एक्सक्लूसिव

- दून हॉस्टिपल में प्लाज्मा थैरेपी की व्यवस्था, लेकिन नहीं हैं प्लाज्मा

- हर रोज 20 से 30 ठीक हो चुके पेशेंट्स से प्लाज्मा डोनेट करने की रिक्वेस्ट

- अब तक सिर्फ 20 प्लाज्मा डोनर ही मिल पाये दून हॉस्पिटल को

देहरादून,

दून में लगातार कोविड-19 पेशेंट्स की संख्या बढ़ रही है। जिले में सभी हॉस्पिटल्स में प्लाज्मा थैरेपी की भी व्यवस्था की गई है। दून हॉस्पिटल में एंटीबॉडीज प्लाज्मा बैंक भी बनाया गया है, लेकिन इस बैंक को प्लाज्मा नहीं मिल पा रहा है। प्लाज्मा थैरेपी से कोरोना पेशेंट्स के ट्रीटमेंट के लिए उन लोगों के प्लाज्मा की जरूरत होती है, जो कोरोना को हराकर स्वस्थ हो चुके हैं। लेकिन, भय के कारण ज्यादातर ठीक हो चुके पेशेंट्स प्लाज्मा डोनेट करने नहीं आ रहे रहे हैं।

अब तक 20 डोनर

दून हॉस्पिटल के ब्लड बैंक के बनाया गये कोरोना प्लाज्मा बैंक को अब तक कोरोना हो मात दे चुके ऐसे 20 लोग ही मिल पाये हैं, जिन्होंने प्लाज्मा डोनेट किया। यह प्लाज्मा 22 पेशेंट्स को दिया है। ये पेशेंट न सिर्फ दून हॉस्पिटल बल्कि जौलीग्रांट सहित अन्य हॉस्पिटल्स में इलाज करवा रहे थे। फिलहाल कोरोना प्लाज्मा बैंक में एक भी यूनिट प्लाज्मा नहीं है, जबकि दून सहित कई हॉस्पिटल्स में ऐसे पेशेंट्स भर्ती हैं, जिन्हें प्लाज्मा थैरेपी की जरूरत है।

एक यूनिट में दो डोज प्लाज्मा

जब एक कोरोना से स्वस्थ हो चुका व्यक्ति प्लाज्मा डोनेट करता है कि उससे 300 मिली प्लाज्मा लिया जाता है। इस यूनिट ने दो डोज प्लाज्मा बनाया जाता है। प्लाज्मा थैरेपी की जरूरत वाले ज्यादातर पेशेंट्स की थैरेपी एक डोज से ही हो जाती है, लेकिन कभी-कभी उन्हें दो डोज भी देने पड़ते हैं।

हर रोज 20 से 30 लोगों से रिक्वेस्ट

दून हॉस्पिटल में ब्लड बैंक में इन दिनों काउंसलर्स की एक टीम काम कर रही है। यह टीम हर रोज कोरोना को हरा चुके 20 से 30 लोगों को फोन करके प्लाज्मा डोनेट करने के लिए फोन करती है, लेकिन ज्यादातर लोग अलग-अलग कारणों से प्लाज्मा डोनेट करने से इन्कार कर देते हैं। प्लाज्मा बैंक की इंचार्ज डॉ। शशि उप्रेती का कहना है कि ज्यादातर लोग डर के कारण प्लाज्मा डोनेट करना नहीं आना चाहते। दून हॉस्पिटल कोरोना हॉस्पिटल है और लोगों को लगता है कि हॉस्पिटल आकर फिर से कोरोना न हो जाए। इसके अलावा कई लोग दून से चले जाने के कारण आने में असमर्थ होते हैं।

लोग खुद ला रहे डोनर

प्लाज्मा की कमी वाले मामले में पिछले कुछ दिनों से थोड़ा राहत यह मिली है कि अब कोविड-19 के पेशेंट्स के परिजन खुद ढूंढकर डोनर ला रहे हैं। डॉ। उप्रेती के अनुसार तीन से चार केसेज में ऐसा हो चुका है, जब पेशेंट के परिजन कोरोना से ठीक हो चुके किसी व्यक्ति को लेकर आये हैं और उसके प्लाज्मा से पेशेंट को थैरेपी दी गई है।

नहीं होती कोई परेशानी

डॉ। शशि उप्रेती कहती हैं कि कोरोना से उबर चुके लोग यदि प्लाज्मा डोनेट करते हैं, तो उनके स्वास्थ्य पर किसी तरह को कोई बुरा असर नहीं पड़ता है, न ही उसे किसी तरह की कमजोरी आती है। संबंधित व्यक्ति के सभी तरह के टेस्ट किये जाते हैं, यह वह प्लाज्मा डोनेट करने के लिए पूरी तरह फिट है तो ही उसका प्लाज्मा लिया जाता है और प्लाज्मा डोनेट करने वाले व्यक्ति के शरीर में 48 से 72 घंटे के भीतर प्लाज्मा रिकवर हो जाता है।

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हम कोरोना से ठीक हो चुके सभी लोगों से अपील करते हैं कि वे ज्यादा से ज्यादा संख्या में प्लाज्मा डोनेट करने के लिए आगे आएं। प्लाज्मा डोनेट करने से उनके स्वास्थ्य पर किसी तरह का बुरा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन इससे एक से दो सीरियस पेशेंट्स का जान बच जाएगी।

डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल राजकीय दून मेडिकल कॉलेज

Posted By: Inextlive