझरा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग रिसर्च सेंटर में लिया जा रहा है। जहां छोटी-छोटी चीजों की बारीक पड़ताल हो रही है, ऐसे में सिर्फ एक्सपर्ट ही पास हो रहे हैं।

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ड्राइविंग टेस्ट का रिजल्ट

- 31,441 ने दिया ड्राइविंग टेस्ट

- 28,564 हुए टेस्ट में पास

- 1846 ने दोबारा टेस्ट देकर बनवाया डीएल

- 2877 हुए फेल

(आंकडे़ एक जनवरी से 18 दिसंबर तक)

इन आंकड़ों में भी अधिकांश वे लोग हैं जिन्होंने ड्राइविंग टेस्ट सेम्यूलेटर पर दिया। जुलाई से फोर व्हीलर का ड्राइविंग टेस्ट सेम्यूलेटर पर बंद कर झाझरा स्थित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर लिया जाना लगा। वहीं नवंबर के महीने से टू-व्हीलर के लिए भी सेम्यूलेटर पर टेस्ट की फैसिलिटी बंद कर दी गई। इसके बाद ड्राइविंग टेस्ट में फेल होने वाले की संख्या बढ़ने लगी।

वीडियो गेम्स एक्सपर्ट हो जाते थे पास

पहले तक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए सेम्यूलेटर पर टेस्ट लिया जा रहा था। इसका फायदा उन लोगों को मिल रहा था जो पहले से वीडियो गेम्स कार रेस, बाइक रेस आदि में एक्सपर्ट थे। वे ड्राइविंग टेस्ट में आसानी से पास हो जाते थे और उन्हें डीएल इश्यू करा दिया जाता था। लेकिन, अब ओरिजनल ट्रैक पर ऐसे एक्सपर्ट पास नहीं हो पा रहे।

गाड़ी चलाना सीखा, पार्क करना नहीं सीखा

अधिकांश मामलों में देखा गया कि डीएल एप्लाई करने वाला कार तो चला लेता है। ट्रैक भी पार कर लेता है लेकिन पार्किग में फेल हो जाता है। परमानेंट डीएल के लिए कार पार्क करने में एक्सपर्ट होना जरूरी है। कई एप्लीकेंट्स इसीलिए ड्राइविंग टेस्ट में फेल हो गए क्योंकि उन्होंने कार चलानी तो सीखी लेकिन पार्किग के एक्सपर्ट नहीं हो पाए।

छोटी-छोटी चीजों की बारीक पड़ताल

झाझरा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग रिसर्च (आईडीटीआर) में ड्राइविंग टेस्ट के दौरान छोटी-छोटी चीजों की बारीकी से पड़ताल हो की जा रही, कार चालक ने सीट बेल्ट बांधी या नहीं, टू-व्हीलर चलाने वाला व्यक्ति ब्रेक की जगह पैरों का इस्तेमाल कर रहा है या नहीं, रेड लाइट को टेस्ट के दौरान नोटिस किया जा रहा है या नहीं। इन सब बातों का टेस्ट के दौरान ध्यान रखा जा रहा है। ऐसे में छोटी सी चूक डीएल बनाने की राह में रोड़ा बन सकती है।

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काम नहीं आया वर्षो का एक्सपीरियंस

केस वन

8 की शेप ने चकरा दिया

ओल्ड सर्वे रोड निवासी 50 वर्षीय शीला शर्मा 20 सालों से ड्राइविंग कर रही हैं। 13 दिसम्बर को वे डीएल रिन्युअल के लिए ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के झाझरा स्थित ड्राइविंग टेस्ट सेंटर ड्राइविंग टेस्ट देने पहुंची। ट्रैक पर जब उनका टेस्ट शुरू हुआ तो 8 की शेप को देख चकरा गईं और उसे फॉलो नहीं कर पाईं। उन्हें टेस्ट में फेल कर दिया गया और डीएल रिन्यू नहीं हो पाया। शीला ने कहा कि वे इतने सालों से ड्राइव कर रही हैं, ऐसे में टेस्ट में फेल करना उन्हें समझ नहीं आ रहा।

केस टू

कार पार्क नहीं कर पाईं

30 साल से गाड़ी चला रहीं रमा गोयल भी फोर व्हीलर का ड्राइविंग टेस्ट पास नहीं कर पाईं। 29 नवंबर को वे जब फोर-व्हीलर का डीएल दूसरी बार रिन्यू करने के लिए ड्राइविंग टेस्ट सेंटर गईं, तो पूरा ट्रैक पार करने के बाद उन्हें पता चला कि वे फेल हो गई हैं। पूछा तो पता चला कि उनकी पहली गलती थी सीट बेल्ट न बंाधना वहीं ट्रैक पार करने के बाद वे अपनी कार पैरलल पार्किग में पार्क ही नहीं कर पाईं। इसलिए उन्हें फेल किया गया।

केस थ्री

काश गाड़ी पार्क करने की प्रैक्टिस होती

33 वर्षीय मनीषा जब पहली बार ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए जाखन से झाझरा तक कार चलाकर ले गईं तो उन्हें यकीन था कि वह ड्राइविंग टेस्ट पास कर लेगी। लेकिन फेल हो गईं। इससे पहले भी जब उन्होंने लर्निग लाइसेंस बनवाने के लिए सिम्यूलेटर पर टेस्ट दिया तो कंप्यूटर की जानकारी न होने के कारण फेल हो गई थीं। दूसरी बार टेस्ट देने पर लर्निग लाइसेंस बना। इसके बाद पक्का लाइसेंस बनाने के लिए गईं तो कार तो चला ली, लेकिन पार्क नहीं कर पाईं।

यहां अटक रही गाड़ी

- पैरलल पार्किंग न कर पाना

- गाड़ी चलाते समय सीट बेल्ट न लगाना

- वाहन टर्न करते वक्त इंडिकेटर न देना

- रेड लाइट का ध्यान न रखना

- ड्राइविंग के दौरान ट्रैक फॉलो न कर पाना

- टू-व्हीलर रोकते समय पैरों का प्रयोग

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पहले सेम्यूलेटर पर ड्राइविंग टेस्ट होता था, जिसमें कंप्यूटर गेम्स के एक्सपर्ट थोड़े से प्रयास से ही पास हो जाते थे। अब रियल ट्रैक पर ड्राइविंग के दौरान एक-एक चीज को बारीकी से जांच की जा रही है। ताकि, एक्सप‌र्ट्स को ही डीएल इश्यू हो। ऐसे में पासिंग परसेंटेज गिरा है।

- दिनेश चंद्र पठोई, आरटीओ

Posted By: Inextlive