DEHRADUN: कोरोना के चलते बेहद खराब आर्थिक दौर से गुजर रहे रोडवेज को इस वित्तीय वर्ष में 174.22 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान है। पिछले वित्तीय वर्ष में रोडवेज का घाटा 38 करोड़ रुपये था, जिसमें इस वर्ष 136 करोड़ रुपये की वृद्धि होने का अंदेशा है। अनुमान ये भी है कि अगले माह से रोडवेज के लिए वेतन देना भी मुनासिब नहीं होगा। उस पर पहले ही चार माह का वेतन लंबित चल रहा, ऐसे में रोडवेज के 'पहिये' जाम होने की नौबत आ चुकी है। अपर मुख्य सचिव व रोडवेज निदेशक मंडल की अध्यक्ष राधा रतूड़ी द्वारा अधिकारियों को आदेश दिए कि एक प्लान बनाया जाए, जिसमें रोडवेज को बुरे हालात से बाहर निकाला जा सके।

आर्थिकी सुधारने पर मंथन

मंगलवार को रोडवेज के निदेशक मंडल की बैठक सचिवालय में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में हुई। बैठक का मुख्य एजेंडा ही आर्थिक स्थिति सुधारने पर मंथन का रहा। अपर मुख्य सचिव रतूड़ी ने आदेश दिए कि जब तक बसों का संचालन नियमित व सुचारू नहीं हो जाता, तब तक रोडवेज आय के नए स्त्रोत बनाए। बसों के जरिए कुरियर सेवा एवं माल परिवहन शुरू करने का निर्देश दिए गए। रोडवेज की ऐसी भूमि जिसका उपयोग नहीं हो रहा है उसके व्यावसायिक उपयोग के लिए संबंधित जिले के विकास प्राधिकरण व पर्यटन विभाग के साथ योजना बनाने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा मृतक आश्रितों को फिलहाल संविदा पर नियुक्ति देने के आदेश दिए गए। आय बढ़ाने के लिए रोडवेज गांधी रोड पर पुराने बस अड्डे व मंडलीय प्रबंधक दफ्तर की जमीन का व्यावसायिक उपयोग करेगा। बैठक में सचिव वित्त अमित नेगी, अपर सचिव परिवहन व रोडवेज प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान, महाप्रबंधक दीपक जैन आदि भी मौजूद रहे।

कम किराए पर मिलेंगी बसें

शादी, टूर, सामाजिक कार्यो आदि के लिए किराए पर दी जाने वाली साधारण बसों का किराया रोडवेज ने घटा दिया है। बोर्ड बैठक में तय हुआ कि पीक सीजन मौजूदा किराए पर दस फीसद की छूट जबकि बाकी सीजन में बीस फीसद की छूट दी जाएगी।

बसों की आयु सीमा बढ़ाई

बोर्ड बैठक में बसों की आयु सीमा बढ़ाने का फैसला लिया गया। पहले पर्वतीय मार्गो व मैदानी मार्ग पर बस की अधिकतम आयु छह वर्ष थी, जिसे पर्वतीय मार्ग पर बढ़ाकर सात वर्ष और मैदानी मार्ग पर आठ वर्ष कर दिया गया है। निर्धारित किलोमीटर भी सात लाख से बढ़ा आठ लाख किलोमीटर करने का फैसला लिया गया।

सुप्रीम कोर्ट में जाएगा रोडवेज

उत्तर प्रदेश से परिसंपत्तियों के बंटवारे के मामले में नैनीताल हाईकोर्ट ने चार हफ्ते के भीतर उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड रोडवेज को 28 करोड़ रुपये देने के आदेश दिए थे पर अब तक यह भुगतान नहीं हुआ। कर्मचारी यूनियन इस मामले में अपीलकर्ता है। उत्तर प्रदेश इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी कर रहा। लिहाजा, रोडवेज ने भी सुप्रीम कोर्ट में केविएट दाखिल करने का फैसला किया है।

यूनियन कर रही हड़ताल की तैयारी

संविदा व विशेष श्रेणी चालक-परिचालक और तकनीकी कर्मियों का मई का वेतन में की गई आधी कटौती वापस लेने को बैठक में बात नहीं बन सकी। रोडवेज प्रबंधन द्वारा उक्त कर्मियों को श्रम विभाग के अंतर्गत तय न्यूनतम मासिक वेतन 9124 रुपये देने का आदेश पिछले दिनों दिया था। इसके विरोध में उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन द्वारा नौ सितंबर की रात से बेमियादी हड़ताल पर जाने का एलान किया था मगर अधिकारियों ने यह कटौती बोर्ड बैठक में वापस लेने का भरोसा देकर हड़ताल स्थगित करा दी थी। सूत्रों की मानें तो प्रबंधन तो कटौती वापस लेने के मूड में था, लेकिन वित्त सचिव की ओर से इसका विरोध किया गया। जिस पर यह कटौती वापस नहीं हो सकी। मांग पूरी न होने पर यूनियन फिर आंदोलन की तैयारी में है। यूनियन के महामंत्री अशोक चौधरी ने कहा कि बुधवार को यूनियन की आपात बैठक बुलाई गई है, जिसमें आंदोलन कब से करना है, यह निर्णय लिया जाएगा।

Posted By: Inextlive