देहरादून में आइएसबीटी से अजबपुर रेलवे क्रासिंग तक सड़क चौड़ीकरण के कार्य के लिए कंपनी के चयन में गंभीर लापरवाही व वित्तीय अनियमितता पकड़ी गई है। परियोजना निर्माण लागत के लिए चयनित कंपनी मैसर्स राकेश कुमार एंड कंपनी की बैंक गारंटी फर्जी मिली। बैंक गारंटी का सत्यापन करने से पहले ही परियोजना कार्य का अनुबंध करने पर सरकार ने अधीक्षण अभियंता रणजीत सिंह व अधिशासी अभियंता ओम पाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रारंभ की है।

देहरादून (ब्यूरो)। राष्ट्रीय राजमार्ग-सात के चौड़ीकरण का काम लंबे समय तक लटका रहा है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सख्त रुख अपनाने के बाद परियोजना के लंबित कार्य को पूरा करने को कदम उठे, लेकिन लोक निर्माण विभाग के अभियंताओं की लापरवाही भारी पड़ गई है। सड़क चौड़ीकरण की परियोजना के लिए 42.55 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। निर्माण कार्य के लिए लोक निर्माण विभाग के 10वें राष्ट्रीय राजमार्ग वृत्त ने इसी 26 मार्च को निविदाएं आमंत्रित की थीं। 11 मई को निविदाएं खोली गईं।

लोक निर्माण विभाग प्रमुख सचिव आरके सुधांशु ने बताया कि पहली न्यूनतम निविदादाता मैसर्स राकेश कुमार एंड कंपनी, सत्यम एन्क्लेव, दिल्ली की निविदा 25.90 करोड़ आगणित लागत से 23.66 प्रतिशत कम दरों पर प्राप्त हुई। इस फर्म को लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता ने तीन जुलाई को स्वीकृति पत्र जारी किया। इस क्रम में फर्म ने सात अगस्त को यूनियन बैंक आफ इंडिया, दारुखाना शाखा मुंबई से निर्गत 77.70 लाख की बैंक गारंटी अधिशासी अभियंता डोईवाला को प्रस्तुत की गई।

बैंक गारंटी फर्जी पाई गई

बैंक गारंटी की पुष्टि किए बगैर अधीक्षण अभियंता ने इसी साल नौ अगस्त को अनुबंध कर संबंधित फर्म को पंजीकृत कर कार्य शुरू करने और समाप्ति की तिथि की जानकारी दी। सत्यापन के दौरान बैंक गारंटी फर्जी पाई गई। बैंक गारंटी का सत्यापन करने से पहले ही कार्य का अनुबंध करने को शासन ने गंभीर लापरवाही और वित्तीय अनियमितता माना है। इसके बाद दोनों अभियंताओं को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के आदेश जारी किए गए।

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Posted By: Inextlive