-आशा वर्कर घर तक पहुंचा रही दवा

- टीबी के सिम्प्टम होने पर कर सकते हैं कॉन्टेक्ट

देहरादून। कोरोना संक्रमण के दौर में टीबी के पेशेंट्स को दवा की कमी न हो इसके लिए डॉट (डायरेक्टली ऑब्जर्वड थेरेपी) लगातार काम कर रहा हैं। पेशेंट्स को घर-घर दवा पहुंचाई जा रही है। इसके साथ ही किसी में टीबी के लक्षण मिलने पर उनकी जांच कर उपचार भी शुरू किया जा रहा है। टीबी के पेशेंट को ट्रेस करने से लेकर उनके उपचार का भी ध्यान रखा जा रहा है।

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यहां के सबसे ज्यादा पेशेंट

-देहरादून

-नैनीताल

-हरिद्वार

-उधमसिंहनगर

25 हजार की पहचान का टारगेट

केन्द्र की योजना के तहत टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए मिशन का इस वर्ष का टारगेट 25 हजार से अधिक टीबी पेशेंट को आइडेंटीफाई कर उन्हें ठीक करने का था। कोरोना के चलते जहां हॉस्पिटल में पेशेंट पहुंच नहीं रहे और प्राइवेट हॉस्पिटल ने भी काम करना बंद कर दिया था। इसके कारण प्रदेश में 14 हजार टीबी पेशेंट को आइडेंटीफाई किया गया है।

उत्तराखंड में है 95 डॉट्स सेंटर

भारत सरकार के टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए 95 डॉट्स सेंटर हैं। जहां पर टीबी संक्रमित की जांच होती है और यहां से इनका ट्रीटमेंट भी शुरू होता है।

कोरोना कंट्रोल में जुटी है टीम

कोरोना संक्रमण के चलते मिशन की टीम इन दिनों कोरोना संक्रमण की ड्यूटी में जुटी हुई है। इससे मैनपावर की भी परेशानी हो गई है। जिससे पेशेंट को आइडेंटीफाई नहीं किया गया।

यह हैं सिम्प्टम्स

-लंबे समय से खांसी

-लगातार वजन कम होना

-भूख कम लगना

-लो गे्रड फीवर, खासकर शाम को।

लंग्स में टीबी सबसे ज्यादा कॉमन

टीबी के सबसे ज्यादा पेशेंट्स लंग्स टीबी के होते हैं। जबकि बोन टीबी के कुछ ही पेशेंट सामने आ रहे हैं।

टीबी के पेशेंट को कोरोना से खतरा ज्यादा

कोविड के चलते टीबी के पेशेंट को ज्यादा परेशानी हो सकती है। लंग्स में पहले से इन्फेक्शन होने से कोरोना संक्रमण जानलेवा हो सकता है।

मास्क पहनना जरूरी

टीबी के पेशेंट को मास्क पहनना बेहद जरूरी है। जिससे वह टीबी इन्फेक्शन फैलाने से बचा सकता है। इसके साथ ही खुद को भी कोरोना से बचा सकता है।

ऐसे कर सकते हैं सम्पर्क

कोरोना संक्रमण के दौरान अगर किसी में भी टीबी के लक्षण दिखे तो वह 104 नम्बर पर कॉल कर सकता है। कॉल मिलने के बाद डॉक्टर को इन्फॉर्म किया जाता है। इसके बाद टीम पेशेंट की मदद के लिए संपर्क करती है।

कोरोना काल में घरों में पहुंचा रहे दवा

कोरोना काल में कोई भी टीबी का पेशेंट है तो इन पेशेंट को मिशन की ओर से दवाईयां पहुंचाई जा रही हैं। ताकि उनका ट्रीटमेंट किसी भी हाल में प्रभावित न हो।

टीबी के साथ कोरोना की भी जांच

कोरोना संक्रमण के दौर में टीबी के टेस्ट के साथ कोरोना की भी जांच की जा रही है। ताकि पेशेंट को सही इलाज व मॉनिटर किया जा सके।

अर्बन एरिया में टीबी के फैलने का खतरा

टीबी होने का खतरा सबसे ज्यादा अर्बन एरिया में हो सकता है। डॉक्टर के अनुसार पहाड़ों में स्वस्थ वातावरण होता है। ऐसे में इन्फेक्शन का रिस्क भी कम होता है। जबकि अर्बन एरिया में टीबी के फैलने का खतरा ज्यादा होता है। यहां अगर एक व्यक्ति को टीबी है तो वह 15 अन्य को भी फैला सकता है।

दी जाती है राहत राशि

टीबी पेशेंट को भारत सरकार की ओर से हर माह पोषण के लिए 500 रुपये राहत राशि दी जाती है। यह राहत राशि पेशेंट के पूरी तरह स्वस्थ होने तक दी जाती है। लेकिन यह राशि पेशेंट के बैंक अकाउंट में ली जाती है। ताकि इस पैसे से वह दवा के साथ वह अच्छा खाना भी खा सके।

तीमारदार को भी मिलती है राशि

टीबी के पेशेंट की देखभाल करने वाले अटेंडेट को भी उसकी सेवा के लिए भारत सरकार की ओर हर माह 1000 रुपये दिए जा रहे हैं। ताकि वह पेशेंट की देखभाल कर उसे ठीक करने में मदद कर सके।

टीबी के पेशेंट को कोरोना संक्रमण के बीच भी लगातार दवा पहुंचाई जा रही है। ताकि किसी भी टीबी पेशेंट का ट्रीटमेंट न रुके।

डॉ। मयंक बुडोला, स्टेट टीबी ऑफिसर उत्तराखंड

Posted By: Inextlive