- कोविड-19 के नाम पर बंद हैं सिटी के रेन बसेरे

- हर सड़क पर मिल जाता है कोई न कोई होमलैस

- हर रात रैन बसेरे में आकर निराश लौटते हैं ऐसे लोग

DEHRADUN: दून में टेंप्रेचर लगातार गिर रहा है। संडे को रात के टेंप्रेचर ने पिछले कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ा तो मंडे का दिन टेंप्रेचर में भी 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई। ऐसे मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी उन होमलैस लोगों को हो रही है, जो आमतौर पर सड़कों को किनारे रात बिताते हैं। पिछले सालों तक ऐसे लोग ठंड बढ़ने पर रैन बसेरों में रात गुजारने पहुंच जाते थे, लेकिन इस बार कोविड-19 के कारण रैन बसेरे नहीं खोले गये हैं।

मेन सिटी के दो रैन बसेरे बंद

दून में बेघर लोगों के लिए चार रैन बसेरे चल रहे हैं। इनमें तीन रैन बसेरे नगर निगम और एक जिला प्रशासन की ओर से चलाया जा रहा है। ठंड के दिनों में जिला प्रशासन द्वारा क्लॉक टावर के पास खुडबुड़ा में चलाये जा रहे रैन बसेरे और नगर निगम के पटेलनगर स्थित रैन बसेरे में सबसे ज्यादा लोग रात बिताने आते हैं। इन बार इन दोनों में बेघरों की एंट्री बंद है। घंटाघर के पास खुड़बुड़ा मोहल्ले को कोविड-19 के नाम पर बंद किया गया है, जबकि पटेलनगर का रैन बसेरा पीएसी को दिया गया है। रायपुर और ट्रांसपोर्टनगर के रैन बसेरे खुले हैं, लेकिन वहां जाने वालों की संख्या काफी कम होती है।

सड़कों पर रह रहे कई लोग

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने सड़कों पर रहने वालों लोगों का रियलिटी चेक किया तो पटेलनगर से लेकर क्लॉक टावर और आसपास के इलाकों में दो दर्जन से ज्यादा ऐसे लोग मिले जो सड़कों के किनारे रह रहे हैं। पटेलनगर रैन बसेरा खुलने की आस में चार लोग सड़क पर मिले। इसके अलावा रेलवे स्टेशन के सामने भी कई लोग सड़क के किनारे रातें काट रहे हैं। प्रिंस चौक पर एक परिवार के चार लोग रह रहे हैं। क्लॉक टावर के पास पटेल पार्क के बाहर और खुड़बुड़ा रैन बसेरे की तरफ जाने वाली सड़क पर चार लोग मिले। सबसे ज्यादा बेघर दून हॉस्पिटल के बाहर मिले। दिन में हालांकि यहां भीख मांगने के लिए दो दर्जन से ज्यादा लोग आते हैं। लेकिन 5 लोग ऐसे हैं जो रातें भी यहीं सड़क पर बिताते हैं।

निराश लौटते हैं लोग

खुड़बुड़ा मोहल्ले के रैन बसेरे में एक सौ लोगों के रहने की व्यवस्था है। आमतौर पर गर्मी के दिनों में यहां हर रात 15-20 लोग पहुंचते थे, जबकि सर्दियों में रैन बसेरे में सौ से ज्यादा लोग पहुंचते थे। आसपास के लोगों ने बताया कि शाम होते ही कई लोग रात को ठंड से बचने की उम्मीद में यहां पहुंचते हैं, लेकिन रैन बसेरा बंद होने के कारण उन्हें निराश लौटना पड़ता है। आमतौर पर ऐसे लोगों के पास ठंड से बचने के लिए एक कंबल होती है, वे उसी कंबल के सहारे सड़क किनारे किसी जगह पर लेट जाते हैं।

तारीख पर तारीख

रैन बसेरे के गेट पर कागज पर लिखी एक सूचना चस्पा की गई है। इस सूचना पर तीन बार पुरानी तारीखों को काटकर नई तारीख लिखी। पहले इस पर 16 से 31 मार्च तक बंद रहने संबंधी सूचना लिखी गई थी। उसे काटकर 14 जुलाई किया गया। इसके बार 31 अक्टूबर तक किया गया और अब अक्टूबर काटकर 30 नवंबर कर दिया गया है।

दो रैन बसेरे खुले

मेन सिटी में खुड़बुड़ा रैन बसेरा बेशक कोविड-19 के नाम पर बंद रखा गया हो, लेकिन मेन सिटी के बाहर ट्रांसपोर्ट नगर और चूना भट्ठा के रैन बसेरे खुले हैं। इन दोनों रैन बसेरों में हालांकि रात को आने वाले लोगों की संख्या काफी कम होती है। ट्रांसपोर्ट नगर रैन बसेरे में हर रात 15 से 20 लोग आ रहे हैं। यही स्थिति चूना भट्ठा रैन बसेरे की भी है।

Posted By: Inextlive