- 20 साल पहले बनी रायपुर ब्लॉक की सड़क का 20 साल बाद भी डामरीकरण नहीं

- इस कच्ची सड़क पर कई किमी तक निकल जाते हैं साइकिलिस्ट, लेकिन सेफ नहीं रोड

देहरादून

हाल के वर्षो में दून में विभिन्न स्तरों पर साइकिलिंग को प्रमोट किया जा रहा है। सरकारी और गैर सरकारी संस्थान लगातार लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। लेकिन, सबसे बड़ी परेशानी यह है कि दून में साइकिलिंग के लिए कोई सेफ रोड नहीं है। सिटी में जहां भारी ट्रैफिक के कारण साइकिलिंग करना संभव नहीं है, वहीं दूसरी तरफ सिटी से बाहर के सड़क इतनी बुरी हालत में हैं कि इन पर साइकिल चलाना खतरे से खाली नहीं है। ऐसी ही एक सड़क रायपुर ब्लॉक में है, जो मालदेवता से घत्तू तक जाती है।

कच्ची सड़क पर खतरा

यह सड़क को बने कई साल हो गये हैं। राज्य का गठन हुए भी 20 वर्ष हो गये हैं, लेकिन इस सड़क का डामरीकरण नहीं हो पाया है। सौंग नदी के किनारे-किनारे चलने वाली इस सड़क को दून के साइकिलिस्ट पसंद तो करते हैं, हर रोज बड़ी संख्या में साइकिलिस्ट इस सड़क पर कई किमी आगे तक साइकिलिंग भी करते हैं। लेकिन, सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि न सिर्फ साइकिलिंग करने में परेशानी होती है, बल्कि गिरने और एक्सीडेंट होने का भी लगातार खतरा बना रहता है।

खतरे के बावजूद साइकिलिंग

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने साइकिलिस्ट के साथ इस सड़क पर करीब 10 किमी दूर तक सफर किया। मालदेवता से इस सड़क पर मुड़ते ही लगता है, हम किसी सुदूर पिछड़े इलाके में पहुंच गये हैं। सड़क यहां से करीब 25 किमी घत्तू गांव तक जाती है। सड़क पर थोड़ी-थोड़ी दूरी तक दो या दो से ज्यादा की संख्या में साइकिलिस्ट नजर आते हैं। कई साइकिलिस्ट 10 से 15 किमी दूर तक इस सड़क पर निकल जाते हैं। लेकिन, इस दौरान लगातार सड़क की हालत उनके सामने चुनौती बनी रहती है।

नदी पार के गांव अलग-थलग

देहरादून जिले की यह सड़क लगातार सौंग नदी के साथ चलती है। सौंग नदी के दूसरी तरफ टिहरी जिला है। दूसरी तरफ कई छोटे-छोटे गांव हैं, लेकिन सौंग नदी को पार करने के लिए कोई पुल नहीं है। सर्दियों और गर्मियों के मौसम में तो लोग लकड़ी के फट्टे आदि की मदद से दूसरी तरफ जाते हैं, लेकिन बरसात के दिनों में नदी पार करना संभव नहीं होता। ऐसे में लोग बरसात शुरू होने के पहले की 4 महीने का राशन आदि भर लेते हैं।

सिटी में नहीं सुविधा

साइकिल पर लंबी-लंबी यात्राएं करने वाले इंद्रेश नौटियाल कहते हैं कि सिटी में साइकिलिंग करना संभव नहीं है। हर सड़क पर जबरदस्त ट्रैफिक है, ऐसे में साइकिलिंग करने के लिए सिटी से बाहर निकलना पड़ता है। मालदेवता-घत्तू रोड साइकिलिंग के लिए अच्छी है, लेकिन डामरीकरण न होने के कारण यहां खतरा भी बना रहता है।

दुर्घटना का इंतजार न करें

साइकिलिस्ट के लिए यह सड़क इसलिए खास है कि एक दोनों तरफ सुन्दर पहाड़ हैं और बीच में सालभर पानी वाली सौंग नदी बहती है। इसीलिए सड़क की इतनी बुरी हालत होने के बावजूद साइकिलिस्ट 10-15 किमी तक आगे निकल जाते हैं। राजधानी की एक सड़क इतने सालों बाद भी इस हाल में है, यह बेहद अफसोसजनक है। अब सरकार को किसी दुर्घटना का इंतजार करने के बजाए, जितनी जल्दी हो सके, सड़क का डामरीकरण करना चाहिए।

Posted By: Inextlive