कंपनी ने जो व्हीकल डीजल का बनाया ही नहीं उसका हो गया डीजल में रजिस्ट्रेशन

गलत रजिस्ट्रेशन के बाद भी मिल गया पीयूसी सर्टिफिकेट

देहरादून।

आरटीओ ने पेट्रोल की कॉमर्शियल कार का डीजल में रजिस्ट्रेशन कर दिया, जो कंपनी में डीजल वर्जन में बनाई ही नहीं है। व्हीकल ऑनर को अब परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। व्हीकल ऑनर जब इस पॉब्लम का लेकर आरटीओ पहुंचा तो कोई भी सुनने को तैयार नहीं था। खास बात तो यह है कि इस कार का गलत रजिस्ट्रेशन होने के बाद भी कार को पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल की जांच भी हो गई और सर्टिफिकेट भी मिल गया।

ये है मामला

मामला अजय गुप्ता पुत्र जगदीश प्रसाद गुप्ता पार्क रोड कांवली का है। इनकी कॉमर्शियल कार ईको 7 सीटर (सफेद ) यूके 07 टीए 6748 डीजल में रजिस्ट्रर्ड है। जबकि यह पेट्रोल व्हीकल है। 2003 में यह कार देहरादून आटीओ में रजिस्टर्ड की गई थी। रजिस्ट्रेशन के बाद से अब तक कार काचार बार फिटनेस हो चुका है। यह कार ट्रू वेल्यू में भी बेची गई है। कार रिसेल भी हो चुकी है।

कार का डीजल वर्जन ही नहीं

मारुति सुजुकी के ईको का केवल पेट्रेाल वर्जन ही है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के पास जब यह जानकारी आई तो इस संबध में संबधित कंपनी से पूछताछ की गई। कंपनी के अनुसार ईको का डीजल वर्जन है ही नहीं।

बन गया पीयूसी सर्टिफिकेट

पेट्रोल कार का रजिस्ट्रेशन डीजल में होने के बाद भी इसका पॉल्यूशन सर्टिफिकेट बना दिया गया। व्हीकल स्वामी के अनुसार आरटीओ की लापरवाही का नतीजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। अब जब वह पीयूसी जांच के लिए जाते हैं तो डीजल इंजन में रजिस्ट्रेशन होने के कारण पॉल्यूशन जांच नहीं हो पाती है। पॉल्यूशन जांच के लिए पीयूसी सेंटर संचालक किसी दूसरी गाड़ी के साइलेंसर में नोजल डालकर पॉल्यूशन जांच करके देते हैं। इस बार माजरा के शक्ति सर्विस फीलिंग स्टेशन से उन्होंने पीयूसी सर्टिफिकेट हासिल किया है।

फर्जी पीयूसी का खुलासा

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने फर्जी पीयूसी बनाने का खुलासा पहले भी किया है। इसमें भी दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने दूसरी कार के साइलेंसर में नोजल डालने के मामले का खुलासा किया था। ईको व्हीकल का भी पीयूसी सर्टिफिकेट इसी तरह बनाया जा रहा है।

तीन बार हो चुका फिटनेस

व्हीकल ऑनर के अनुसार कार की परचेज के बाद से वह अब तक तीन बार गाड़ी का फिटनेस चेक करवा चुके हैं। हर बार फिटनेस होने के बाद दूसरे कर्मचारी की गलती छिपाने के लिए आरटीओ के कर्मचारी फिटनेस भी करके दे रहे हैं। लगातार फिटनेस के लिए कार ले जाने के बाद भी किसी भी अधिकारी या कर्मचारी ने इसकी जांच नहीं की है कि पेट्रोल कार का कैसे डीजल में रजिस्ट्रेशन कर दिया गया है।

अधिकारी दे रहे सफाई

एआरटीओ द्वारिका प्रसाद से जब इस मामले में बात की गई तो उनका तर्क था कि एक छोटी सी मैन्युअल गलती है जो वह व्यक्ति आता है तो ठीक कर लिया जाएगा। जबकि, व्हीकल स्वामी का कहना है कि कई बार आरटीओ कार्यालय के चक्कर काटने के बाद भी अब तक इनके कागज ठीक नहीं हो सके है।

अगर ऐसा है तो इसकी जांच की कराई जाएगी। इसके साथ ही पीयूसी और फिटनेस करने वाले अधिकारियों की भी जांच की जाएगी।

सुधांशु गर्ग , डिप्टी कमिश्नर, ट्रांसपोर्ट

Posted By: Inextlive