- टेंडर की तैयारी पूरी, लेकिन कलेक्ट्रेट शिफ्टिंग का फैसला नहीं

- पहले भी कई बार टल चुका है डीएससीएल का यह ड्रीम प्रोजेक्ट

देहरादून,

देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड का ड्रीम प्रोजेक्ट स्मार्ट कलेक्ट्रेक बिल्डिंग अभी दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। हालांकि, डीएससीएल की ओर से इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। टेंडर प्रक्रिया चल रही है, लेकिन कलेक्ट्रेट से ऑफिसेज को शिफ्ट करना इसमें सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई महीनों की मशक्कत के बाद भी कलेक्ट्रेट परिसर में चल रहे ऑफिसेज के लिए कोई जगह अब तक नहीं मिल पाई है।

नहीं मिल रही जगह

कलेक्ट्रेट परिसर में डीएम, एडीएम, एसडीएम और सिटी मजिस्ट्रेट के ऑफिसेज के साथ ही दो दर्जन से ज्यादा ऑफिस हैं। नई स्मार्ट बिल्डिंग बनाने के लिए फिलहाल कलेक्ट्रेट में मौजूद आधा दर्जन से ज्यादा बिल्डिंग्स में से ज्यादातर को तोड़ने की योजना है। इसके लिए यहां के सभी ऑफिस कहीं अन्यत्र ट्रांसफर करने हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि ज्यादातर ऑफिसेज के मामले में यह तय नहीं हो पाया है कि उन्हें कहां शिफ्ट किया जाए।

यहां शिफ्ट करने की योजना

एडमिस्ट्रेशन के अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्दी ही ऑफिसेज शिफ्ट करने के लिए बिल्डिंग मिल जाएंगी। फिलहाल पूरा फोकस एमकेपी की बिल्डिंग पर है। अधिकारियों को उम्मीद है एमकेपी मैनेजमेंट इसके लिए तैयार हो जाएगा। कुछ ऑफिसेस ननूरखेड़ा स्थित शिक्षा विभाग और कुछ डांडा लखौंड स्थित स्वास्थ्य विभाग की बिल्डिंग्स में शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है। कुछ ऑफिस पुरानी तहसील बिल्डिंग में शिफ्ट करने पर भी विचार हो रहा है।

ठप हो जाएगा काम

अधिकारियों का मानना है कि यदि बिल्डिंग मिल भी जाती हैं तो कई महीने तक कामकाज ठप रहने की संभावना है। अधिकारी कहते हैं कि मौजूद कलेक्ट्रेट पूरी तरह से ऑनलाइन है। कई तरह के रिकॉर्ड भी ऑनलाइन है। कई तरह की वायर, वीसी रूम आदि को दूसरी जगह शिफ्ट करना आसान नहीं होगा। इन्हें शिफ्ट करने में लंबा समय लगा सकता है। बिल्डिंग तैयार होने के बाद इन सभी उपकरणों को वापस शिफ्ट करने में फिर समय लगेगा। इसका अर्थ यह है कि लंबे समय तक सरकारी कामकाज ठप रहेंगे।

डीएससीएल का ड्रीम प्रोजेक्ट

देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट को जल्दी से जल्दी शुरू करने का प्रयास कर रहा है। इस ग्रीन बिल्डिंग के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है। डीएससीएल अधिकारियों का कहना है कि कलेक्ट्रेट परिसर शिफ्ट होने के साथ ही कंस्ट्रक्शन वर्क शुरू कर दिया जाएगा।

पहले लग चुका अडं़गा

डीएससीएल की इस प्रस्तावित ग्रीन बिल्डिंग पर पहले अड़ंगा लग चुका है। लंबे समय तक स्मार्ट कलेक्ट्रेट बिल्डिंग हरिद्वार रोड स्थित रोडवेज की वर्कशॉप पर बनाने की योजना बनाई जाती है। बिल्डिंग के मॉडल को इसी जमीन के आधार पर डिजाइन किया गया था। लेकिन, काफी प्रयास के बाद भी रोडवेज के साथ बात नहीं बनी और आखिरकार डीएससीएल को अपनी योजना में बदलाव करके कलेक्ट्रेट परिसर की पुरानी बिल्डिंग तोड़कर यहां नई बिल्डिंग बनाने की योजना बनानी पड़ी।

पुराने रोडवेज अड्डे पर भी नहीं बनी बात

रोडवेज वर्कशॉप की जमीन के अलावा डीएससीएल ने होटल द्रोण के साथ लगते पुराना रोडवेज बस अड्डे वाली जमीन को भी डेवलप करने की योजना बनाई थी। खाली पड़ी यह जमीन एक प्राइवेट बिल्डर को दी गई थी। बिल्डर ने यहां कंस्ट्रक्शन शुरू किया था, लेकिन यह कॉन्ट्रेक्ट टूट गया। इसके बाद डीएससीएल ने इसे डेवलप करने की योजना बनाई। इसके लिए डीएससीएल बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव भी लाया गया, लेकिन बात नहीं बन पाई। रोडवेज की यह जमीन अब भी खाली पड़ी हुई है।

------

कलेक्ट्रेट को शिफ्ट करने के लिए कुछ बिल्डिंग्स पर विचार किया जा रहा है। जल्दी की अंतिम फैसला किया हो जाएगा। शिफ्टिंग में काम तो प्रभावित होगा ही, क्योंकि कई तरह के उपकरण हैं, जिन्हें शिफ्ट करना है। ऑनलाइन सिस्टम भी प्रभावित होगा।

बीरसिंह बुदियाल, एडीएम प्रशासन

Posted By: Inextlive