राजधानी दून के लिए खुशखबरी के बात है। यहां पर राज्य का पहला सुपर एनर्जी कंजर्वेशन बिल्डिंग कोड ईसीबीसी बिल्डिंग बनाई जाएगी। इस बिल्डिंग की 50 प्रतिशत से अधिक बिजली खपत सोलर पर निर्भर होगी।

- ऊर्जा पार्क में 8.50 करोड़ में बनकर तैयार होगी राज्य की पहली ईसीबीसी बिल्डिंग
- ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ग्रीन एनर्जी बनेगा सबसे बड़ा विकल्प

देहरादून (ब्यूरो): इसके लिए केंद्र सरकार ने 8.50 करोड़ रुपये मंजूर कर दिए हैं। बिल्डिंग पटेलनगर स्थित ऊर्जा पार्क में बनकर तैयारी होगी। यह बिल्डिंग लोगों को सोलर एनर्जी की ओर आकर्षित करेगी। बताया गया कि बिल्डिंग निर्माण का काम इसके लिए एक्सपर्ट एजेंसी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग को सौंपा है। जल्द ही निर्माण एजेंसी के टेंडर जारी कर बिल्डिंग का निर्माण शुरू करेगी।

1100 मेवा सोलर एनर्जी का टारगेट
उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (उरेडा) ने अगले पांच साल में करीब 1100 मेगावाट सोलर एनर्जी का टारगेट रखा है। वर्तमान में दून समेत पूरे राज्य में करीब 375 मेगावाट के लगभग सोलर एनर्जी पैदा हो रही है। सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए नई सोलर पॉलिसी में कई बदलाव किए गए हैं। उरेडा के अधिकारियों ने बताया कि नई सोलर पावर पॉलसी में कई प्रतिबंधों को हटाकर नीति को आमजन के अनुरूप बनाया गया है। सोलर पावर स्कीम के लिए आकर्षित सब्सिडी के साथ कई नियमों को शिथिल किया गया है। निजी निवेश को बढ़ावा दिए जाने का प्रावधान जोड़ा गया है।

200 किलोवाट के प्लांट लगा सकेंगे
अब तक छोटेे पावर स्कीम पर सब्सिडी नहीं थी, लेकिन नई सोलर पॉलिसी में 200 किलोवाट तक के प्लांट लगा सकेंगे। सोलर सेक्टर में बिजली उत्पादन का बड़ा लक्ष्य रखा गया है। सोलर एनर्जी को भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। छोटे-छोटे पावर प्रोजेक्ट लगाकर स्वरोजगार के अवसर पैदा होंगे। साथ ही बिजली की डिमांड को पूरा किया जा सकेगा। अभी तक 25 मेगावाट तक के ही सोलर लगाए जा सकते थे, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 200 किलोवाट तक कर दिया गया है।

हाइड्रो प्रोजेक्ट्स पर है कई बंदिशें
राज्य में पानी से बिजली बनाने की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन पिछले लंबे समय से दर्जनों हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट वन एवं पर्यावरणीय क्लीयरेंस समेत तमाम कारणों से रुके पड़े हैं। हाईकोर्ट में भी कई बिजली परियोजनाएं लंबित है। ऐसे में सरकार सोलर एनर्जी को विकल्प के रूप में देख रही है। उत्तराखंड में क्षमता के अनुरूप बिजली उत्पादन न के बराबर हो रहा है। ऐसे में सरकार सौर ऊर्जा के जरिए जहां पावर प्रोडक्शन बढ़ाने में जोर-शोर से जुट गई है वहीं इससे स्वरोजगार का मुख्य जरिया भी बनाया जा रहा है। सोलर प्रोजेक्ट को आम आदमी की पहुंच तक लाने के लिए सरकार ऊर्जा नीति का दायरा बढ़ा गया है।

पावर पर्चेज अनिवार्य
सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए नई सोलर पॉलिसी में ऊर्जा निगम को सोलर एनर्जी अनिवार्य रूप से खरीदना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा पावर प्लांट के लिए जमीन खरीदने और लीज पर लेने के लिए स्टांप ड्यूटी में 50 फीसदी छूट मिल सकती है। इसके साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी हरित ऊर्जा का विस्तार दिया जा रहा है। नई सोलर पॉलिसी के तहत घरेलू सेक्टर, सरकारी कार्यालय भवनों और उद्योगों के माध्यम से दो-दो सौ मेगावाट सोलर एनर्जी उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है।

सरकार ने सोलर एनर्जी को घर-घर पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। सोलर एनर्जी के अधिकतम संभावनाओं के साथ स्वरोजगार से भी जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है। छोटे प्लांट लगाने पर आकर्षक सब्सिडी की योजना शुरू की गई है। अब 200 किलोवाट तक के प्लांट लगा सकेंगे।
राजीव गुप्ता, सीपीओ, उत्तराखंड अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण
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Posted By: Inextlive