स्वच्छ शहर दून में जगह-जगह कचरे के ढेर दूनाइट्स के साथ यहां आने वाले टूरिस्ट और शहर से होकर गुजरने वालों को भी परेशान कर रहे हैं। खास बात यह है कि स्वच्छ सर्वेक्षण के दौरान जब केन्द्र सरकार की टीम आती है तो इन कचरे के ढेरों को ग्रीन नेट से कवर कर दिया जाता है। पिछले सालों से लगातार दून में यही होता रहा है।

देहरादून (ब्यूरो)। दून सिटी के बीचोंबीच हरिद्वार बाई पास पर एक डंपिंग ग्राउंड बनाया गया है। बिंदाल नदी के किनारे बनाये गये इस डंपिंग ग्राउंड को कभी-कभी खाली कर दिया जाता है, लेकिन फिर से यहां कचरा भर जाता है। बिंदाल नदी का कचरा और डंपिंग ग्राउंड भी जमा कचरे से यहां बदबू फैली रहती है। खास बात यह है कि यह जगह आईएसबीटी से कुछ ही दूरी पर है। दूसरे शहरों से आने वाले ज्यादातर टूरिस्ट और अन्य लोग आईएसबीटी से इसी सड़क से होकर होटल या अन्य जगह जाते हैं। सिटी में आते ही सबसे पहले यही कचरे का ढेर और बिंदाल से उठने वाली बदबू लोगों का स्वागत करती है। इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

शीशमबाड़ा प्लांट भी ओवरलोडेड
डंपिंग ग्राउंड से उठाकर शहरभर का कचरा शीशमबाड़ा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में ठूंस दिया जाता है। नाम तो इस प्लांट का सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट है, लेकिन पिछले कई वर्षों से यहां कचरे के मैनेजमेंट के नाम पर सिर्फ कचरे के पहाड़ खड़े किये गये हैं। हालांकि दावे समय-समय पर कई तरह के किये गये। कभी कचरे से बिजली बनाने की बात हुई तो कभी बायोफ्यूल बनाने की। कभी दूसरे राज्यों को शीशमबाड़ा का कचरा बेचने की बात हुई, लेकिन वास्तव में इनमें से कोई भी योजना अब तक जमीन पर नहीं उतर पाई है। शीशमबाड़ा के आसपास रहने वाले लोग अब भी असहनीय बदबू के बीच रहने का विवश हैं।

सड़कों के किनारे जमा कचरा
दून सीटी में कई जगहों पर कचरे के ढेर नजर आते हैं। हालांकि इन जगहों पर डस्टबिन रखे गये हैं, लेकिन डस्टबिन कई दिनों तक साफ नहीं किये जाते और कचरा आसपास बिखरा रहता है। नगर निगम ने कुछ वार्डों में कचरा उठाने का ठेका एक प्राइवेट कंपनी को दिया है, लेकिन कई वार्डों में अब भी प्राइवेट लोग ही कचरा कलेक्ट कर रहे हैं। नगर निगम के अधिकारियों को इस बात की भी जानकारी नहीं कि कौन लोग किस क्षेत्र में निजी तौर पर कचरा कलेक्ट कर रहे हैं।

क्या कहते हैं दूनाइट्स
हरिद्वार बाईपास वाला डंपिंग ग्राउंड देहरादून के लिए नासूर है। कभी साफ होता है फिर कचरे से भर जाता है। इस रोड से गुजरने वालों के अलावा सबसे ज्यादा परेशानी बंजारावाला क्षेत्र में रहने वालों को होती है। घरों तक बदबू आती है।
सुशील सैनी

स्वच्छ दून सुन्दर दून सिर्फ नारों में अच्छा लगता है। जमीन पर कुछ नजर नहीं आता। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं। डस्टबिन साफ नहीं होते। स्मार्ट सिटी ने और कबाड़ा कर दिया। गंदगी और सड़कें खोदने से जमा मिट्टी बारिश होने नरक बन जाता है।
शैलेन्द्र परमार

सफाई की सिर्फ देहरादून में बात होती है, सफाई नहीं होती। कई वार्डों में आज भी कचरा नहीं उठाया जाता। कभी-कभी सफाई कर्मचारी झाडू लगाते हैं और जगह-जगह कचरा इकट्ठा करके आग लगा देते हैं। इससे पॉल्यूशन बढ़ रहा है।
मोहम्मद आरिफ

स्वच्छ सर्वेक्षण में जब शहर को अच्छी रैंक मिलती है तो अच्छा लगता है, लेकिन पता नहीं चलता कि ये रैंक मिली क्यों है, क्योंकि गंदगी के ढेर तो जहां के तहां पड़े ही रहते हैं। ऐसे में रैंकिंग में सुधार से कोई फायदा नहीं। सिर्फ जुगाड़बाजी प्रतीत होती है।
विनोद कथूरिया

शहर को लगातार स्वच्छ बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। स्वच्छता की चाबी किसी एक व्यक्ति विशेष के पास नहीं है। हर मोहल्ले, हर वार्ड और पूरे शहर के पास है। सभी को इसमें सहयोग करना चाहिए। तभी देहरादून स्वच्छ हो पाएगा।
सुनील उनियाल गामा, मेयर

Posted By: Inextlive