कोरोनाकाल में जरूरतमंदों को ठगी का शिकार बना रहे फ्रॉड

हॉस्पिटल में बेड दिलाने के नाम पर पीडि़त से ठगे 20 हजार रुपए

बेड, दवाइयां और इंजेक्शन के नाम पर साइबर ठगों की इंटरनेट पर चल रही दुकानें

देहरादून,

कोरोनाकाल में जरुरतमंदों की लाचारी का फायदा उठाने को साइबर फ्रॉड भी सक्रिय हैं। इंटरनेट, सोशल मीडिया जहां एक तरफ लोगों की मदद का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर सामने आये हैं, वहीं इसका दूसरा पहलू लोगों को ठगी का शिकार बना रहा है। इंटरनेट पर कई ऐसे साइबर फ्रॉड एक्टिव हैं जो कि लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। बेड से लेकर दवा और इंजेक्शन दिलाने वाले फ्रॉड की दुकानें इंटरनेट पर खूब चल रही हैं। दून में एक पीडि़त से ठग ने हॉस्पिटल में बेड दिलाने के नाम पर 20 हजार रुपये हड़प लिए।

केस 1

झारखंड के बैंक में ट्रांसफर करा लिए रुपये

चमन विहार थाना बसंत विहार निवासी एक व्यक्ति के परिजन का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्हें किसी हॉस्पिटल में बेड की आवश्यकता पड़ी। इस पर पीडि़त व्यक्ति द्वारा दून के कई हॉस्पिटल के नंबर पर संपर्क किया गया। लेकिन हॉस्पिटल से रिस्पांस नहीं मिला। इसके बाद उन्हें एक अज्ञात नंबर से कॉल आया, जिसने पीडि़त को बेड बुक कराने का झांसा दिया। लेकिन इसके एवज में पीडि़त से एडवांस में 20 हजार रुपये एक बैंक अकाउंट में जमा करवाया दिया। जब पीडि़त अपने परिजन के साथ हॉस्पिटल पहुंचा तो सारा मामला फर्जी निकला। इसके बाद पीडि़त ने साइबर थाने में कंप्लेन कराई। पुलिस टीम ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि पीडि़त द्वारा ट्रांसफर की गई रकम झारखंड के यूनियन बैंक में पहुंची है। प्राथमिक जांच के आधार पर पुलिस ने बैंक को अकाउंट सीज करने को कार्रवाई कर दी है।

केस 2-

व्हाटसएप पर मंगाई दवा, 51 हजार का लगा चूना

सरस्वती विहार निवासी एक व्यक्ति ने बताया कि एक अज्ञात व्यक्ति ने उसे फोन और व्हाट्सएप के माध्यम से संपर्क किया। अज्ञात व्यक्ति ने खुद को दवाइयों का होलसेलर बताया। पीडि़त ने आरोपी से कुछ दवाइयां मांगी। आरोपी ने इसके लिए गुगल-पे नंबर देकर कुल खर्चा 51 हजार रुपये बताया। पीडि़त ने पैसे गुगल-पे कर दिए। इसके बाद जब कई दिनों तक दवाई नहीं आई तो पीडि़त ने आरोपी के नंबर पर कॉल की, लेकिन वह नंबर स्विच ऑफ आया।

केस 3-

एक व्यक्ति से हॉस्पिटल ने इंजेक्शन की डिमांड की। व्यक्ति ने इंटरनेट पर सर्च कर एक नंबर पर इंजेक्शन की डिमांड बताई। अज्ञात व्यक्ति ने इंजेक्शन को भेजने से पहले 1 लाख 20 हजार रुपये का पेमेंट करने को कहा। पीडि़त ने इमरजेंसी में पेमेंट कर दिया, लेकिन बाद में ट्राई किया तो नंबर से कोई संपर्क नहीं हो पाया। पीडि़त ने साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन से कंप्लेन की है।

क्या करें--

-प्रशासन द्वारा बेड, और इंजेक्शन संबंधी सभी जानकारी रोज ऑफिशियल वेबसाइट पर प्रोवाइड कराई जा रही है। यहीं से जानकारी लें।

-कोई भी समस्या होने पर सीएमओ कार्यालय से सीधा संपर्क कर सकते हैं।

-इंटरनेट पर किसी भी हॉस्पिटल का नंबर सर्च न करें।

-ऑनलाइन डिलीवरी सुविधा लेने पर एडवांस पेमेंट न करें।

-दवाइयों के लिए लोकल या प्रतिष्ठित मेडिकल स्टोर से संपर्क करें।

कोरोनाकाल में लोगों को दवाइयां, बेड और इंजेक्शन की जरूरत पड़ रही है तो इसके लिए इधर-उधर संपर्क कर रहे हैं। अगर कोई ऑनलाइन सुविधा का इस्तेमाल कर रहे हैं तो एडवांस पेमेंट से बचें। इनमें अधिकतर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं।

अजय सिंह, एसएसपी, एसटीएफ

Posted By: Inextlive