सीवर चैंबर्स की सिल्ट से एसटीपी को नुकसान का खतरा

आईआईटी रुड़की के एक्सपर्ट खोज रहे समस्या का हल

देहरादून। प्रदेश के कई जिलों में ऐसे एरिया जहां सीवर लाइन नहीं डाली गई, वहां के घरों का सीवर बड़ी मुसीबत बन गया है। घरों से निकले सीवर का मलबे में सिल्ट की अधिकता के चलते सीवर ट्रीटमेंट प्लाट चोक होने का खतरा रहता है। ऐसे में ट्रीटमेंट प्लांट टैंकरों का सीवर रिसीव नहीं करता। ऐसे में टैंकरों से निकाले जा रहे सीवर को नदियों या फिर खुले में छोड़ा जा रहा है। प्रदूषण बढ़ा तो एनजीटी ने सीवर डिस्पोजल के प्रोपर अरेंजमेंट की हिदायत दे डाली। जल संस्थान व इससे जुड़े अन्य विभागों की नींद उड़ गई। ऐसे में अब आईआईटी रूड़की से स्पेशलिस्ट बुलाकर सीवर से सिल्ट की मुसीबत दूर करने का प्रयास किया जा रहा है।

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ये है मामला

डोभालवाला, रायपुर,धर्मपुर, राजपुर रोड, जाखन, चुक्खूवाला, खुड़बड़ा जैसे शहर के पुराने एरियाज में अधिकतर जगह सीवर लाइन नहीं है। इन एरियाज के घरों का सीवर चैंबर्स में कलेक्ट होता है। जिसे जल संस्थान सीवर जेटिंग मशीन से समय समय पर खाली करा टैंकर्स के जरिए खुले में या फिर नालों में छोड़ रहा है। नई बसी कॉलोनियों में भी सीवर लाइन नहीं होने से वहां भी प्राइवेट जेटिंग मशीन वाले सीवर टैंक खाली कर आउटर एरिया में ले जाकर खुले में डाल देते हैं। --

खुले में सीवर

शहरभर में जगह-जगह चैंबरों से खाली किए गए सीवर को छोड़ने की दिक्कत भी यहां बेहद बड़ी है। दरअसल सीवर जेटिंग मशीन वाले इसे चुपचाप रिस्पना, बिंदाल सहित आसपास खुले नालों में छोड़ देते हैं। जिसके चलते प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। नदियां में गंदगी फैल रही है। इसके लिए मना करने के बावजदू भी मनमानी की जाती है। जिसको देखते हुए एनजीटी ने सख्ती दिखाई है।

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अब ये दिक्कत

दरअसल शहरभर के सीवर चैंबरों में काफी मात्रा में सिल्ट भी बहकर आती है। बारिश के पानी की वजह से मिट्टी, गारा, पत्थर सभी कुछ चैंबरों में भर जाता है। ऐसे में सीवेज को शक करने के साथ ही जेटिंग मशीन में सिल्ट भी भर जाती है। ऐसे में यदि इस सिल्ट वाले सीवर को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में छोड़ दिया जाता है तो इससे प्लांट भी डेमेज हो सकता है। यही वजह है कि अब इसके लिए रूड़की आईआईटी के स्पेशलिस्ट की टीम से कारगी के समीप स्थित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का इंस्पेक्शन कराया गया है। इस मसले पर अब टीम की रिपोर्ट का इंतजार जल संस्थान की ओर से किया जा रहा है।

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हेल्पलाइन में होगी कॉल

दरअसल शहरी विकास विभाग की ओर से ये काम किया जाना है। जिसके तहत हेल्पलाइन सेंटर बनाया जाएगा। जहां भी सीवर चैंबर भर जाएंगे। वहां से हेल्पलाइन में मशीन के लिए कॉल की जाएगी। हालांकि अभी इसके रेट आदि निर्धारित नहीं किए गए हैं।

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इन शहरों में है सिल्ट की मुसीबत

देहरादून

डोईवाला

भीमताल

भवाली

बागेश्वर

पिथौरागढ़

श्रीनगर

देवप्रयाग

टिहरी

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सीवर चैंबर्स से मलबे के साथ सिल्ट निकलने से बेहद दिक्कत है। ऐसे सीवर को एसटीपी में छोड़ने से प्लांट डैमेज हो सकता है यही वजह है कि आईआईटी रूड़की के स्पेशलिस्टस की हेल्प ली जा रही है। मनीष सेमवाल, ईई, जल संस्थान

Posted By: Inextlive