टूरिस्ट्स अब उत्तराखंड में ले सकेंगे एंगलिंग (फिशिंग) का मजा, राज्य सरकार ने इन जगहों के लिए दी परमीशन
DEHRADUN: एडवेंचर स्पोर्ट्स के शौकीन टूरिस्ट को अब स्टेट में एंगलिंग का भी आनंद उठाने को मिलेगा। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्टेट के रिजर्व फॉरेस्ट एरियाज में कुछ शर्तो के साथ अनुमति दिए जाने का फैसला लिया है। ये कहना है पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज का।
एंगलिंग के बाद पानी में छोड़नी होगी फिशपर्यटन मंत्री के अनुसार राज्य के संरक्षित क्षेत्रों के बाहर नदियों व जलाशयों के उपयुक्त क्षेत्रों में एंगलिंग करने के परमिट दिए जाने का निर्णय लिया गया है। इसका लाभ देश-विदेश से आने वाले टूरिस्ट को मिल पाएगा। उत्तराखंड पहुंचने वाले टूरिस्ट अगले वर्ष 31 मार्च तक एंगलिंग का शौक पूरा कर सकेंगे। इसके लिए सरकार की ओर से आदेश भी जारी कर दिया गया है। लेकिन यह भी स्पष्ट किया गया है कि एडवेंचर टूरिज्म का शौक रखने वाले टूरिस्ट को फिश एंगलिंग के बाद तत्काल मछली को पानी में छोड़ना होगा। मछली के शिकार की अनुमति नहीं होगी। नियमों के अनुसार टूरिस्ट को इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि मछली को किसी प्रकार का नुकसान न पहुंचे। एंगलिंग की परमिशन सूर्योदय व सूर्यास्त के दौरान ही मिल पाएगी।
इन नदियों में मिली परमिशन: -शारदा नयार -टोंस डोडीताल -अस्सी गंगा -गंगा नदियां -व्यास घाट -कोसी -कोठारी प्वाइंटर्स-एंगलिंग से संबंधित सभी परमिट देने या कैंसल करने का अधिकार डीएफओ के पास रहेगा।
-हर तय जलाशय पर केवल एक ही टूरिस्ट एंगलिंग के लिए जा सकेगा। -इस दौरान टूरिस्ट के साथ उसके सहायक व गाइड भी रहेंगे मौजूद। -दूसरे किसी अन्य व्यक्ति को अनुमति नहीं होगी। -टूरिस्ट को शांति व्यवस्था भी बनाए रखनी होगी। -नियमानुसार ज्यादा हिलने-डुलने की अनुमति नहीं होगी। -इसके लिए ड्रैस होगी, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना होगा। -मछली पकड़ कर उसे साफ गीले बोरे में संभाला जाए, फिर पानी में छोड़ना होगा। -परमिट धारक को वन और वन्य जीवन नियम-कानूनों का पूरा ध्यान रखना होगा। -किसी प्रकार की प्रॉब्लम आने पर देनी होगी तत्काल सूचना। -केवल रॉड (बंसी/बल्सी) से ही मछली पकड़ी जा सकेगी।