रांची: कहीं आपके वकील साहब का लाइसेंस कैंसिल न हो जाए। जी हां, इसकी आशंका गहरा गई है। वकालत का लाइसेंस लेकर घर बैठने वाले या वकालत की आड़ में कई तरह के धंधों, जमीन दलाली, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन का भी व्यवसाय करने वाले वकील अब इस पेशे से आउट होंगे। उन्हें वकालत करने की छूट नहीं मिल पाएगी। बार काउंसिल ऐसे वकीलों पर सख्ती के मूड में है। उसने निर्णय लिया है कि निबंधित वकील नियमित प्रैक्टिस कर रहे हैं या नहीं इसकी जांच की जाएगी और यह पता लगाया जाएगा कि उनका प्रमाणपत्र और निबंधन सही है या नहीं। वर्ष 2010 के बाद प्रैक्टिस शुरू करने वाले नए वकीलों को नियमित प्रैक्टिस का प्रमाण देना होगा। पिछले तीन साल के कोर्ट के आदेश की प्रति देनी होगी, जिसमें उन्होंने बहस की है। इसके साथ ही संबंधित जिला बार संघों से नियमित प्रैक्टिस करने का जारी किया जाने वाला प्रमाणपत्र भी देना होगा। राज्य के वकीलों के प्रमाणपत्र और लाइसेंस की यह जांच जल्द शुरू की जाएगी। इस दौरान जिनके प्रमाणपत्र और निबंधन सही नहीं पाए जाएंगे, उनके लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे।

दो साल पहले हुई थी जांच

दो साल पहले भी बार काउंसिल की ओर से प्रमाणपत्रों की जांच की गई थी। इसमें सभी वकीलों ने जांच करने के लिए आवेदन नहीं दिया था जबकि कुछ ने समय की मांग की थी। लेकिन झारखंड राज्य बार काउंसिल ने जांच प्रक्रिया फिर शुरू करने का निर्णय लिया है।

वर्ष 1976 बनेगा आधार

इसके लिए वकीलों को तीन कैटेगरी में रखा गया है। जिन्होंने एक जनवरी 1976 से पहले लॉ किया है, उनको अपने वेरीफिकेशन फार्म के साथ सिर्फ इनरोलमेंट सर्टिफिकेट देना होगा, जबकि एक जनवरी 1976 के बाद लॉ करने वाले वकीलों को अपने वेरीफिकेशन फॉर्म के साथ लॉ की डिग्री और इनरोलमेंट के दस्तावेज भी देने होंगे। वहीं, एक जुलाई 2010 के बाद लॉ करने वाले अधिवक्ताओं को वेरीफिकेशन फॉर्म के साथ लॉ की डिग्री, इनरोलमेंट सर्टिफिकेट और ऑल इंडिया बार परीक्षा के रिजल्ट की कॉपी भी देनी होगी।

842 के पास ही इनरोलमेंट नंबर

झारखंड बार काउंसिल के अनुसार राज्य में 1976 से पहले लॉ करने वाले वकीलों की संख्या 842 है। इन वकीलों को अब सिर्फ अपना इनरोलमेंट नंबर देना होगा। इनमें से कई वकीलों ने कहा था कि उनके पास लॉ की डिग्री सुरक्षित नहीं है, इस कारण इनके लिए यह विकल्प दिया गया है।

लाइसेंस सस्पेंशन पर ही पेंशन

झारखंड बार काउंसिल की ओर से पेंशन स्कीम शुरू की गई है। न्यूनतम दस साल की प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को पेंशन का लाभ देने का प्रावधान है। पेंशन लेने के लिए वकीलों को अपना लाइसेंस निलंबित कराना पड़ता है। अब तक 211 वकीलों ने ही अपना लाइसेंस निलंबित कराया है। इन्हें प्रतिमाह सात हजार रुपए पेंशन दी जा रही है।

वर्जन

यह सतत प्रक्रिया है। वकील होने के नाम पर कई लोग कई तरह के धंधों में लिप्त हो रहे हैं जिसकी लगातार शिकायतें आ रही हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए प्रमाणपत्रों के जांच के साथ सख्ती की कार्रवाई की जा रही है।

एडवोकेट कुन्दन प्रकाशन

सचिव

डिस्ट्रीक्ट बार काउंसिल

Posted By: Inextlive