- महापौर ने कहा, नहीं सहा जाएगा वंदे मातरम का अपमान

- कार्यकारिणी के लिए उपाध्यक्ष चुनी गईं रेनू गुप्ता

मेरठ। महापौर द्वारा राष्ट्रगीत के अपमान को लेकर विरोधियों को दी गई चेतावनी का असर सोमवार को नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक में देखने को मिला। राष्ट्रगीत का विरोध करने वाले तीनों कार्यकारिणी सदस्य मुस्लिम पार्षद राष्ट्रगीत के समाप्त होने के बाद सदन में पहुंचे। हालांकि उन्होंने इसे किसी विवाद से बचने की वजह बताया है। वहीं महापौर ने कड़े तेवर दिखाते हुए भविष्य में कभी भी सदन या सड़क पर राष्ट्रगीत का अपमान करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की बात कही है।

महापौर ने दी थी चेतावनी

सोमवार को नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक प्रस्तावित थी। रविवार को मेयर हरिकांत अहलुवालिया ने इस बार वंदे मातरम का अपमान करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की चेतावनी दी थी। जिसके बाद सभी की निगाहें सोमवार को होने वाली नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक पर टिकी थीं।

महापौर ने किया आधा घंटा इंतजार

बैठक का समय सुबह 11 बजे से निर्धारित था। पूर्व निर्धारित समय के अनुसार नगरायुक्त देवेन्द्र सिंह कुशवाहा और अन्य अधिकारी समय से टाउन हॉल पहुंच गए। विक्टोरिया पार्क कांड मृतकों के श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल होने के कारण महापौर हरिकांत अहलुवालिया आधे घंटा देरी से बैठक में पहुंचे। इसके बावजूद उन्होंने लगभग आधा घंटे तक सभी पार्षदों के आने की प्रतीक्षा की। कार्यकारिणी के नौ भाजपा और समर्थक सदस्य पार्षद अशोक प्रधान। सेंहसरपाल। रश्मी तेवतिया। आशु। दिनेश चौधरी। रेनु गुप्ता। राकेश शर्मा। हरीश और तहसीन अंसारी समय पर मौजूद रहे। लेकिन वंदे मातरम के विरोधी तीन कार्यकारिणी सदस्य पार्षद काफी प्रतीक्षा के बाद भी नहीं पहुंचे। जिसके बाद वंदे मातरम का गान हुआ। जिसमें सभी मौजूद पार्षद व अधिकारियों ने खड़े होकर राष्ट्रगीत का गान किया। वंदे मातरम की समाप्ति होते ही पार्षद शाहिद अब्बासी। आरिफ अंसारी और आदिल सदन में पहुंच गए। जिसके बाद विक्टोरिया पार्क अग्निकांड में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रखा गया और बैठक की शुरूआत हुई।

उपाध्यक्ष का चुनाव

कार्यकारिणी की बैठक में बोर्ड के उपाध्यक्ष का चुनाव होना था। जिस पर पहले से ही पार्षद रेनु गुप्ता के नाम सभी लोग सहमती बना चुके थे। जैसे की इस संबध में घोषणा की गई तो सपा पार्षद शाहिद अब्बासी ने उपाध्यक्ष पद पर चुनाव की मांग करते हुए हंगामा कर दिया, जिसके बाद नगरायुक्त देवेंद्र सिंह कुशवाहा ने उनकी मांग को जायज बताते हुए दिनेश यादव को चुनाव अधिकारी नियुक्त करते हुए तुरंत चुनाव कराने की जिम्मेदारी सौंपी। सोमवार को दो बजे चुनाव हुआ। जिसमें रेनू गुप्ता उपाध्यक्ष पद पर विजय हुई।

आय-व्यय के ब्यौरे पर सवाल

निगम के एफसी ने 2016-17 का ब्यौरा कार्यकारिणी के सदस्यों के समक्ष रखा। उन्होंने बताया कि निगम के पास राजस्व लेखा के रूप में 27660.05 लाख है जबकि पूजीं लेखा 9150 लाख है। जबकि उच्चन्त लेखा 5 लाख। बताया कि अवशेष 11307 लाख रहते कुल 48112.06 करोड़ का बजट निगम का होता है। यह बजट 31 मार्च से पूर्व शासन को भेज दिया गया है।

बजट पर हुआ विरोध

कार्यकारिणी सदस्यों में सपा, भाजपा, बसपा व तीसरे मोर्चे के 12 सदस्य हैं। सभी ने कार्यकारिणी सदस्यों की बगैर अनुमति के बजट शासन को भेजने का विरोध किया। इस पर एफसी ने बताया कि नगर निगम कर्मचारियों के पास 31 मार्च की क्लोजिंग थी। इसीलिए वेतन से पूर्व बजट शासन को भेजना हमारी मजबूरी थी। इसका विरोध किया और आगे इसकी पुनरावृत्ति न होने की बात कही।

सफाई कर्मचारियों पर उठे सवाल

पार्षद पंकज कतीरा, गौरव नामदेव आदि ने स्वास्थ्य अधिकारी कुंवरसैन से 2215 संविदा कर्मचारियों की डयूटी का ब्यौरा मांगा। साथ ही 149 और 50 सफाई कर्मचारियों की भर्ती किस मद्द में की गई है इसकी बाबत जानकारी मांगी। स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि सभी सफाई कर्मचारियों को आउटसोर्सिग पर नगरायुक्त के आदेश के बाद रखा गया। इस पर पंकज कतीरा ने कहा कि निगम में 80 वार्ड हैं, करीब 2215 सफाई कर्मचारी आउटसोर्सिग पर हैं। एक हजार सफाई कर्मचारी स्थायी हैं। ऐसे तो 30 सफाई कर्मचारी प्रत्येक वार्ड में होने चाहिए, जबकि किसी वार्ड में 20 हैं तो किसी में छह। इनकी तैनाती कहां-कहां हैं। इस सवाल पर स्वास्थ्य अधिकारी बगले झांकते नजर आये। नगरायुक्त ने स्वास्थ्य अधिकारी को हड़काते हुए कहा कि इनका ब्यौरा जल्द से जल्द मुझे और पार्षदों को भेज दिया जाना चाहिए।

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पहले से चल रहा है विवाद

दरअसल 28 मार्च को टाउन हॉल में आयोजित नगर निगम की बोर्ड बैठक में कुछ मुस्लिम पार्षदों ने हमेशा की तरह वंदे मातरम शुरू होते ही सदन से वॉक आउट कर दिया। जिस पर हंगामा करते हुए भाजपा पार्षदों ने राष्ट्रगीत का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। महापौर हरिकांत अहलुवालिया ने भी वंदे मातरम के दौरान विरोध करने वालों पर कार्यवाही की चेतावनी दी थी। जिसके बाद यह मुद्दा राष्ट्रगीत स्तर पर गूंजा। महापौर ने इस मामले में विधिक राय लेने के बाद आगे की कार्यवाही की बात कही थी।

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नहीं सहेंगे राष्ट्रगीत का अपमान

मैंने सदन में राष्ट्रगीत का अपमान करने वालों के खिलाफ कार्यवाही की चेतावनी दी थी, जिसका सीधा असर कार्यकारिणी की बैठक में देखने को मिला और राष्ट्रगीत के विरोधी विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा सके। भारतीय संविधान में राष्ट्रगीत को राष्ट्रगीत के समान ही सम्मान का दर्जा दिया गया है। चाहे सदन हो सड़क राष्ट्रगीत का अपमान किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

हरिकांत अहलूवांिलया, महापौर

हम नहीं चाहते किसी तरह का विवाद

हम किसी विवाद में पड़ना नहीं चाहते इसलिए राष्ट्रगीत के समय सदन में मौजूद ही नहीं थे। उनका कहना है कि राष्ट्रगीत का गान करने के लिए किसी को बाध्य नहीं किया जा सकता। राष्ट्रगीत के समय वह सभी लोग मौजूद रहते हैं और राष्ट्रगीत गाते भी हैं। क्योंकि राष्ट्रगीत का सम्मान करना हर भारतीय की जिम्मेदारी है।

शाहिद अब्बासी, नेता सपा पार्षद दल नगर निगम

वंदे मातरम गाने में उनको दिक्कत कहां हो रही है। वह कह रहे हैं हमारा धर्म इस बात की इजाजत नहीं देता। यह बात गलत है। धर्म में कहीं नहीं लिखा कि वंदे मातरम नहीं गाया जाए। जानबूझकर यह वंदे मातरम का विरोध कर रहे हैं। महापौर से इनकी सदस्यता रद्द करने की मैंने मांग की है।

तहसीन अंसारी, भाजपा पार्षद वार्ड 62

Posted By: Inextlive