- 2 नवंबर से स्कूलों को खोलने को लेकर निजी स्कूल नहीं है तैयार

- एजुकेशन डिपार्टमेंट से एसओपी में बदलाव की कर रहे मांग

- 50 परसेंट पैरेंट्स के बच्चों को स्कूल भेजने के बाद लेंगे फैसला

देहरादून,

स्टेट गवर्नमेंट के 2 नवंबर से स्कूल खोलने के लिए जारी एसओपी पर निजी स्कूलों ने एक बार फिर अड़ंगा डाल दिया है। निजी स्कूलों ने 50 परसेंट से कम पैरेंट्स की बच्चों को स्कूल भेजने की परमिशन को भी आधार बताते हुए स्कूलों को न खोलने की बात कही है। निजी स्कूलों के तर्क के बाद 2 नवंबर से दून में स्कूल खोलने को लेकर संशय बन गया है।

डिपार्टमेंट के नहीं काट सकते चक्कर

लंबी जद्दोजहद और एजुकेशन डिपार्टमेंट के होमवर्क के बाद बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए 2 नवंबर से स्कूल खोलने का रास्ता तो साफ हो गया, लेकिन निजी स्कूल अपनी शर्त पर ही स्कूल खोलने की बात कर रहे हैं। स्कूलों का कहना है कि गवर्नमेंट द्वारा जारी एसओपी में रोज स्कूल के इंस्पेक्शन की बात की गई है, जो कि संभव नहीं है। इतना ही नहीं किसी भी तरह की अप्रिय घटना होने पर प्रिंसिपल को जिम्मेदार ठहराया गया है जो गलत है। स्कूलों का तर्क है कि जब सरकारी ऑफिस में कोरोना के केस आए तो क्या सरकारी अधिकारियों पर केस रजिस्टर किया गया है। ऐसे में प्रिंसिपल को दोषी कैसे माना जा सकता है। स्कूलों ने फिलहाल 2 नवंबर से स्कूल न खोलने का निर्णय लिया है। हर बात के लिए एजुकेशन डिपार्टमेंट के चक्कर काटने और रिपोर्ट जमा करने की शर्त को भी निजी स्कूल मानने से इनकार कर रहे हैं।

पीपीएसए बोला एसओपी स्कूलों के खिलाफ

दून में निजी स्कूलों के संगठन पीपीएसए ने मीटिंग कर सरकार की एसओपी को स्कूलों के खिलाफ बताया है। पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप का कहना है कि बच्चे पूरे दिन में अधिकतर समय घर पर बिताएंगे, रहकर स्कूल आएंगे तो उनकी किसी भी प्रकार की बिमारी की जिम्मेदारी स्कूल नहीं ले सकते हैं। प्रेम कश्यप ने कहा कि कोरोना के निगरानी के लिए बनाए गए नोडल अफसर एक दिन तो इंस्पेक्शन के लिए आ सकते हैं लेकिन रोजाना इंस्पेक्शन निजी स्कूलों को परेशान करने के लिए होगा।

दिवाली के बाद ही खुलेंगे स्कूल

दून में निजी स्कूल दिवाली के बाद ही स्कूल खोलने का मन बना चुके हैं। अधिकतर स्कूलों ने अपने पैरेंट्स और स्टाफ से बच्चों को स्कूल आने के लिए राय मांगी तो अधिकतर लोगों ने दिवाली के बाद ही स्कूल खोलने का सुझाव दिया है। हालांकि अधिकतर स्कूलों में 10 परसेंट से कम पैरेंट्स ही बच्चों को स्कूल भेजने के पक्ष में है।

पीपीएसए की मांग-

हरियाणा सरकार की एसओपी को लागू किया जाए।

कोई भी घटना होने पर प्रिंसिपल की जिम्मेदारी तय की गई है। यह सही नहीं है।

24 घंटे में अधिक टाइम स्टूडेंट घर पर रहेगा तो प्रिंसिपल रिस्पांसबिल कैसे हो सकता है

बच्चों की रिपोर्ट को सीईओ को जमा करने का प्रावधान हटाया जाए

स्कूल प्रबंधन एफिडेबिड क्यों जमा कराए

किसी भी तरह की अप्रिय घटना होने पर एपिडेमिक एक्ट लगाना सही नहीं है

50 परसेंट पैरेंट्स परमिशन दे तो स्कूल खोलने पर विचार किया जाएगा।

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जो बच्चे स्कूल आएंगे, वे अधिकतर टाइम घर में बिताएंगे, ऐसे में हर जिम्मेदारी स्कूल पर डालना सही नहीं है। साथ ही एक दिन स्कूल में कोरोना को लेकर इंस्पेक्शन हो सकता है, रोजाना इंस्पेक्शन स्कूलों को परेशान करने के लिए होगा। पैरेंट्स भी जब तक 50 परसेंट तक बच्चों को स्कूल भेजने की परमिशन नहीं देते और सरकार एसओपी में बदलाव न कर दे, तब तक स्कूल खोलने पर विचार संभव नहीं हो सकता है।

प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए

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हमनें सभी स्टेट की एसओपी का अध्ययन किया है। उत्तराखंड को छोड़कर किसी भी स्टेट की एसओपी में प्रिंसिपल को जिम्मेदार नहीं ठहराया है, किसी को भी कोरोना होने पर स्कूल कैसे जिम्मेदार हो सकता है। अधिकारियों को स्कूल में कोई भी कमी नजर आए तो ठीक करवाया जा सकता है। लेकिन स्कूल पर केस करना कार्रवाई करना कहां तक ठीक है। 2 नवंबर से स्कूल खोलना संभव नहीं है।

डीएस मान, दून इंटरनेशनल स्कूल

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फिर भी तैयार हैं स्कूल

2 नवंबर से स्कूल खोलने को लेकर भले ही निजी स्कूल तैयार नहीं है। लेकिन कभी भी स्कूलों को खोलने की जरुरत पड़ने पर प्रबंधन पूरी तैयारी करने का दावा कर रहे हैं। निजी स्कूलों में सेनेटाइजेशन से लेकर सिटिंग प्लान तैयार हो चुका है। दून में अधिकतर स्कूलों में पिछले दिनों एग्जाम कराए गए, जिसके दौरान ही निजी स्कूलों ने प्रोपर सेनेटाजेशन, थर्मल स्क्रीनिंग और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ सिटिंग प्लान तैयार किया हुआ है।

Posted By: Inextlive