-फल-फूलों की बरसात के बीच चले पत्थर भी, आठ मिनट तक हुई बग्वाल

-मां बाराही के जयकारे के साथ बग्वाल समाप्त होते ही गले मिले योद्धा

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चम्पावत : मां बाराही धाम देवीधुरा मंदिर प्रांगण में रविवार को आठ मिनट तक बग्वाल चली। फल व फूलों के साथ बीच-बीच में पत्थर भी चलाए गए। इसमें 75 बग्वाली वीर और दर्शक दीर्घा में बैठे कुछ लोग मामूली रूप से चोटिल हुए।

चार खामों के जत्थे शामिल

सुबह बाराही मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद खोलीखाड़ दुबाचौड़ मैदान में बग्वाल खेलने के लिए वालिक, चम्याल, लमगडि़या तथा गहरवाल खामों के अलावा सात थोकों के जत्थे मां बाराही के जयकारों के साथ तरकश में नाशपाती तथा हाथ में बांस से बनी ढाल (फर्रे) से सुसज्जित होकर पहुंचे। पुजारी का आदेश मिलते ही 11 बजकर दो मिनट पर दोनों ओर से फल और फूल फेंके जाने लगे। कुछ देर बाद पत्थर भी चलने लगे जिससे चारों खामों के 75 बग्वाली वीर घायल हो गए। 11 बजकर 10 मिनट में पुजारी ने शंखनाद कर बग्वाल रोकने का आदेश दिया।

आठ मिनट चली बग्वाल

लगभग आठ मिनट तक चली बग्वाल के बाद दोनों तरफ के योद्धाओं ने एक-दूसरे की कुशलक्षेम पूछी और गले मिले। बग्वाल में घायलों का स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उपचार किया। आयोजन में विधायक भीमताल राम सिंह कैड़ा, मेला समिति अध्यक्ष खीम सिंह लमगडि़या, गहड़वाल खाम के मोहन सिंह, लमगडि़या खाम के वीरेंद्र सिंह लमगडि़या, चम्याल खाम के गंगा सिंह चम्याल, वालिक खाम के बद्री सिंह बिष्ट आदि मौजूद रहे।

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बिच्छू घास से भी हुआ घायलों का उपचार

देवीधुरा बग्वाल युद्ध में घायल 75 योद्धाओं का उपचार बिच्छू घास से भी किया गया। मान्यता है कि पत्थर लगने से घायल व्यक्ति के घाव पर बिच्छू घास लगाने से वह जल्दी ठीक होता है। वर्षो पूर्व जब युद्ध में घायलों के उपचार के लिए स्वास्थ्य सुविधा नहीं थी तब चोट की जगह बिच्छू घास लगाई जाती थी। यह परंपरा आज भी यथावत है।

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सुबह से ही मंदिर में हुई पूजा अर्चना

मां बाराही मंदिर में सुबह छह बजे से पूजा अर्चना शुरू हो गई थी। पुरोहितों ने मंदिर में गणेश पूजा, मातृ पूजा, कलश पूजा, रक्षा दान, भ्रद पूजन, ऋषि तर्पण, महामाया जगदंबा व बग्वाल पूजन किया गया।

Posted By: Inextlive