- आईएमए में पासिंग आउट परेड का हुआ आयोजन

- 84 विदेशी कैडेट भी हुए पासआउट

देहरादून:

भारत माता तेरी कसम तेरे रक्षक बनेंगे हम, आईएमए गीत पर कदमताल करते पासिंग आउट परेड में अंतिम पग भरते ही 341 जेंटलमैन कैडेट्स इंडियन आर्मी का हिस्सा बने। युवा अफसरों का जोश इस दौरान देखने लायक था। इसके साथ ही 84 विदेशी कैडेट भी पासआउट हुए। वेस्टर्न कमांड के जीओसी-इन-सी ले। जनरल आरपी सिंह ने परेड की सलामी ली।

मौसम ने डाला खलल

खराब मौसम के कारण परेड दो घंटा देरी से शुरू हुई। सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर मार्कर्स कॉल के साथ परेड का आगाज हुआ। कंपनी सार्जेंट मेजर जयदीप सिंह, शिवजीत सिंह संधु, पीडी शेरपा, राहुल थापा, सक्षम गोस्वामी व जीतेंद्र सिंह शेखावत ने ड्रिल स्क्वायर पर अपनी-अपनी जगह ली। 8 बजे एडवांस कॉल के साथ ही छाती ताने देश के भावी कर्णधार असीम हिम्मत और हौसले के साथ कदम बढ़ाते परेड के लिए पहुंचे। इसके बाद परेड कमांडर दीपक सिंह ने ड्रिल स्क्वायर पर जगह ली। कैडेट्स के शानदार मार्चपास्ट से दर्शक दीर्घा में बैठा हर एक शख्स मंत्रमुग्ध हो गया। आईएमए कमांडेंट ले जनरल हरिंदर सिंह, डिप्टी कमांडेंट मेजर जनरल जगजीत सिंह मंगत समेत कई सैन्य अधिकारी मौजूद थे।

मुकेश को स्वार्ड ऑफ ऑनर

सीकर राजस्थान के मुकेश कुमार को स्वार्ड आफ आनर व रजत पदक प्रदान किया गया। जबकि उत्तराखंड के अल्मोड़ा जनपद से दीपक सिंह को स्वर्ण व मोगा पंजाब के लवनीत सिंह को कांस्य पदक मिला। अल्मोड़ा के दक्ष कुमार पंत ने सिल्वर मेडल (टीजी) हासिल किया। भूटान के किन्ले नोरबू सर्वश्रेष्ठ विदेशी कैडेट चुने गए। चीफ आफ आर्मी स्टाफ बैनर डोगराई कंपनी को मिला।

बदल गया युद्ध का चरित्र

पीओपी के चीफ गेस्ट ले। जनरल सिंह ने कहा कि आज के दौर में युद्ध का चरित्र और प्रकृति बदल गई है। कई नई चुनौतियां सामने हैं और एक योद्धा के रूप में अधिक जागरूक और दक्ष होना होगा। उन्होंने उत्कृष्ट परेड के लिए प्रशिक्षकों और जेंटलमैन कैडेटों की सराहना की। कहा कि परेड में अकादमी के उच्च मानकों व अनुशासन व का प्रतिबिंब साफ दिखता है। उन्होंने कहा कि यह विदेशी कैडेटों के लिए भी एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो हमेशा के लिए उनकी स्मृति में अंकित रहेगा। विदेशी कैडेटों ने यहां रहकर जो रिश्ते बनाए हैं, वह आगे भी दो देशों को एक साथ बांधें रखेंगे।

कोरोना का दिखा असर

कोरोना संकट के चलते पासिंग आउट परेड में तमाम स्तर पर एहतियात बरती गई। न केवल दर्शक दीर्घा बल्कि परेड के दौरान भी शारीरिक दूरी के नियमों का पूरा पालन किया गया। हरेक माìचग दस्ते में अमूमन दस कैडेट एक लाइन में होते हैं। पर इनकी संख्या आठ रखी गई। ताकि कैडेटों के बीच रहने वाली 0.5 मीटर की दूरी के बजाए दो मीटर की दूरी बनी रहे। कैडेटों के स्वजन को आने की अनुमति भी नहीं दी गई थी। इसके अलावा जेंटलमैन कैडेटों के साथ ही सभी सैन्य अधिकारी भी मास्क पहने रहे।

Posted By: Inextlive