-अब हिमालयन ब्लैक बीयर की बारी, तीन दिन पहले ही दून में लेपर्ड पर लगाया गया कॉलर

देहरादून, वन विभाग को वाइल्ड एनिमल्स में लगाई जा रही सैटेलाइट कॉलर से बेहतर रिजल्ट मिल रहे हैं। अब तक लगाए कॉलर में से वन विभाग उनके प्रवास, मूवमेंट, ह्यूमन कॉन्फिलिक्ट आदि करीब से मॉनिटर कर पा रहा है। जिनमें कॉलर लगाया गया है, उनमें 6 लेपर्ड व 4 हाथी हैं। दावा किया गया है कि उत्तराखंड पहला राज्य होगा, जहां इतनी संख्या में वाइल्ड एनिमल्स पर कॉलर लगाने के बाद पॉजिटिव रिजल्ट मिल रहे हैं। अब विभाग ने चमोली के जोशीमठ इलाके में हिमालय ब्लैक बीयर पर कॉलर लगाने की तैयारी कर दी है। इसमें दून स्थित डब्ल्यूआईआई (वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) के साइंटिस्ट का भी पूरा सहयोग मिल रहा है।

फंदे में फंसे लेपर्ड पर भी लगा कॉलर

बीती 23 जनवरी को दून के कालसी वन प्रभाग के चौहड़पुर रेंज में एक लेपर्ड शिकारियों के फंदे में फंस गया था। जिसके बाद वन विभाग की टीम ने इसको रेस्क्यू किया और स्वस्थ्य होने के बाद उस पर सैटालाइट कॉलर फिट कर दिया। बताया जा रहा है कि अब उसकी लोकेशन टीम की ओर से ट्रेस हो रही हैं और वह पूरी तरह स्वस्थ है। चिडि़यापुर हरिद्वार फॉरेस्ट रेस्क्यू सेंटर में तैनात सीनियर डॉक्टर डॉ। अमित ध्यानी कहते हैं कि ऐसे वाइल्ड एनिमल्स में सितंबर 2020 से कॉलर लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई। अब तक जितने भी कॉलर लगाए गए हैं, सभी के रिजल्ट बेहतर मिले हैं। दरअसल, कॉलर एक सैटेलाइट तकनीक है। जिसके जरिए वाइल्ड एनिमल्स के मूवमेंट का आसानी से पता लगाया जा सकता है। दून में लेपर्ड पर लगाए गए कॉलर के बाद अब 10 एनिमल्स पर विभाग को इसकी सफलता मिली है। दावा किया जा रहा है कि मार्च तक करीब 10 लेपर्ड पर कॉलर लगाया जाएगा।

कॉलर के फायदे::

-ह्यूमन कॉन्फिलिक्ट का चल पाता है पता।

-आवासीय इलाकों में आने की मिल पाती है सूचना।

-जिससे स्टाफ को पहले कर दिया जाता है अलर्ट।

-वाइल्ड एनिमल्स के दिन-रात ट्रेवल की सूचनाएं।

-घायल वाइल्ड एनिमल्स के रिकवर होने की जानकारी।

-कॉलर से मेटिंग की सूचना में होती है आसानी।

-एनिमल्स के उनके प्रवास की सूचना में मिल पाना।

दो वर्ष तक बैटरी की क्षमता

कालर लगाने वाले विशेषज्ञों की मानें तो लेपर्ड, हाथी जैसे वाइल्ड एनिमल्स पर लगाई जा रही कॉलर में मौजूद बैटरी की क्षमता करीब दो वर्ष तक रहती है। इसके अलावा कि वाइल्ड एनिमल्स पर कॉलर की जरूरत न होने पर ऑटोमैटिक कॉलर को ब्रेकडाउन किया जा सकता है। उसके बाद टीम उस कॉलर को अपने पास सेफ रख सकती है।

अब तक लगाए गए कालर आईडी

-हरिद्वार में लगाए गए 2.

-बागेश्वर में लगाए गए 2

-ऋषिकेश में 1

-देहरादून में 1

अब हाथी भी मॉनिटरिंग पर

बताया गया है लेपर्ड के अलावा हाथी पर भी सैटेलाइट कॉलर का यूज किया जा चुका है। जिससे उनके प्रवास की जानकारी मिल पा रही है। हाथी रिहायशी इलाकों में पहुंच रहे हैं या फिर जंगलों की तरफ अपना प्रवास कर रहे हैं। वन विभाग इसकी जानकारी इकट्ठा कर रहा है।

अब ब्लैक बीयर की तैयारी

डॉ। अमित ध्यानी बताते हैं कि लेपर्ड व हाथी में कॉलर आईडी यूज किए जाने और बेहतर रिजल्ट मिलने के बाद हिमालयन ब्लैक बीयर पर भी कॉलर आईडी की तैयारी की जा रही है। इसके लिए चमोली के जोशीमठ के इलाके का चयन किया गया है। जहां जल्द टीम मौके पर पहुंचकर कॉलर आईडी का यूज करेगी।

Posted By: Inextlive