- दून में 60 के आसपास बोर्डिग स्कूल, अधिकतर बोर्डिग नहीं हुए ओपन

- बोर्डिग से जाने के बाद अधिकतर स्टूडेंट्स ने छोड़े स्कूल, पैरेंट्स नहीं दे रहे परमिशन

देहरादून,

एजुकेशन हब के नाम से फेमस देहरादून में कोरोना की मार से बोर्डिग स्कूल में स्टूडेंट्स की संख्या 50 परसेंट से भी कम हो गई है। हालात ये हैं कि पैरेंट्स अब बच्चों को बोर्डिग में भेजने से भी डर रहे हैं। जिससे स्कूल मैनेजमेंट पर भी बुरा असर पड़ रहा है।

बोर्डिग में पढ़े कई चर्चित चेहरे

दून की पहचान एजुकेशन हब के नाम से जानी जाती है। जिसमें बोर्डिग स्कूल को वरीयता दी जाती है। द दून स्कूल से लेकर वेल्हम स्कूल में देश ही नहीं विदेशों से भी कई चर्चित चेहरे, हाईप्रोफाइल फैमिली के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं। इसके अलावा इकोल ग्लोबल इंटरनेशनल ग‌र्ल्स स्कूल, कसिगा स्कूल, दून इंटरनेशनल स्कूल, एशियन स्कूल, पेसलवीड स्कूल आदि कई नामचीन स्कूल हैं। दून में 60 के आसपास बोर्डिग स्कूल हैं, जहां 12 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं। लेकिन अब कोरोनाकाल में बोर्डिग स्कूल में स्टूडेंट्स की संख्या 50 परसेंट से भी कम रह गई है। प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि कोरोना संक्रमण के शुरू होते ही पैरेंट्स अपने बच्चों को वापस घर ले गए। लेकिन स्टेट गवर्नमेंट की परमिशन के बाद भी अब बच्चों को स्कूल में नहीं भेजा जा रहा है। जिस वजह से बोर्डिग स्कूल भी बंदी के कगार पर हैं। उन्होंने बताया कि कई प्राइवेट स्कूल तो बोर्ड स्टूडेंट्स के लिए खुल चुके हैं। लेकिन 10 परसेंट बोर्डिग स्कूल भी नहीं खुल पाए हैं, जो बोर्डिग स्कूल खुले हैं वहां 20 परसेंट भी स्टूडेंट्स नहीं पहुंच रहे हैं।

30 परसेंट आए, एक चौथाई ने नहीं दी पूरी फीस

प्रेम कश्यप ने बताया कि उनका पेसलवीड स्कूल बोर्डिग स्कूल हैं जिसमें 300 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड है, इनमें 30 परसेंट स्टूडेंट्स ही आए हैं। प्रेम कश्यप का कहना है कि जो स्टूडेंट्स कोरोना संक्रमण के बाद से घर चले गए, उनमें से कई स्टूडेंट्स ने फीस जमा नहीं करवाई। जो स्टूडेंट्स बोर्डिग में आए हैं, उनमें से एक चौथाई स्टूडेंट्स ने आधी फीस भी नहीं भरी है। ऐसे में 50 परसेंट से ज्यादा स्टूडेंट्स बोर्डिग को छोड़ चुके हैं। हालांकि कुछ पैरेंट्स घर से ही ऑनलाइन क्लासेज दिलाने के पक्ष में हैं। साथ ही दिल्ली और दूसरे राज्यों से कैंपस में भेजने को तैयार नहीं है। पीपीएसए के सीनियर वाइस प्रेजीडेंट डीएस मान ने बताया कि उन्होंने पैरेंट्स के कंसर्न के बाद अब तक बोर्डिग स्कूल नहीं खोला है। उनका डे स्कूल दून इंटरनेशनल 9 दिनों के लिए खुला लेकिन पैरेंट्स के स्टूडेंट्स को परमिशन न देने के बाद क्लासेज ऑनलाइन कर दी गई। जबकि बोर्डिग स्कूल रिवरसाइड में 300 स्टूडेंट्स में से एक स्टूडेंट्स भी बोर्डिग में नहीं आए। जिस वजह से स्कूल नहीं खोला गया है। डीएस मान ने कहा कि अधिकतर स्टूडेंट्स अब बोर्डिग स्कूल में ही नहीं पढ़ना चाहते हैं।

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बोर्डिग स्कूलों में 50 परसेंट से भी कम स्टूडेंट्स हो गए हैं। जो बोर्डिग स्कूल खुले हैं, वहां भी कम स्टूडेंट्स पहुंच रहे हैं। कोरोना संक्रमण के बाद बोर्डिग से जाने के बाद अधिकतर स्टूडेंट्स बोर्डिग में नहीं पढ़ना चाहते हैं।

प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए

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दून में बोर्डिग स्कूल-

60 बोर्डिग स्कूल

200 स्टूडेंट्स एवरेज

12 हजार स्टूडेंट्स

6 लाख पर एनम फीस एवरेज है एक स्टूडेंट की

एक चौथाई स्टूडेंट्स की फीस आधी जमा हुई है

Posted By: Inextlive