दून में पेड़ों को काटने की योजना के विरोध में युवा संडे को फिर सड़कों पर उतरे। सहस्रधारा रोड स्थित खलंगा स्मारक पर हल्ला बोल कार्यक्रम में युवाओं ने पेड़ नहीं तो वोट नहीं नारा बुलंद किया और किसी भी हाल में दून के पेड़ न काटने देने का संकल्प लिया।

देहरादून (ब्यूरो)। दरअसल दून में मसूरी बाईपास को चौड़ा करने की योजना तैयार की गई है। इस योजना के तहत सहस्रधारा रोड पर 2200 पेड़ काटे जाने हैं। दून के दर्जनभर संगठन और इन संगठनों से जुड़े युवा लगातार पेड़ काटने का विरोध कर रहे हैं। संडे को फिर इन संगठनों के लोग सहस्रधारा रोड पर जमा हुए और प्रदर्शन किया। संगठनों ने अब डीएम के दफ्तर पर प्रदर्शन करने की जरूरत बताई है।

कई संगठन हुए शामिल
इस हल्ला बोल की कॉल सिटीजंस ऑफ ग्रीन दून ने की थी। प्रदर्शन में कई अन्य संगठनों ने भी हिस्सा लिया। इनमें फ्रेंड्स ऑफ दून, खुशियों की उड़ान, तितली ट्रस्ट, ईको गु्रप, बीटीडीटी, आईडीईएएल, प्राउड पहाड़ी सोसायटी, द अर्थ इंनिशिएटिव, एसडीसी फाउंडेशन, वेस्ट वॉरियर्स आदि ने हिस्सा लिया। पर्यावरण को लेकर ये संगठन दून में लगातार सक्रिय है।

दिल्ली से पहुंचा दंपति
एक युवा दंपति इस हल्ला बोल में शामिल होने के लिए दिल्ली से देहरादून पहुंचा। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से बातचीत में अंकिता ने बताया कि उन्हें सोशल मडिया से इस कार्यक्रम के बारे में पता चला तो वह अपने पति के साथ सुबह दिल्ली से चलकर दून पहुंची है। अंकिता का कहना है कि दिल्ली में अब हालात रहने लायक नहीं रह गये हैं। दिल्ली को बचाने के लिए पहाड़ के जंगलों को बचाना जरूरी है। पहाड़ों में पेड़ कटने से न सिर्फ पहाड़ों का नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे दिल्ली भी प्रभावित होगी। यही सोचकर वे दिल्ली से चलकर इस प्रदर्शन में शामिल होने आये हैं।

जड़ वाले पेड़ नहीं काटते
द अर्थ इनिशिएटिव की डॉ। आंचल शर्मा दून में लगातार पर्यावरण संबंधी मुद्दों को लेकर सक्रिय रहती हैं। प्रदर्शन में हिस्सा लेने आई डॉ। आंचल ने कहा कि जिनकी जड़ें होती हैं, वे पेड़ नहीं काटते। हर जड़ वाले व्यक्ति को पेड़ों को बचाने के लिए आगे आना होगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो विकास के नाम पर सब कुछ खत्म हो जाएगा।

जनगीत गा कर विरोध
हल्ला बोल कार्यक्रम में युवाओं ने जनगीत गाकर भी विरोध दर्ज किया। जन कवि बल्ली सिंह चीमा के जन गीत साथी जल, जंगल, जमीन का बचना बहुत जरूरी है, इसीलिए अंधे विकास से लड़ना बहुत जरूरी है, जैसे गीत के साथ कई मुखड़े जोड़ कर युवाओं ने जनगीत गाये। प्रदर्शनकारी युवा अपने हाथों में नारे लगी तख्तियां लिये हुए थे। इसके अलावा प्रदर्शन स्थल पर जंगल और पर्यावरण बचाने के स्लोगल लिखे पोस्टर और बैनर लगाये गये थे।

Posted By: Inextlive