हड़ताल से हलक में अटकी पेशेंट्स की जान
-मजबूर पेशेंट को लगाने पड़ रहे चक्कर
-टेस्ट न होने पर प्राइवेट हॉस्पिटल का करना पड़ रहा रुख देहरादून। बुधवार दोपहर 12 बजे। दून हॉस्पिटल की न्यू ओपीडी बिल्डिंग के बाहर पेशेंट की लम्बी कतार लगी थी। वहां दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट को मिली तीन दिन से लगातार चक्कर काट रही उर्मिला। उसका पर्चा ही नहीं बन पाया। वहीं मौजूद गढ़ी कैंट के प्रदीप के टेस्ट भी नहीं हो पाए। वह कई दिनों से चक्कर लगा रहे हैं। उसे कॉलेज में देने के लिए कोविड जांच की रिपोर्ट चाहिए लेकिन वह नहीं हो पाई। हॉस्पिटल में केवल एक-दो नहीं बल्कि कई ऐसे लोग मिले जो उपनल कर्मचारियों की हड़ताल से परेशान थे। अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है हॉस्पिटल स्टाफसरकार व उपनल कर्मचारियों की तनातनी के बीच इन दिनों पेशेंट की फजीहत हो रही है। कर्मचारी हैं जो अपनी मांगों पर अडिग होकर अब आंदोलन से पीछे न हटने का निर्णय बना चुके हैं। पेशेंट हॉस्पिटल में पहुंच तो रहे हैं लेकिन डॉक्टर की सलाह के अलावा कोई फेसिलिटी नहीं मिल पा रही है।
ये सर्विसेस प्रभावित दून हॉस्पिटल -रजिस्ट्रेशन -बिलिंग -वार्ड ब्वॉय -सपोर्टिग स्टाफ -एक्स-रे टेक्नीशियन -सीटी टेक्नीशियन -एमआरआई टेक्नीशियन -लैब टेक्नीशियन-ईसीजी टेक्नीशियन
-सैम्पलिंग -डाटा एंट्री -रिपोर्ट डिस्ट्रीब्यूशन -इमरजेंसी सर्विसेस -फिजियोथैरेपिस्ट -ओटी टेक्नीशियन -सफाई कर्मचारी -मेमोग्राफी टेक्नीशियन -ब्लड बैंक स्टाफ -जन्म प्रमाण पत्र -आयुष्मान योजना -स्टोर (सर्जिकल, दवा व स्टेशनरी) -दवा डिस्ट्रीब्यूशन -मैट्रन स्टोर केवल एक नर्स के हवाले आईसीयू दून हास्पिटल में आईसीयू इन दिनों एक नर्सिग स्टाफ पर ही संचालित किया जा रहा है। दोपहर करीब 1 बजे पेशेंट की कुछ जरूरी जांचें नहीं हो पाई थीं। पेशेंट को जांच के लिए ले जाने वाला कोई नहीं था। ऐसे में वहां मौजूद अटेंडेट अपने पेशेंट को लेकर भारी चिंता में थे। नहीं बना आयुष्मान कार्ड मंडी निवासी शालिनी के पति को ओरल कैंसर है। सभी जांच कराने के बाद जब वह हॉस्पिटल में सर्जरी के लिए भर्ती हुए लेकिन आयुष्मान कार्ड नहीं बना। इसके कारण अब वह सर्जरी अपने खर्च पर कराने को मजबूर है। आयुष्मान कार्ड बनाने वाला पूरा स्टाफ स्ट्राइक पर है। अब परेशान परिजन कार्ड बनवाने कहां जाएं। नहीं है वार्ड ब्वॉय और स्टाफआईसीयू से लेकर जनरल वार्ड में ऑफिस ब्वॉय व नर्सिग स्टाफ न होने के कारण यहां दिक्कत झेलनी पड़ रही है। दवा तक हॉस्पिटल में उपलब्ध नहीं हो पा रही है। स्टाफ न होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी का सामना पेशेंट को ही करना पड़ रहा है।
नहीं माने पीआरडी से जुड़े कर्मचारी दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कोरोना संक्रमण के दौरान तैनात किए गए पीआरडी व उपनल से जुड़े कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। कोरोना के केस कम होने लगे तो इन्हें रिन्यू नहीं किया गया। ऐसे सभी कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। पीआरडी से जुड़े 198 कर्मचारी हैं। पीआरडी से जुडे जसपाल सिंह राणा का कहना है कि आंदोलन आगे भी जारी रहेगा। घंटों इंतजार करती रही उर्मिला दून हॉस्पिटल में माजरा से गई उर्मिला जांच के लिए पहुंची। यहां लम्बी कतार को देखते हुए वह परेशान होकर बाहर बैठ गई। दोपहर 12 बजे तक उर्मिला का नम्बर नहीं आया था। प्रदीप का नहीं हो रहा कोरोना टेस्ट गढ़ी कैंट निवासी प्रदीप को कॉलेज अटेंड करने के लिए कोरोना की टेस्ट रिपोर्ट सबमिट करनी है। इसके लिए प्रदीप तीन दिन से लगातार चक्कर काट रहा है। उसके कहना था कि आखिर उसका क्या कसूर है, जिसके लिए उसे परेशानी झेलनी पड़ रही है।हम अपने स्तर से सभी काम कराने का प्रयास कर रहे हैं। इसके साथ ही पीआरडी व उपनल से जुड़े कर्मचारियों से वार्ता चल रही है। उम्मीद है कि वह जल्द ही काम पर लौटेंगे।
डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल दून मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल