पेरेंट्स के झगड़े मानसिक तौर पर बच्चों के भविष्य पर डाल रहे असर दून शहर में ऐसे मामलों की तादात बढ़ती जा हरी है और इससे जुड़े मामले लगातार फैमिली कोर्ट में पहुंच रहे हैं.

देहरादून (ब्यूरो):शादी के 12 साल बाद पति-पत्नी के बीच पहले झगड़ा हुआ, उसके बाद तलाक। बेटा मां के पास रहा। इस बीच तलाक हो चुके व्यक्ति ने दूसरी शादी कर ली। जबकि, महिला ने भी दूसरे शख्स से शादी कर अपने बेेटे को मसूरी के बोर्डिंग स्कूल में भेज दिया। इस बीच तलाकशुदा महिला का दूसरा पति उसके बेटे के स्कूल के फीस का खर्चा नहीं उठा पाया तो महिला ने पहले पति से स्कूल की फीस का खर्चा उठाने के लिए फैमिली कोर्ट में केस दर्ज कर दिया। लेकिन, वहीं दूसरी ओर बेटा फीस न मिलने के कारण परेशान है।

दून निवासी एक दंपत्ति के बीच खर्चे को लेकर अक्सर झगड़ा हुआ करता था। महिला के आरोप हैं कि पति बच्चे की फीस तक नहीं देता था। मामला पहले महिला हेल्पलाइन पहुंचा। उसके बाद फैमिली कोर्ट। कोर्ट ने बच्चे की फीस की जिम्मेदारी पापा पर सौंपी। इस दौरान दंपत्ति का सैपरेशन हो गया। पति ने दूसरी शादी कर ली। फीस को लेकर फिर केस कोर्ट पहुंचा। इस दौरान दोनों का बेटा मेंटल प्रेशर में आने लगा। स्कूल से भी पेरेंट्स को कंप्लेन आने लगी।

हर साल 10 परसेंट बढ़े मामले
ये एग्जांपल समझने के लिए काफी हैं। दून शहर में ऐसे मामलों की तादात बढ़ती जा हरी है और इससे जुड़े मामले लगातार फैमिली कोर्ट में पहुंच रहे हैं। एक्सपट्र्स बताते हैं कि हर साल ऐसे मामलों में करीब 10 परसेंट इजाफा हो रहा है और फेमिली कोर्ट में पहुंच रहे हैं। फैमिली कोर्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो इनमें 25 परसेंट मामले ऐसे होते हैं, जिनके साथ बच्चे भी शामिल हैं। नतीजतन, इसका असर सीधे तौर पर बच्चों पर पड़ता दिख रहा है। ऐसे बच्चों को माता-पिता में से किसी एक का प्यार भी ठीक से नहीं मिल पा रहा है। इस समस्या से न केवल बच्चे मानसिक शिकार हो रहे हैं, बल्कि, उनके करियर पर भी असर पड़ रहा है।

झूठ बोलते हैं बच्चे
जानकारों की मानें तो माता-पिता के बीच हो रहे इन झगड़ों का असर बच्चों पर पड़ रहा है। वे बैचेन रहने के साथ खुद को अनसेफ फील करते हैं। यहां तक कि बच्चों के दिमाग में क्रिमिनल एक्टिविटीज के आइडियाज तक क्रिए हो जाने का डर व भय बना रहता है। बच्चे झूठ के अलावा डिप्रेशन का शिकार होने लगते हैं। उन्हें नींद नहीं आने लगती है। वे विद्रोही स्वभाव अपनाना शुरू कर देते हैं। बच्चों में माता पिता को खोने का हमेशा डर रहता हैं। ओवरऑल बच्चों में निगेटिविटी आने लगती है।

एक दिन की शादी के बाद तलाक
समय के साथ रिश्तों की डोर इतनी कमजोर हो रही है कि शादी के एक दिन बाद ही पति-पत्नी के रिश्तों की डोर कमजोर हो रही है। फैमिली कोर्ट की जानकारी के अनुसार अब लोग छोटे से झगड़े के कारण शादी जैसे रिश्ते को तोडऩे के लिए राजी हो जा रहे हैं। इनमें खर्च न उठा पाना और शादी में मनमानी गिफ्ट न मिलना सबसे बड़ी वजह बताई जा रही है।

ये हैं सबसे बड़े कारण
-शक करना
-सहनशक्ति की कमी।
-खर्च न मिलना।
-सोशल मीडिया।

फैमिली कोर्ट में तलाक संबंधी ज्यादा केस पहुंच रहे हैं। कोर्ट का प्रयास रहता है कि पति पत्नी के बीच सुलह हो। लेकिन, देखने में आ रहा है कि दो-तीन हेयररिंग के बाद ही म्यूचुअल अंडरस्टेंडिंग से तलाक हो जा रहा है। यकीनन, इसका असर बच्चों की स्कूलिंग से लेकर करियर पर पड़ रहा है।
आरके खुलबे, प्रधान न्यायाधीश, फैमिली कोर्ट, दून.

फैमिली में पेरेंट्स के बीच होने वाले झगड़ों का सीधा असर बच्चों के बिहेवियर पर पड़ता है। ऐसे बच्चे अक्सर चिड़चिड़े और एग्रेसिव हो जाते हैं। कुछ बच्चे कम एज में ही डिप्रेशन में जाने लगते हैं।
डॉ। नेहा, साइकियाट्रिस्ट, कोरोनेशन हॉस्पिटल

फैमिली कोर्ट में दर्ज मामले
वर्ष 2021
-1242 मामले दर्ज।
-1557 मामलों पर पहले से ही चल रही थी हेयरिंग।

वर्ष 2022
-1825 नए केस हुए दर्ज।
-991 मामले पहले से फेमिली कोर्ट में थे दर्ज।

वर्ष 2023
1801 नए मामले कोर्ट में दर्ज
-1213 मामलों पर पहले से ही चल रही है हेयरिंग।

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Posted By: Inextlive