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रिस्पना के कैचमेंट एरिया में लहलहा रही हरियाली

-रिस्पना के पुनर्जीवन के लिए हुई थी रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान की शुरुआत

-प्लांटेशन के बाद ग्रो कर चुके हैं कई प्लांट्स, 2 हजार प्लांट्स सूखे तो किए गए रिप्लेस

देहरादून, सरकार इस बार 6 से 16 जुलाई तक हरेला पर्व जोर-शोर से मना रही है। आखिरी दिन तक राज्यभर में लाखों प्लांट्स के प्लांटेशन का दावा किया जा रहा है। दो वर्ष पहले सरकार ने कभी दून की बारामासा रिस्पना नदी को पुनजीर्वित करने के लिए एक अभियान की शुरुआत की थी। सरकार के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को नाम दिया गया था रिस्पना से ऋषिपर्णा। इसके लिए पूरी ताकत झोंकी गई। शासन से लेकर प्रशासन व वन विभाग से लेकर एक दर्जन विभागों ने दिनरात जुटे रहे मीटिंगों का दौर जारी रहा। इस सबके बीच फिलहाल, रिस्पना में कब पानी की कल-कल आवाज सुनाई देगी। कहा नहीं जा सकता, लेकिन रिस्पना के कैचमेंट एरिया कैरवान में गत दो वर्षो में किए गए प्लांटेशन की हरियाली नजर आ ही है। मंगलवार को दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने कैचमेंट एरिया का विजिट किया। ग्राउंड जीरो से एक रिपोर्ट-

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रिस्पना से ऋषिपर्णा

रिस्पना को पुनजीर्वित करने का सपना सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। करीब दो वर्ष पहले इसकी खुद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी शुरुआत की थी। यहां रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान के तहत रिस्पना को बचाने व पुनर्जीवित करने के लिए फावड़ा उठाकर 19 मई को 2018 को रिस्पना के कैचमेंट एरिया में प्लांटेशन किया। अधिकारियों को निर्देश दिए कि रिस्पना के कैचमेंट एरिया से लेकर मोथरोवाला तक रिस्पना नदी के दोनो किनारे प्लांटेशन किया जाए। शुरू में तो 6 करोड़ रुपए की धनराशि भी जारी की गई। बीते वर्ष भी रिस्पना के कैरवान गांव से लेकर मोथरोवाला तक प्लांटेशन हुआ। खास बात ये है कि दून से करीब 14 किमी दूर पहाड़ी के नीचे स्थित कैरवान इलाके में किया गया प्लांटेशन में ग्रीनरी नजर आ रही है। पौधों को किसी प्रकार का नुकसान न हो, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट व सिविल सोसायटी को दिन-रात निगरानी पर जुटे हुए हैं। जानकार बताते हैं कि गंदगी से पटी पड़ी व सूख चुकी रिस्पना में पानी की धारा आने वाले समय में बहती नजर आएगी या नहीं आएगी, ये कहना जल्बाजी होगी। लेकिन, रिस्पना के कैचमेंट एरिया में लहलहाती हरियाली नजर आने लगी है।

सीएम की कैरवान पर नजर

-19 मई 2018 को सीएम ने कैरवान गांव में खुद प्लांटेशन किया गया था।

-सीएम ने किया था डिपार्टमेंट्स, सरकारी व गैर सरकसरी संस्थाओं का आह्वान।

-2018 में जून अंत तक रिस्पना के किनारे 2.5 लाख प्लांट्स के प्लांटेशन का रखा था टारगेट।

-लेकिन एवज में इतने प्लांट्स का तो नहीं हो प्लांटेशन।

-सीएम ने जुलाई 2018 को भी किया था कैरवान का निरीक्षण।

-प्लांटेशन कितना सफल रहा, जनवरी 2020 को भी सीएम पहुंचे थे कैचमेंट एरिया तक।

मेडिसिनल व फ्रूट्स प्लांट्स

-अग्निगंधा।

-आंवला।

-तेज पत्ता

-रुद्राक्ष

कई इंस्टीट्यूट की टेक्निकल मदद

शुरुआत में किए गए प्लांटेशन पर सकारात्मक रिजल्ट न मिलने के बाद शासन ने नया इनिसिएटिव लिया। देखरेख के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट व सिविल सोसाइटी को जिम्मेदारी सौंपी गई। वहीं देश के प्रमुख इंस्टीट्यूशंस एनआईएच रुड़की, आईआईटी रुड़की व सीएसडब्ल्यू-सीआरटीआई की टेक्निकल मदद भी ली जा रही है।

डिवाइस से प्लांट्स की रखवाली

प्लांट्स को वाइल्ड एनिमल्स से बचाने के लिए लगे हैं फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने एक स्पेशल अल्ट्रासाउंड मेट डिवाइस यूज किया है। जिसके जरिए एनिमल्स छोटे प्लांट्स का चुग नहीं पा सकते हैं। जबकि सिविल सोसाइटी के मेंबर्स हर वक्त जुटे हुए रहते हैं। इसके अलावा स्थानीय लोगों की ओर से फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को हेल्प मिल रही है।

2 वर्ष, 2 हजार नए प्लांटेशन

रिस्पना से ऋषिपर्णा अभियान के तहत दो वर्षो के दौरान करीब दो हजार प्लांट्स को रिप्लेस किया गया। शुरुआत में जिन प्लांट्स को प्लांटेशन किया गया था, वे सूख गए थे। बदले में फॉरेस्ट डिपार्टमेंट ने नए प्लांट्स रोपे।

16 जुलाई को सीएम पहुंचेंगे कैरवान

आगामी 16 जुलाई को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत रिस्पना के कैचमेंट एरिया में पहुंच सकते हैं। इसकी तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। क्षेत्र में सड़क तैयार की जा रही है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि सीएम कैरवान पहुंचेंगे या नहीं, अभी साफ नहीं है।

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रिस्पना कैचमेंट एरिया में हुए प्लांटेशन के परिणाम सबके सामने हैं। पौधों को कोई नुकसान हो, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट सिविल सोसायटी की मदद से जुटा हुआ है। उम्मीद है इसके रिजल्ट आने दिनों में सबके सामने होंगे। इसके लिए सेंट्रल इंस्टीट्यूशंस की टेक्निकल व स्थानीय लोगों की भी हेल्प मिल रही है।

-कहकशां नशीं, डीएफओ मसूरी।

Posted By: Inextlive