- उत्तराखंड रोडवेज ने किया था ट्रायल, योजना हो गई कैंसिल

- ट्रायल तो सफल रहा, पर कंपनी मांगती है संचालन का ज्यादा पैसा

देहरादून,

देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से दून में 30 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना बनाई गई है। नेक्स्ट वीक इसका ट्रायल होना है। इससे पहले दून में उत्तराखंड रोडवेज ऐसी बस का ट्रायल कर चुका है। बस चलाने वाली कंपनी इतना पैसा मांगती है कि ये बसें चलाना संभव नहीं हो पाता। डीएससीएल ने भी उसी कंपनी से बसें लेने की योजना बनाई है, जिस कंपनी से रोडवेज ने बस मंगवाई थी। डीएससीएल का दावा है कि रोडवेज के साथ डीएससीएल की योजना की तुलना करना ठीक नहीं है।

दो साल पहले हुआ था ट्रायल

उत्तराखंड रोडवेज ने देहरादून से मसूरी के बीच इलेक्ट्रिक बस चलाने की योजना बनाई थी। अक्टूबर 2018 में हैदराबाद की ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक लिमिटेड कंपनी से मंगवाई गई बस का ट्रायल किया गया था। सीएम ने इस ट्रायल बस को झंडी दिखाकर रवाना किया था। दावा किया गया था कि दून-मसूरी के बीच 25 और हल्द्वानी नैनीताल के बीच 26 इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। लेकिन बाद में इलेक्ट्रिक बस वाले चैप्टर को चुपचाप बंद कर दिया गया।

खर्च के कारण नहीं बनी बात

दून-मसूरी के साथ ही हल्द्वानी-नैनीताल रूट पर भी इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल सफल रहा था, लेकिन बाद में खर्चे पर बात आई तो मामला अटक गया था। रोडवेज के सूत्रों के अनुसार देहरादून और मसूरी के बीच इस बस को चलाने में 28 से 29 रुपये प्रति किमी खर्च आ रहा था, लेकिन बस चलाने वाली कंपनी 35 से 36 रुपये प्रति किमी पेमेंट मांग रही थी। इसके बाद इलेक्ट्रिक बस की योजना कैंसिल करनी पड़ी थी।

जीसीसी मोड पर चलेंगी बसें

उत्तराखंड रोडवेज इलेक्ट्रिक बसें ग्रॉस कॉस्ट कॉन्ट्रेक्ट मोड पर चलाना चाहती थी। बस को ड्राइवर कंपनी की ओर से उपलब्ध करवाया जाना था, जबकि कंडक्टर रोडवेज का होना था। डीएससीएल ने भी इसी मोड में बसें चलाने की योजना बनाई है। इसमें बस ड्राइवर कॉन्ट्रेक्टर कंपनी को देना है, जबकि कंडक्टर और अन्य सभी खर्चे डीएससीएल को वहन करने हैं। कंपनी को प्रति किमी के हिसाब के पेमेंट करना है।

आज पहुंच जाएगी बस

डीएससीएल भी उसी कंपनी से बसें मंगवा रही है, जिस कंपनी से रोडवेज ने बस मंगवाई थी। डीएससीएल के ट्रायल के लिए हैदराबाद की इस कंपनी की बस संडे सुबह देहरादून पहुंच रही है। ट्रायल सफल होने के बाद ही बस चलाने पर आने वाले कुल खर्च आदि का हिसाब लगाया जाएगा। इसके बाद ही तय किया जाएगा कि बस चलाने की स्थिति में किराया कितना वसूला जाएगा।

सरकार से नहीं मिली मदद

सूत्रों का कहना है रोडवेज की ओर से किये गये इलेक्ट्रिक बसेज सक्सेस न होने के सबसे बड़ी वजह राज्य सरकार से मदद न मिलना थी। रोडवेज ने राज्य सरकार से इलेक्ट्रिक बसेज चलाने के लिए कुछ रिबेट मांगी थी, लेकिन राज्य सरकार ने रिबेट नहीं दी। ऐसे में रोडवेज को अपना कॉन्ट्रेक्ट खत्म करना पड़ा।

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बस चलाने वाली कंपनी प्रति किमी ज्यादा पैसा मांग रही थी, ऐसे में रोडवेज के लिए यह बस चला पाना संभव नहीं थी। रोडवेज ने इस योजना को कैंसिल कर दिया है।

- दीपक जैन, जीएम रोडवेज

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बसों का किराया ट्रायल के बाद तय होगा। फिलहाल रोडवेज का कॉन्ट्रेक्ट कैंसिल होने से डीएससीएल की तुलना नहीं करनी चाहिए। डीएससीएल ने सभी पहलुओं पर विचार करने और हर तरह की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर यह योजना बनाई है। डीएससीएल की योजना अच्छी तरह चलेगी।

- सूर्या कोटनाला, एजीएम -कॉन्ट्रेक्ट मैनेजमेंट, डीएससीएल

Posted By: Inextlive