Dehradun: केदारनाथ में तबाही के पीछे गांधी सरोवर व चोराबाड़ी ग्लेशियर ही कारण रहे हैं. 315 एमएम तक हुई मूसलाधार बारिश के कारण चोराबाड़ी ग्लेशियर पिघल जाने की वजह से गांधी सरोवर का वोल्यूम बढ़ा और सरोवर की गाद टूटकर भरभरा गई. फिर क्या था चंद मिनटों में केदारघाटी में तबाही का मंजर देखने को मिला. रामबाड़ा गौरीकुंड तक महा जलप्रलय के पीछे केदारनाथ में मौजूद सरस्वती नदी दूध गंगा मधु गंगा में जल प्रवाह की तीव्रता भी दूसरे कारण रहे.


जून फस्र्ट वीक में लौटी टीमकेदारपुरी में महा जलप्रलय को लेकर वैज्ञानिक अपने खोज पर जुट गए हैं। लेकिन देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के डायरेक्टर प्रो। एके गुप्ता कहते हैं कि ग्लोबल वॉर्मिंग तेज बारिश के कारण करीब दो सौ गज लंबे व सौ गज चौड़े गांधी सरोवर पानी के वोल्यूम को संभाल नहीं पाया। जिसके कारण सरोवर टूट गया और यह प्रलय देखने को मिला। दरअसल, वाडिया इंस्टीट्यूट के साइंटिस्ट्स की टीम अक्सर रिसर्च के लिए चोराबाड़ी, बाराबाड़ी जैसे ग्लेशियर पहुंचती है। इन इलाकों में मई में जाने और जून में वापसी का होता है। लेकिन इस बार जून पहले वीक में वाडिया के साइंटिस्ट्स की टीम वापस लौट चुकी थी। केदारनाथ में संकरा भी कारण
वाडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर का कहना है कि केदारनाथ में तबाही की दूसरी वजह यहां संकरा होना भी रहा। जिसके कारण यहां गांधी सरोवर का पानी सब कुछ साथ में बहाकर ले गया। गांधी सरोवर जब टूटा, तो चंद मिनटों में तेज बहाव के कारण ये घटना हुई। इसके पीछे क्लाइमेट चेंज होना और ग्लोबल वॉर्मिंग का इफेक्ट्स भी शामिल हैं। इसके अलावा गांधी सरोवर के चारों तरफ मिट्टी, पत्थरों से नेचुरल बना दीवार पानी के वोल्यूम को सहन नहीं कर पाया। वाडिया के डायरेक्टर कहते हैं कि अब ऐसे स्थानों पर वैज्ञानिक नजरिए से सेफ रहने की जरूरत है। क्राउड वाले इलाकों में पानी को रोकने की कोशिश न की जाए। प्रो। गुप्ता कहते हैं इसके बावजूद घबराने की जरूरत नहीं। केदारनाथ मंदिर पूरी तरीके से सेफ है।

Posted By: Inextlive