- सैटेलाइट इमेज के जरिए ट्रेस की जाएगी अफीम की खेती

- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो से एसटीएफ ने मांगी सैटेलाइट इमेज और लोकेशन

- दून से सटे इलाकों में होती है अफीम की खेती, चलाएंगे कंबाइंड ऑपरेशन

देहरादून,

ड्रग्स के कारोबार को जड़ से मिटाने के लिए अब एसटीएफ सैटेलाइट इमेजेज की हेल्प लेगी। दून के आस-पास और पहाड़ी लोकेशंस पर की जाने वाली अफीम की खेती को सैटेलाइट से ट्रेस कर खत्म किया जाएगा। इस अभियान में एसटीएफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की भी मदद लेगा। अफीम का प्रतिबंधित कारोबार उत्तराखंड के साथ-साथ यूपी, दिल्ली, पंजाब और हिमाचल तक फैला है। इस नेटवर्क को जड़ तो तोड़ने के लिए अफीम की खेती नष्ट की जाएगी।

मार्च में 41 आरोपी धरे

उत्तराखंड पुलिस के प्रवक्ता डीआईजी नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि एसटीएफ और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) मिलकर अफीम की खेती नष्ट करने के लिए अभियान चलाएंगे। भरणे का कहना है कि रिमोट एरियाज में अफीम की खेती के बारे में जानकारी जुटाना टफ है। वहां तक पहुंचना भी आसान नहीं है, ऐसे में टेक्नोलॉजी की हेल्प ली जाएगी। सैटेलाइट इमेज के जरिए एग्जेक्ट लोकेशन ट्रेस कर एक्शन लिया जाएगा। बताया कि मार्च में भी पुलिस ने टिहरी के थत्यूड़ थाना इलाके के बिच्छू गांव के 41 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की थी। ये सभी अफीम की खेती कर रहे थे। पुलिस और रेवेन्यू की टीम ने 0.92 हेक्टेयर रकबे में अफीम की खेती की जा रही थी।

2016 में भी भेजी थी रिपोर्ट

2016 में भी केंद्रीय एजेंसी ने अफीम की अवैध खेती की सैटेलाइट इमेज के साथ एक रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को भेजी थी। इसमें उत्तरकाशी के दूरस्थ सीमांत इलाके के 32.300 वर्ग मीटर क्षेत्र में अवैध तरीके से अफीम की खेती होने की बात सामने आई थी। यह खुलासा केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो की रिपोर्ट से हुआ। इसी तरह की मदद एक बार फिर एसटीएफ ने एनसीबी से मांगी है। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि एनसीबी की ओर से इसकी प्रोसेस शुरू कर दी गई है।

मोटी कमाई के लिए अफीम की खेती

अफीम की खेती का मुख्य कारण इससे होने वाली मोटी कमाई है। महज चार डेसीमल जमीन पर अफीम की खेती से किसान को 3 हजार से 40 हजार रुपए तक कमाई हो जाती है। वहीं, क्वालिटी के आधार पर फुटकर में इसके रेट कई गुना बढ़ जाते हैं। अफीम को प्रोसेस कर नशे के लिए हेरोइन तैयार की जाती है।

करोड़ों में बरामदगी, अरबों का कारोबार

उत्तराखंड में ड्रग्स का काला कारोबार पिछले कुछ सालों से काफी बढ़ गया है। सालभर में ड्रग्स की बरामदगी का आंकड़ा देखें तो करीब 11 करोड़ के आसपास है। इसमें अकेले दून में औसतन 5 करोड़ की ड्रग्स बरामद होती है। ये वे मामले हैं जो पकड़ में आए हैं, असली कारोबार अरबों में हो सकता है।

2018 से अब तक अफीम की बरामदगी

वर्ष मात्रा (किलो में)

2018 7.073 किलो

2019 19.170

2020 22.040

2021 6.913 (अप्रैल तक)

यहां होती है अफीम की खेती

दून से सटा पहाड़ी इलाका

टिहरी

उत्तरकाशी

बागेश्वर

नैनीताल

पिथौरागढ़

उत्तराखंड से यहां सप्लाई

यूपी

दिल्ली

हिमाचल

पंजाब

अफीम की खेती के बारे में जानकारी जुटाने को एसटीएफ ने एनसीबी से टेक्निकल हेल्प मांगी है। रिमोट एरियाज में अफीम की खेती को पकड़ पान बड़ा टास्क है। सेटेलाइज इमेज के जरिए इन लोकेशन की मॉनिटरिंग की जाएगी।

नीलेश आनंद भरणे, डीआईजी, प्रवक्ता, उत्तराखंड पुलिस

Posted By: Inextlive