रहिमन पानी राखिये बिनु पानी सब सून पानी गए न ऊबरै मोती मानुष चून। रहीमदास की ये पंक्तियां आज भी प्रासांगिक है। सुबह उठने से लेकर रात सोने तक पानी की हर समय जरूरत पड़ती है लेकिन अप्राकृतिक रूप से हो रहे पानी के दोहन से लगातार संकट बढ़ता जा रहा है। भूजल लगातार गिर रहा है।

- सिटी की 12 लाख पॉपुलेशन को है 276 मिलियन लीटर डेली की जरूरत, उपलब्धता 241 मिललियन लीटर डेली
- डब्ल्यूएचओ के मानकों के हिसाब से कई इलाकों में नहीं हो रही पर्याप्त पानी की आपूर्ति

देहरादून (ब्यूरो): पिछले 20 साल में कई जगहों पर भूमिगत जल स्तर 200 से लेकर 400 फीट नीचे चला गया है। अभी से पानी के संरक्षण के प्रयास अभी नहीं किए गए तो भविष्य में पीने का पानी पेट्रोल-डीजल के भाव मिलेगा। राजधानी दून में पानी को लेकर खतरे की घंटी अभी से महसूस की जाने लगी है। शहर 80 फीसदी सप्लाई करने वाले कई ट््यूबवेलों का डिस्चार्ज 50 से 80 प्रतिशत तक कम हो गया है। इसकी वजह ग्राउंड वाटर लेबल कम होना बताया जा रहा है।

कई जगह मानकों के अनुसार आपूर्ति नहीं
दूननाइट्स की आबादी तकरीबन 12 लाख पहुंंच गई है। डब्ल्यूएचओ के मानकों के हिसाब से 135 लीटर पानी प्रति व्यक्ति रोजाना चाहिए, लेकिन कई जगहों पर 100 लीटर प्रति व्यक्ति डेली आपूर्ति हो रहा है। जल संस्थान के अधिकारियों के मुताबिक दूनाइट््स को 276.58 मिलियन लीटर डेली (एमएलडी) पानी की डिमांड है, इसके सापेक्ष जल संस्थान 241.18 एमएलडी पानी उपलब्ध करा पा रहा है। इस हिसाब से वर्तमान में पानी की डिमांड और उपलब्धता में 35 एमएलडी यानि करीब 350 करोड़ लीटर रोजाना पानी की कमी है। ये डिमांड और उपलब्धता 2011 की जनगणना के अनुसार 569578 लाख से लेकर 2020 तक 882983 लाख पापुलेशन के लिए डिजाइन है। अब साल और पापुलेशन पार हो गई है। ऐसे में भविष्य में पानी का संकट गहराने के आसार हैं।

कई इलाकों में सूख रहे ट्यूबवेल
शहर के कई इलाकों में ट्यूबवेलों का डिस्चार्ज 50 से 80 प्रतिशत तक कम हो गया है। ऐसे इलाकों में पानी की ज्यादा क्राईसेस के आसार हैं। राजेंद्रनगर के एक ट्यूबवेल का डिस्चार्ज 6 गुना तक कम हो गया है। 1800 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) क्षमता वाले इस ट््यूबवेल का डिस्चार्ज घटकर मात्र 300 रह गया है। इसी तरह नाचघर स्थित 2200 एलपीएम वाले ट््यूबवेल का डिस्चार्ज भी घटकर 500 एलपीएम रह गया है। इस बार पिछले वर्षों के मुकाबले बहुत कम बारिश हुई है। ऐसे में गर्मी में कई और ट्यूबवेलों का डिस्चार्ज कम होने से पेयजल की भारी कमी हो सकती है।

80 प्रतिशत पानी पंपिंग स्कीम से
इस बार पिछले सालों के मुकाबले सर्दी में काफी कम बारिश हुई है। जिससे पेयजल स्रोत रिचार्ज नहीं हो पाए हैं। इसका सीधा असर भूजल स्तर पर पड़ा है। शहर में 80 परसेंट पानी पंपिंग योजनाओं से आपूर्ति हो रहा है। जबकि ग्रविटी से 20 प्रतिशत योजनाओं से पानी की आपूर्ति हो रही हैं। ऐसे में ट्यूबवेलों का डिस्चार्ज कम होने से सीधे कंज्यूमर्स को फर्क पड़ेगा। ट्यूबवेलों द्वारा कम पानी सप्लाई होने से कई बार टंकिया पूरी नहीं भर पा रही हैं, जिससे कई घरों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पा रहा है।

कई ट्यूबवेल 20 से 30 साल पुराने
जल संस्थान के कई ट्यूबवेल 20 से लेकर 30 साल पुराने हो गए हैं। धीरे-धीरे भूजल का स्तर घटता जा रहा है, तो ट््यूबवेल भी कम पानी उगल रहे हैं। जल संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक कई ट््यूबवेलों का डिस्चार्ज पिछले 20 साल में 4 से लेकर 6 गुना तक घट गया है। 1800 से 2000 एलपीएम पानी देने वाले कई ट्यूबवेल 300-400 एलपीएम पानी दे पा रहे हैं।

इन ट्यूबवेलों का डिस्चार्ज घटा 50 से 80 प्रतिशत
स्थान पहले अब
राजेंद्रनगर गली नंबर 8 1800 300
कौलागढ़ नंबर 2 चुंगी 1800 1000
नाचघर राजेंद्रनगर 2200 500
कौलागढ़ ओएचटी 1000 600
विजय पार्क-1 1400 700
वाणी विहार 2200 1500
टैगोल विला 2000 800
(डिस्चार्ज लीटर प्रति मिनट के हिसाब से)

कई स्कीमें पाइपलाइन में
जिन इलाकों में पानी की कमी है वहां के लिए नई स्कीमें बनाई जा रही है। कुछ पेयजल योजनाओं का काम पेयजल निगम और जल संस्थान द्वारा किया जा रहा है। कुछ योजनाएं स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बनाई जा रही है। कई ट्यूबवेल और ओवर हेड टैंक बनाए भी जा चुके हैं, जबकि कई निर्माणाधीन हैं। करीब 600 से 700 करोड़ के लगभग की पेयजल योजनाओं का काम चल रहा है।

ग्रेविटी की स्कीमें
-16 मिलियन लीटर डेली बांदल नदी से
- 15 मिलियन लीटर डेली पुरकुल से
- 7 मिललियन लीटर डेली सहिंशाही से
- 4 मिलियन लीटर डेली बीजापुर से

एक नजर
- 12 लाख के करीब है सिटी की पापुलेशन
- 276.58 एमएलडी है रोजाना पानी की डिमांड
- 241.18 एमएलडी है कुल उपलब्धता
- 35 एमएलडी रोजाना हो रही पानी की कमी
- 2 लाख के करीबन है परिवार रह रहे सिटी में
170 हजार पेयजल कनेक्शन हैं शहर में

शहर में सभी परिवारों को डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। वाटर लेबल कम होने से कई ट्यूबवेलों का डिस्चार्ज काफी घट गया है। ऐसे स्थानों को चिन्हित कर वहां पर नई स्कीमें बनाई जा रही है। कुछ योजनाएं पेयजल निगम और स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत बनाई जा रही हैं।
वीसी रमोला, एसई, जल संस्थान, देहरादून
dehradun@inext.co.in

Posted By: Inextlive