ड्रग्स तस्करी के यूपी लिंक का एक बार फिर खुलासा हुआ है। खास बात यह है कि यह तस्करी एक हॉस्पिटल की आड़ में की जा रही थी। एसटीएफ ने इस तस्करी का खुलासा किया है। रुड़की के एक प्राइवेट हॉस्पिटल के दो कर्मचारियों को नशीली दवाओं की तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बताया जाता है दोनों आरोपी यूपी से नशीली दवाइयां लाकर हरिद्वार और देहरादून में सप्लाई करते थे। उनके पास से नशीली टैबलेट का बड़ा जखीरा भी बरामद किया गया।

देहरादून (ब्यूरो)। एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि एसटीएफ को रुड़की के एक हॉस्पिटल मालिक द्वारा यूपी से नशे की टैबलेट लाकर उत्तराखंड में बेचे जाने की सूचना मिली थी। कुछ दिन तक हॉस्पिटल की गतिविधियों पर नजर रखने के बाद एसटीएफ की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने थाना गंगनहर के सालियार रोड के पास से एक व्यक्ति वलीम अहमद पुत्र इरफान अली निवासी हरजोली झोझा थाना झबरेड़ा और अमान अंसारी पुत्र मोहम्मद युसूफ निवासी पिरान कलियर को एक कार से नशीली दवाइयां ले जाते पकड़ लिया। उनके पास से 28 हजार 800 नशीली दवाइयां बरामद की गई।

दोनों निकले हॉस्पिटल कर्मी
पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वे दोनों गणेशपुर रुड़की स्थित दीपशिखा हॉस्पिटल में काम करते हैं। वे हॉस्पिटल के मालिक के साथ मिलकर देवबंद यूपी से नशीली दवाइयां लाकर उत्तराखंड में बेचते हैं। एसटीएफ के अनुसार अब हॉस्पिटल के मालिक को गिरफ्तार करने के प्रयास किये जा रह हैं।

तस्करी का यूपी लिंक
यह पहली बार नहीं है, जबकि यूपी से नशे की टेबलेट की तस्करी का मामला सामने आया हो। पुलिस और एसटीएफ सहित सभी एजेंसियों को इस बात की जानकारी है कि नशीली की दवाओं की सबसे ज्यादा आपूर्ति उत्तराखंड के यूपी के देवबंद से ही होती है। एजेंसिंयों को इस बात की भी जानकारी है कि देवबंद और यूपी के आसपास के कस्बों से पंजाब तक में नशीली दवाओं की तस्करी हो रही है। इसके बावजूद आज तक देवबंद की इन दवा विक्रेताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। पुलिस और अन्य संबंधित एजेंसियां बीच-बीच में कार्रवाई करती हैं, लेकिन नशे का तस्करी की सिलसिला थमता नहीं है।

उठाने होंगे कठोर कदम
पुलिस और एसटीएफ छोटे-बड़े ड्रग्स तस्करों को गिरफ्तार कर इस तरह की कार्रवाई को 2025 तक उत्तराखंड को नशामुक्त करने के राज्य सरकार के अभियान से जोड़ती तो है, लेकिन पकड़े गये तस्कर जमानत मिलने के बाद फिर से तस्करी में लिप्त न हों, इसके लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाई। यही वजह है कि अक्सर पुलिस और एसटीएफ के हाथ ऐसे तस्कर आते हैं, जो पहले भी नशा तस्करी के आरोप में जेल काट चुके होते हैं। साफ है कि इस तरह के अपराधी एक बार फिर जमानत मिलने के बाद फिर से तस्करी शुरू करेंगे। ऐसे आदतन आरोपियों को नशा तस्करी से दूर रखने का कोई ठोस वर्कप्लान संबंधित एजेंसियों के पास नहीं है, जिससे से 2025 तक उत्तराखंड को नशा मुक्त करने के संकल्प को पूरा किया जा सके।

एसएसपी ने की अपील
एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने लोगों से अपील की है कि नशे से दूर रहें। किसी भी प्रकार के लालच में आकर नशा तस्करी न करें। नशा तस्करी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए निकटतम पुलिस स्टेशन या एसटीएफ उत्तराखंड से संपर्क करें। उन्होंने कहा कि एसटीएफ लगातार ड्रग्स-फ्री देवभूमि अभियान के तहत कार्रवाई जारी रखेगी।

Posted By: Inextlive