DEHRADUN: इसे आपदा पीडि़तों और उनके परिजनों का दुर्भाग्य कहा जाए या प्रशासनिक अमले का सुस्त रवैया लेकिन हकीकत यह है कि सरकार द्वारा जारी किए हेल्पलाइन नंबर्स हेल्पलेस साबित हो रहे हैं.


इस वक्त पूरा देश के लोगों की नजर उत्तराखंड की पहाडिय़ों में फंसे अपने परिजनों की तलाश में लगी है। कहीं से भी एक छोटी सी सूचना उनके लिए संजीविनी का काम रही है। मोबाइल क्रांति के इस दौर में पूरा देश उत्तराखंड सरकार की मशीनरी का मोबाइल नंबर जानने को बेताब है। वहीं सरकारी तंत्र ने आनन फानन में कुछ ऐसे नंबर जारी कर दिए हैं जो किसी काम के नहीं हैं।आपदा राहत अभियानसैटरडे को राज्य सरकार ने अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित करवाकर आपदा राहत अभियान के बारे में बताया। इसमें बताया गया कि कैसे राज्य सरकार राहत अभियान को अंजाम दे रही है। इसी क्रम में कई लैंड लाइन नंबर और मोबाइल नंबर भी जारी किए गए। इसमें देहरादून सहित हरिद्वार के भी अधिकारियों के मोबाइल नंबर शामिल हैं। आई-नेक्स्ट ने की पड़ताल
आई-नेक्स्ट ने जब इन हेल्पलाइन नंबर्स की हकीकत जानने का प्रयास किया तो कई चौंकाने वाली हकीकत सामने आई। एक मोबाइल नंबर तो ऐसा मिला जो नौ डिजीट का ही था। इसे अगर मानवीय भूल मान भी लिया जाए तो दूसरे नंबर्स का क्या जो लगातार बंद मिल रहे हैं, या गलत बताए जा रहे हैं। आई-नेक्स्ट ने सुबह दस बजे से लेकर शाम सात बजे तक इन नंबर्स को लगातार चेक किया, लेकिन रिजल्ट एक समान ही रहा।मेला नियंत्रण भवन कंट्रोल रूमआपदा राहत अभियान के तरह हरिद्वार स्थित मेला नियंत्रण भवन स्थिति कंट्रोल रूम को भी लगाया गया है। यहां के लैंड लाइन नंबर्स और मोबाइल नंबर्स भी जारी किए गए हैं। आई-नेक्स्ट की रियलिटी चेक में सिर्फ हरिद्वार का मोबाइल नंबर 9837352202 ही एक ऐसा मोबाइल नंबर निकला जिस पर बड़े ही शालीन तरीके से आपदा पीडि़तों के संबंध में प्रॉपर जानकारी दी गई। जबकि विज्ञापन में प्रकाशित अन्य मोबाइल नंबर्स पर कोई रिस्पांस नहीं मिला। फिलहाल इस संबंध में कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है।

Posted By: Inextlive