कई वर्ष पुराने पीपल के विशालकाय पेड़ को करीब दो लाख रुपए की मदद चाहिए। वह जीना चाहता है और पर्यावरण प्रेमी उसको जीवन देने पर जुटे हुए हैं। लेकिन स्थिति ये है कि दो लाख रुपए न मिले तो पेड़ पर आरियां भी चल सकती हैं। यह काल्पनिक नहीं बल्कि सच है। यही वजह है कि युवा पर्यावरण प्रेमियों ने इसको बचाने के लिए देश-दुनिया से मदद की गुहार लगाई है।

देहरादून (ब्यूरो)। विधानसभा से कुछ दूरी पर स्थित है डिफेंस कॉलोनी। यहां वर्षों पुराने पीपल के पेड़ को कारणवश हटाया जाना प्रस्तावित था। सोशल मीडिया पर जैसे ही द अर्थ एंड क्लाइमेट इनिसिएटिव से जुड़े कुछ युवा पर्यावरण प्रेमियों को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने इसको बचाने की ठान ली। यानि इस वर्षों पुराने पेड़ को किसी दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट किए जाने का फैसला लिया और अभियान पर जुट गए। अभियान अभी तक जारी है। लेकिन, इनके सामने इस पीपल के पेड़ को ट्रांसप्लांट करने के लिए दो लाख रुपए की धनराशि का खर्च आ रहा है, जो इन पर्यावरण प्रेमियों के लिए असंभव है। जाहिर है कि उनकी ओर से पेड़ को ट्रांसप्लांट किए जाने के लिए आने वाले खर्च के लिए मदद की गुहार लगाया गई। शुरुआत में सोशल मीडिया पर इसका खासा रिस्पांस मिला। लेकिन, जब मदद की बारी आई, तब बड़े-बड़े पर्यावरणप्रेमी पीछे हट गए।

15 दिनों का मांगा था डीएफओ से समय
पीपल के पेड़ के ट्रांसप्लांट अभियान में डा। आंचल शर्मा, फिल्म मेकर एंड फाउंडर द अर्थ एंड क्लाइमेट इनिसिएटिव अंकू शर्मा, मोहिता शर्मा, डायरेक्टर द अर्थ एंड क्लाइमेट इनिसिएटिव व पवन कुमार, एस्ट्रोफिजिसिस्ट एंड डायरेक्टर द अर्थ क्लाइमेट एनिसिएटिव जुड़े हुए हैं। इन युवा पर्यावरण प्रेमियों ने पेड़ को बचाने के लिए ट्रांसप्लांट की हामी भरी और डीएफओ दून से 15 दिनों का वक्त मांगा। जिस पर डीएफओ ने स्वीकृति दे दी। लेकिन, समयसीमा खत्म होने के महज कुछ दिन बचे हुए हैं, अब तक पेड़ के ट्रांसप्लांट में आने वाले खर्च की धनराशि केवल 10 हजार ही जुट पाई। ये पर्यावरणप्रेमी ऑनलाइन से लेकर ऑफलाइन हर किसी से पेड़ को बचाने के लिए डोनेशन मांग रहे हैं।

आमजन से पेड़ बचाने को अपील
करीब 40 फुट के पेड़ को ट्रांसप्लांट किए जाने में करीब 2 लाख रुपए का खर्च आना है। हैदराबाद की वटा फाउंडेशन की गाइडेंस में इस बड़े पेड़ को दूसरे स्थान पर ट्रांसप्लांट होना है। पर्यावरणप्रेमी डा। आंचल शर्मा का कहना है कि वटा फाउंडेशन को ट्रांसप्लांट की महारत हासिल है, अब तक फाउंडेशन ने करीब तीन हजार से अधिक पेड़ों को ट्रांसप्लांट कराया है। जगह तय हो गई है। लेकिन, इसके लिए बड़ी जेसीबी, पोकलैंड और ट्राइलर की जरूरत पड़ रही है। जिनका हर घंटे के हिसाब किराया चुकता करना पड़ रहा है। इसके अलावा पेड़ के पास में बिजली का पोल भी मौजूद है, पेड़ को ट्रांसप्लांट करने में पोल को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए ऊर्जा निगम से इसमें सपोर्ट की आवश्यकता भी पड़ रही है। इन पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि उनको इस पेड़ पर कई एनडेंजर्ड स्पेशीज की बड्र्स के घोंसले भी दिखाई दिए। इन पर्यावरणप्रेमियों ने पेड़ को बचाने व पर्यावरण संरक्षण के लिए आम लोगों व पर्यावरण प्रेमियों से सहयोग की अपील की है। इसके लिए मिलाप वेबसाइट से भी खर्च जुटाने के प्रयास इनके जरिए किया जा रहा है।

Posted By: Inextlive