- दून से एसडीआरएफ का खोजी दल रुद्रप्रयाग पहुंचा

-त्रिजुगीनारायण के पास देखे गए हैं दर्जनों नरकंकाल

देहरादून

शनिवार से त्रिजुगीनारायण-केदारनाथ ट्रैक पर नरकंकालों की तलाश शुरू कर दी जाएगी। खोज के लिए एसडीआरएफ का आठ सदस्यीय दल देर शाम देहरादून से रुद्रप्रयाग पहुंच गया है। यह दल पुलिस के आठ जवानों के साथ शनिवार को मौके के लिए रवाना होगा। इसके अलावा शुक्रवार को एक छह सदस्यीय टीम केदारनाथ से भी भेजी गई है। दूसरी ओर एक दर्जन ग्रामीण भी नरकंकालों की तलाश में ट्रैक की ओर गए हैं। कनेक्टीविटी न होने के कारण पुलिस का ग्रामीणों से संपर्क नहीं हो पा रहा है।

स्थानीय ग्रामीणों का दल हो चुका रवाना

आईजी एसडीआरएफ संजय गुंज्याल ने बताया कि बताया कि 16 सदस्यीय यह दल वास्तविक स्थिति का पता लगाएगा। इस पूरी टीम को रुद्रप्रयाग एसपी प्रहलाद मीणा के संपर्क में रहकर काम करने के लिए कहा गया है। आईजी ने बताया कि दल के साथ मेडिकल टीम भी भेजी जा रही है। यह टीम नर कंकालों का डीएनए सैंपल एकत्र करेगी। खोजी दल के सदस्य अपने साथ दाह संस्कार की सामाग्री भी लेकर जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि डीएनए सेंपल लेने के बाद वहीं अंतिम संस्कार भी कर दिया जाएगा। दूसरी ओर माऊंटेनियर्स एंड ट्रेकर एस्सोसिएशन माटा के अध्यक्ष मनोज रावत ने बताया कि शुक्रवार तड़के तोषी और त्रिजुगीनारायण से एक दर्जन ग्रामीणों का दल भी नरकंकालों की खोज में रवाना हुआ है। उन्होंने बताया कि कनेक्टिविटीन होने के कारण ग्रामीणों से संपर्क नहीं हो पा रहा।

सीएम ने दिए थे निर्देश

बताते चलें कि आठ अक्टूबर को 'हिटो केदार (चलो केदार)' ट्रैकिंग अभियान के तहत माऊंटेनियर्स एंड ट्रैकरर्स एस्सोशिएशन माटा का एक दल त्रिजुगीनारायण से केदारनाथ ट्रैक पर गया। इस दौरान दल के सदस्यों ने रास्ते में करीब एक दर्जन नरकंकाल देखे। अभियान खत्म होने के बाद माटा के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को इस बाबत बताया। इस पर मुख्यमंत्री ने आइजी संजय गुंज्याल को सर्च आपरेशन के निर्देश दिए। माना जा रहा है कि ये नरकंकाल जून 2013 में आपदा के दौरान मारे गए उन लोगों के हो सकते हैं जो जान बचाने के लिए इस ओर आए होंगे। गौरतलब है कि आपदा के बाद लापता लोगों की तलाश में सर्च अभियान के तहत अब तक कुल 613 कंकाल मिल चुके हैं।

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कहां है त्रिजुगीनारायण?

त्रिजुगीनारायण घने जंगलों वाला इलाका है। यहां से एक प्राचीन पैदल रास्ता केदारनाथ की तरफ जाता है। 2013 में केदारनाथ में आपदा आई थी तो सैकड़ों यात्री इस रास्ते उतर रहे थे। कई यात्री रास्ता भटककर यहां आ पहुंचे थे। आपदा के दौरान यहां कई पहाड़ दरक गए और यहां के गधेरे विकराल होकर सैलाब की तरह बह रहे थे। आपदा के दौरान कई यात्रियों ने यहां अपनी जान गवां दी थी। अब यहां नरकंकाल दिखने से साफ हुआ है कि 2013 में जो रेस्क्यू चलाया गया था उसमें कई इलाके छूट गए थे।

Posted By: Inextlive