राज्य में भू-कानून में संशोधन को लेकर गठित कमेटी ने मंडे को सीएम पुष्कर सिंह धामी को रिपोर्ट सौंप दी. कमेटी ने अपनी सिफारिश में कहा है कि राज्य में जमीनों की असीमित खरीद-फरोख्त रोकी जानी चाहिए लेकिन साथ में राज्य में होने वाले निवेश को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.

- भू-कानून को लेकर गठित कमेटी ने सीएम को सौंपी रिपोर्ट
- सीएम धामी बोले, कमेटी की सिफारिशों पर किया जाएगा विचार

देहरादून, ब्यूरो: कमेटी ने दोनों के बीच संतुलन बनाने की बात कही है। रिपोर्ट में भूमि का दुरुपयोग रोकने की भी बात कही गई है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कुल 23 सिफारिशें की हैं।

अगस्त 2021 में बनी थी समिति
राज्य में 2018 में भूकानून में संशोधन करके पहले इस कानून में जमीन खरीद-फरोख्त की सीमा को खत्म कर दिया गया था। इस संशोधन से राज्य में किसी को भी असीमित जमीन खरीदने का अधिकार दिया गया था। साथ ही यह भी व्यवस्था की गई थी कि कृषि भूमि खरीदने पर उसका लैंड यूज चेंज खुद ब खुद बदल जाएगा। इस नई व्यवस्था पर विवाद गहराने के बाद सीएम धामी ने अगस्त 2021 में इस मामले में सुझाव देने के लिए हाईपावर कमेटी का गठन किया था।

भूमि के दुरुपयोग पर लगे रोक
कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भू कानून में इस तरह से संशोधन किया जाए ताकि राज्य में निवेश बढे और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो। साथ ही भूमि का अनावश्यक दुरुपयोग रोकने की भी अनुशंसा की है। समिति ने वर्तमान में प्रदेश में प्रचलित उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) संशोधन कर जन भावनाओं के अनुरूप हिमाचल प्रदेश की तरह कतिपय प्रावधानों की संस्तुति की है।

भूमिहीन हो रहे लोग
उत्तराखंड में मौजूदा व्यवस्था में डीएम द्वारा खेती और बागवानी के लिए कृषि भूमि खरीदने की अनुमति दी जाती है। कुछ मामलों में ऐसी अनुमति लेकर लोगों ने खेती या बागवानी करने के बजाय रिसोर्ट और प्राइवेट बंगले बनाकर दुरुपयोग हो रहा है। इससे पर्वतीय क्षेत्रों में लोग भूमिहीन हो रहे हैं और रोजगार सृजन भी नहीं हो रहा है। समिति ने ऐसी अनुमति डीएम स्तरके बजाय शासन से दिये जाने की सिफारिश की है।

घर के लिए 250 वर्ग मीटर
रिपोर्ट में पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में उद्योग लगाने के लिए जमीन देने की मौजूदा व्यवस्था को खत्म कर हिमाचल प्रदेश की तरह जरूरत के आधार पर कम से कम जमीन आवंटित करने की सिफारिश की है। यह भी सिफारिश की गई है कि कोई व्यक्ति अपने या अपने परिवार के किसी भी सदस्य के नाम बिना अनुमति के ज्यादा से ज्यादा 250 वर्ग मीटर जमीन घर बनाने के लिए खरीद सकता है।

उक्रांद ने उठाए सवाल
उत्तराखंड क्रांति दल ने भू-कानून समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए रिपोर्ट को निराशाजनक बताया है। केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिवप्रसाद सेमवाल ने कहा कि इसमें जमीनों को खुर्दबुर्द होने से बचाने के लिए कुछ नहीं है। यह उत्तराखंड की भूमि को नए तरीके से खरीदे-बेचे जाने के सुझावों वाला पुङ्क्षलदा है। इससे जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त और तेज होगी। उक्रांद नेता ने कहा कि भाजपा के तमाम नेताओं को मुफ्त में सैकड़ों बीघा जमीन लीज पर दे दी गई है, चाय बागान की हजारों बीघा जमीन खुर्दबुर्द की जा रही है। ङ्क्षरग रोड स्थित चाय बागान की जमीन पर भाजपा का दफ्तर बनाने जैसे जमीन के मामलों में समिति मौन है।
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Posted By: Inextlive