दून में करोड़ों रुपये की बेशकीमती जमीनों को खुर्द-बुर्द करने का काम तेजी से चल रहा है. नाले-खालों के आस-पास की जमीनों पर प्रॉपर्टी डीलरों की गिद्धदृष्टि है. डीएम सोनिका के निर्देश के बाद हरकत में आए नगर निगम और राजस्व विभाग की के अफसरों ने जिले के कई हिस्सों से सरकारी भूमि से कब्जे हटाए लेकिन अभी भी सरकारी भूमि पूरी तरह कब्जामुक्त से मुक्त नहीं हुई है.

- खलंगा राष्ट्रीय स्मारक और धरना स्थल के पास जमीन खुर्द-बुर्द करने की तैयारी
- नगर निगम पर उठे सवाल, न ली कब्जों की सुध, न ही की बाउंड्रीवॉल

देहरादून (ब्यूरो): सहस्रधारा रोड पर खलंगा युद्ध स्मारक और धरना स्थल इसका ताजा उदाहरण है। इससे लगी कई बीघा करोड़ों की बेशकीमती सरकारी जमीन कब्जों से भरने लगी है। यहां तक कि कई लोग पक्के मकान तक बना कर बस रहे हैं, लेकिन इस ओर नगर निगम के अफसर आंखें मूंद हुए हैं। एमडीडीए की भी नजर इस पर नहीं है। आलम यही रहा कुछ समय में ये जमीन पूरी तरह खुर्द-बुर्द कर बिक जाएगी, तब सरकार के पास लकीर पीटने के सिवाय कुछ नहीं बचेगा।

70 करोड़ से ऊपर की है जमीन
जानकारों की मानें तो राष्ट्रीय स्मारक खलंगा की बाउंड्री और धरना स्थल की बाउंड्री से लगी जमीन को कब्जाया जा रहा है। ये जमीन तकरीबन 20 से 25 बीघा होगी। इस जगह पर 25 से 30 हजार रुपये बीघा जमीन है। एक बीघा की कीमत करीबन 3 करोड़ होगी। ऐसे में 25 बीघा की कीमत कम से कम 75 करोड़ होने का अनुमान है। पूर्व में भी इस जगह पर कब्जा किया गया था, तब कुछ लोगों को हटाया गया। अब फिर दोबारा कब्जे होने लगे हैं।

शोध संस्थान की दो बीघा जमीन किसने कब्जाई
धरना स्थल से लगी चंदोला शोध संस्थान को सरकार ने 3 बीघा जमीन अलाट की गई थी, लेकिन संस्थान को एक ही बीघा जमीन मिली। दो बीघा जमीन कहां है, किसी को नहीं पता। कई बार शिकायत करने के बाद भी पूरी जमीन नहीं मिली। इसके आस-पास पक्के घर बन गए। कई बाउंड्रीवॉल की गई है। सरकारी भूमि पर बाउंड्रीवॉल अफसरों की शह के नामुकिन है।

रोड और पुलिया डालकर कब्जा
खलंगा स्माकर की बाउंड्री से लगे नाले को पार करने के लिए किसी ने व्यक्तिगत पुलिया डालकर सरकारी जमीन हथियाने की फिराक में है। एकता विहार के नीचे पानी के ट्यूबवेल के पास भी रोड बनाकर एक व्यक्ति सरकारी जमीन पर मकान बना रहा है। सवाल यह है कि सरकारी जमीन पर कैसे कोई मकान बना सकता है। क्या यह नगर निगम और एमडीडीए की नजर में नहीं होगा। ऐसा नहीं हो सकता है।

नगर निगम पर कार्यप्रणाली पर उठे सवाल
जब खलंगा स्मारक और इससे लगी जमीन सरकार की है, तो नगर निगम ने अब तक बाउंड्रीवॉल क्यों नहीं है। यदि ये जमीन व्यक्ति है, तो वे लोग सामने क्यों नहीं आ रहे हैं। खलंगा स्मारक पर लगे शिलापट़््ट में लिखा गया है इसके 200 मीटर की परिधि में निर्माण प्रतिबंधित है, तो किसकी शह पर और किसके आदेश पर स्मारक की बाउंड्री पर निर्माण हो रहा है, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।

क्षेत्र में सरकारी भूमि पर कब्जे होने की शिकायत नगर निगम से की गई थी। कुछ जगहों से कब्जे हटाए गए थे। कहां-कहां पर दोबारा कब्जे हुए इसकी जानकारी ली जा रही है।
नीतू, पार्षद, आमवाला तरला

नगर निगम की जमीन चिन्हित करके बाउंड्रीवॉल की जा रही है। खलंगा स्मारक के आस-पास की जमीन कब्जाने की जानकारी नहीं है। यदि निगम की जमीन पर कब्जा किया जा रहा है, तो तत्काल जमीन को कब्जामुक्त कर कार्रवाई की जाएगी।
मनुज गोयल, मुख्य नगर आयुक्त, नगर निगम, देहरादून

ये मामला मेरी जानकारी में नहीं है। यदि सरकारी जमीन कब्जाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। इस संबंध में नगर निगम को निर्देशित किया जाएगा। जहां भी सरकारी जमीनों पर कब्जे हैं, उन्हें हटाकर वहां पर प्रोटेक्शन वॉल करवाई जाएगी।
सोनिका, डीएम, देहरादून
dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive