कौलागढ़ वार्ड के बाजावाला रोड पर बंद पड़ी स्ट्रीट लाइटों से स्थानीय लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. कई बार नगर निगम से शिकायत करने के बाद भी कोई एक्शन नहीं है.

देहरादून(ब्यूरो) : नगर निगम, ऊर्जा निगम और एफआरआई के फेर में फंस कर करीब दो महीने से भी अधिक समय से कौलागढ़ वार्ड के बाजावाला रोड पर बांस के जंगलों के बीच करीब 30 स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हैं। नगर निगम से कई बार शिकायत की जा चुकी है। लेकिन, कोई सुनने को तैयार नही है। इधर, कौलागढ़, बाजावाला के स्थानीय लोगों ने एफआरआई (फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया) प्रशासन से बाजावाला रोड पर बांस की टहनियों के लॉपिंग के लिए अनुमति दिए जाने की मांग की है।

रात में रहती है दशहत
कौलागढ़, बाजावाला क्षेत्र के लोगों के अनुसार बाजावाला रोड रिजर्व फॉरेस्ट के तहत है। क्षेत्रवासियों की शिकायत है कि क्षेत्र की दिक्कत को देखते हुए जब भी सड़क निर्माण, बिजली मरम्मत जैसे जब भी कोई काम होने होते हैं। तो अक्सर रिजर्व फॉरेस्ट की दिक्कत सामने आ जाती है। इससे दूसरे संबंधित विभाग भी काम नहीं करते हैं। यही कारण है कि बाजावाला रोड पर पिछले कई महीनों से करीब 30 स्ट्रीट लाइटें बंद पड़ी हुई हैं। जहां स्थानीय लोगों के अलावा राहगीरों को अंधेरे में गुजरने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बताया गया है कि पूर्व मेयर विनोद चमोली के शासनकाल में नगर निगम की ओर से इस इलाके में स्ट्रीट लाइटें लगाई गई थीं।

तब गुलदार का था आतंक

उस वक्त इस क्षेत्र में गुलदार का आतंक रहता था। लेकिन, अब इतना समय बीत जाने के बाद अधिकतर समय ये लाइटें बंद ही रहती हैं। बांस और दूसरे पेड़ों के जंगल के कारण यहां से स्थानीय लोगों को गुजरने में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। खासकर रात के वक्त गुलदार समेत अन्य जंगली जानवरों का डर व भय बना हुआ है। उसके अलावा बाजावाला इलाके से गुजर रही बिजली की तारों पर बांस के पेड़ों की टहनियां और बेलें लिपटी हुई हैं। इस वजह से स्ट्रीट लाइट जल नहीं पा रही हैं। जब स्थानीय लोगों ने नगर निगम प्रशासन से इसकी शिकायत की तो उन्हें नगर निगम से जवाब मिलता है कि वे यूपीसीएल से पहले लॉपिंग करा लें। जबकि, यूपीसीएल एफआरआई से लॉपिंग कराने की परमिशन मांगने के लिए कहता है।

यूपीसीएल से भी आग्रह

कुल मिलाकर बाजावाला इलाके में ये स्ट्रीट लाइटें तीन विभागों के बीच मानो फंसकर रह गई हो। जिससे स्थानीय लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इस बावत स्थानीय लोगों ने एफआरआई डायरेक्टर को बांस की झाडिंयों व टहनियों की लॉपिंग कराए जाने की परमिशन दिए जाने के लिए पत्र लिखा है। इसके अलावा क्षेत्रवासियों ने यूपीसीएल के एसडीओ से भी एफआरआई डायरेक्टर से परमिशन लेने के लिए पत्र लिखे जाने का आग्रह किया है।


कई दिनों से विभाग से क्षेत्र की समस्या को देखते हुए आग्रह किया जा रहा है। लेकिन, कोई भी विभाग सुनने का नाम नहीं ले रहा है। एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपी जा रही है।
दर्शन चौहान।

घने जंगल के बीच स्ट्रीट लाइट न होने से स्थानीय लोगों में डर व भय का माहौल बना हुआ है। सबसे ज्यादा दिक्कतें बाजावाला, कौलागढ़ क्षेत्रवासियों को उठानी पड़ रही है। इससे स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
गिरिवर सिंह।

कई बार ऐसा लग रहा है। जिस जंगल वाले इलाके में स्ट्रीट लाइटों को अभाव हो, वहां से रात में गुजरना कितना मुसीबत भरा होगा। लेकिन, विभागों को इसकी कोई परवाह नहीं। कोई सुनने को तैयार नहीं।
पवन डबराल।

एक तो घना जंगल, ऊपर से स्ट्रीट लाइट का अभाव। आखिर लोग इस समस्या से कैसे निजात पाएं। इसको लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को भी कोई परवाह नहीं है। लगातार लोगों में आक्रोश बढ़ते जा रहा है।
सुधीर थापा।

कई बार विभागों से शिकायत की जा चुकी है। स्थानीय लोगों कोई सुनवाई नहीं हो रहा है। कहीं ऐसा न हो लोगों के सब्र का बांध टूट जाए और स्थानीय लोग आंदोलन के लिए बाध्य हो जाएं। लोगों में जंगल के एरिया में स्ट्रीट लाइट न होने से डर बना हुआ है।
विनोद जोशी।
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Posted By: Inextlive