दून को स्वच्छ सर्वेक्षण में पहले से बेहतर रैंक मिलने को खूब प्रचारित किया गया. इस खुशी में कुछ दिन पहले नगर निगम को सैकड़ों पुरस्कार भी बांटे लेकिन वास्तव में सिटी की हालत क्या है इसे देखना हो तो किसी मलिन बस्ती या सिटी के दूर-दराज के रिहायशी इलाके में जाने की जरूरत नहीं है. सिटी के बीचोबीच कलेक्ट्रेट परिसर में जाकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि वास्तव में शहर कितना साफ है. कलेक्ट्रेट परिसर में चारों तरफ फैले कचरे से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सिटी की क्या हालत है.

देहरादून (ब्यूरो)। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने संडे को छुट्टी के दिन कलेक्ट्रेट परिसर का रियलिटी चेक किया। यहां चारों ओर गंदगी फैली हुई है। कहीं सिंगल यूज चाय पीने के ग्लास हैं तो कहीं खाने-पीने के बाद फेंके गये खाली पैकेट, डस्टबिन आमतौर में कलेक्ट्रेट परिसर में नजर नहीं आये। कहीं कोई डस्टबिन दिखा भी तो वह खाली मिला और चारों ओर कचरा फैला नजर आया। यानी यहां आने वाले आम लोग और दफ्तरों में काम करने वाले कर्मचारी कचरा डस्टबिन में फेंकने की जहमत नहीं उठाते।

शराब की खाली बोतलें
कलेक्ट्रेट परिसर में कई जगह शराब की खाली बातलें और बोतलों के डिब्बे नजर आये। एसडीएम सदर के ऑफिस के ठीक बाहर शराब की महंगी ब्रांड की बोतल का पैकेट नजर आया तो तहसीलदार के ऑफिस के ठीक सामने खाली हाफ नजर आई। कुछ अन्य जगहों पर भी शराब की खाली बोतलें पड़ी थी। इससे साफ है कि शाम ढलने के बाद कर्मचारी कलेक्ट्रेट परिसर में शराब की बोतलें खोल देते हैं।

70 परसेंट प्लास्टिक कचरा
दून को प्लास्टिक फ्री करने का नारा कलेक्ट्रेट परिसर में ही दम तोड़ देता है। कोविड से पहले दून में बाकायदा प्लास्टिक के खिलाफ अभियान चलाया गया था। बाद में प्लास्टिक मुक्त शहर के लिए शासन स्तर पर पॉलिसी भी बनाई गई, लेकिन पूरे शहर के साथ ही कलेक्ट्रेट परिसर में भी प्लास्टिक कचरा भरपूर नजर आ रहा था। कलेक्ट्रूेट परिसर में प्लास्टिक के गिलास, प्लास्टिक पन्नियां और खाने पीने के प्लास्टिक पैकेट जगह-जगह बिखरे नजर आ रहे हैं।

Posted By: Inextlive