- जिला प्रशासन ने रैन बसेरा खोला, पर रहने वाला कोई नहीं

- नगर निगम के रैन बसेरों में भी पहुंच रहे कम बेघर

देहरादून,

दून में जिला प्रशासन और नगर निगम के रैन बसेरे लगभग खाली हैं, लेकिन रात में सड़कों पर सोने वालों की संख्या दर्जनों में है। नगर निगम के रैन बसेरे पहले से खुले हैं, लेकिन उनमें बहुत कम लोग जा रहे हैं। इस बीच जिला प्रशासन ने घंटाघर के पास स्थित अपना रैन बसेरा खोल दिया है, लेकिन वहां कोई नहीं मिला। बताया जा रहा है कि बेघर कोरोना के डर से नहीं आ रहे हैं।

सड़कों पर सो रहे बेघर

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने आधी रात को पटेलनगर से घंटाघर तक सड़कों पर सोने वालों का जायजा लिया तो दो दर्जन से ज्यादा लोग कंबल या रजाई ओढ़े अकेले अथवा दो या तीन की संख्या में सड़कों की किनारे, किसी दुकान की आड़ में या किसी बोर्ड आदि की आड़ में सोते हुए नजर आये। इनमें से कुछ लोगों से जब पूछा गया कि रैन बसेरा क्यों नहीं जाते तो उनका जवाब था कि आने नहीं दे रहे हैं।

तो क्या रोका जा रहा है लोगों को

कोविड-19 के कारण जिला प्रशासन का रैन बसेरा 25 नवंबर तक बंद रहा। अब इसे खोल दिया गया है। केयर टेकर ने बताया कि कोरोना के कारण लोग आ नहीं रहे हैं। लेकिन, केयर टेकर की बात को रैन बसेरे के बाहर सो रहे एक बुजुर्ग ने गलत साबित कर दिया। बुजुर्ग का कहना था कि बीमारी के कारण उन्हें रैन बसेरे ने निकाल दिया है।

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लंबे समय तक रैन बसेरा बंद था, इसलिए अभी सड़कों पर सोने वालों को पता नहीं चला होगा। रैन बसेरे में सेनेटाइजिंग आदि की व्यवस्था की गई है और कोशिश की जा रही है कि यहां रहने वाले किसी तरह से संक्रमण का शिकार न हों।

बीरसिंह बुदियाल

एडीएम (फाइनेंस एंड रेवेन्यू)

Posted By: Inextlive