दून भी गजब का शहर है। यहां न तो किसी को प्रशासन का डर है और न पुलिस का ही खौफ। शहर में कुछ भी करो कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। प्रशासन के नाक के नीचे अतिक्रमण सामने दिख रहा है लेकिन कार्रवाई शून्य है।

- डेढ़ माह से चल रहा अतिक्रमण हटाओ अभियान, अब तक नहीं पड़ी नजर
- घंटाघर से बल्लूपुर तक कई जगह फुटपाथ गायब, जहां पर हैं वह यूज में नहीं

देहरादून (ब्यूरो) : शहर में नदी-नालों के किनारे तो अतिक्रमण आम बात हो है, लेकिन अब शहर में फुटपाथों पर भी बस्तियां बसने लगी हैं। चकराता रोड का फुटपाथ इसकी एक बानगी है। जहां, फुटपाथ पर बस्ती ही बसा दी गई है। ये बस्ती रातों रात नहीं बसी, बल्कि लंबे अर्से कई परिवार फुटपाथ पर कब्जा करके रह रहे हैं। न तो कभी पुलिस-प्रशासन का ध्यान इधर गया है, न नगर निगम ही सुध लेने को तैयार है।

आईएमए ब्लड बैंक के पास कब्जा
चकराता रोड पर आईएमए ब्लड बैंक के पास रोड पर खुले आम बस्ती बस गई और किसी को कानों-कान खबर तक नहीं है। करीब 20-22 परिवार कई वर्षों से फुटपाथ पर छप्पर बनाकर जीवन-यापन कर रहे हैं। ये परिवार राजस्थान के बताए जा रहे हैं। इनकी गाय भी फुटपाथ के ऊपर ही पल रही है।

किसने कराया फुटपाथ पर कब्जा
फुटपाथ पर रह रहे राजस्थानी परिवारों का कहना है कि उन्होंने फुटपाथ पर अतिक्रमण नहीं कर रखा है वह मजबूरीवश खुले आसमान के नीचे रह रहे हैं। डीएम समेत नगर निगम को कई बार अन्यत्र बसाने की मांग की गई, लेकिन कोई नहीं सुन रहा है। आज ही हमें दूसरी जगह आशियाना मिल जाएगा, तो हम खुशी-खुशी चले जाएंगे। सिस्टम को न तो इन गरीबों का दर्द नजर आ रहा है और न ही शहर की उस पब्लिक की जान की परवाह है जो रोजाना जोखिम मोल लेकर फुटपाथ की जगह सड़क पर दौड़ते ट्रैफिक के बीच रोड पर चलने को मजबूर हैं।

कहीं नजर नहीं आते फुटपाथ
शहर का दिल कहे जाने वाले घंटाघर से लेकर चकराता रोड पर बल्लूपुर तक कहीं पर भी फुटपाथ नजर नहीं आ रहे हैं। घंटाघर से चकराता रोड पर शुरू होते ही फुटपाथ ही नहीं दिखाई दे रहे हैं। जबकि यह स्मार्ट रोड के रूप में डेवलप की जा रही है। इस स्मार्ट रोड पर फुटपाथ दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहे। फुटपाथ के ऊपर या तो दुकानों के शटर डाल दिए गए हैं, या फिर दुकानों को फुटपाथ तक सज जाती है। बाकी बचे फुटपाथ पर दुकान पार्किंग के रूप में इस्तेमाल करते रहे हैं। नटराज सिनेमा हाल के पास तो फटपाथ पर रेस्टोरेंट बना दिया गया है।

पुलिस और नगर निगम पर सवाल
चौक-चौराहों पर पुलिस की नाक के नीचे अतिक्रमण होना आम बात हो गई है। पुलिस खड़ी है, लेकिन पुलिस वालों को अतिक्रमण नहीं दिखता। खासकर चौराहों पर पुलिस इससे मुकर नहीं सकती। चकराता रोड की बात करें तो घंटाघर शुरू होते ही फुटपाथ चलने को नजर नहीं आते। कर्नाट प्लेस एरिया में फुटपाथ की जगह फास्ट फूड ओर चाऊमीन की दुकानें सजी रहती है। किशन नगर चौक, बल्लूपुर चौक और प्रेमनगर तक तो फुटपाथ नाम मात्र के हैं। जहां पर फुटपाथ नहीं हंै, वहां तो फुटपाथ बनाए जाने चाहिए, लेकिन जहां फुटपाथ कब्जों की वजह से चलने के लिए नहीं हैं वहां पर कब्जे हटाए जाएं, ताकि पब्लिक की राह आसान हो ट्रैफिक भी निर्बाध गति से चलता रहे।

अब तक अतिक्रमण की कार्रवाई पर एक नजर
59.08 करोड़ के चालान काटकर संयुक्त टीम ने की कार्रवाई
1230 जगहों पर हटाया गया अतिक्रमण
4962 चालान किए संयुक्त टीम ने
2069 चालान किए नगर निगम ने
1691 चालान किए आरटीओ ने
1290 चालान किए पुलिस टीम ने

वेडनेसडे की कार्रवाई पर एक नजर
52300 जुमाना वसूला संयुक्त टीम ने 25000 जुर्माना वसूल नगर निगम ने किए 43 चालान
21000 जुर्माना वसूल आरटीओ ने किए 24 चालान
13500 जुर्माना वसूल पुलिस ने किए 27 चालान

सड़क-फुटपाथ पर कहीं भी कब्जा है, वह अतिक्रमण की श्रेणी में है। उसे हर हाल में हटाया जाएगा। बड़े कब्जे वाले जगहों को चिन्हित किया गया है। इन्हें चरणबद्ध तरीके से हटाया जा रहा है। शहर में जहां कहीं भी सड़क-फुटपाथ पर कब्जे हैं उन्हें हटाकर ट्रैफिक सिस्टम दुरुस्त किया जाएगा।
सोनिका, डीएम, देहरादून

Posted By: Inextlive