स्मार्टनेस की दौड़ में पिछड़ता जा रहा है अपना शहर बनारस

शहर में हुए डेवलेपमेंट के आधार पर हुए इम्तेहान में बनारस को मिले 82.5 पॉइंट्स, रैंक हुई छठी

-जेएनएनयूआरएम के छह प्रोजेक्ट्स में दो पर ही हुआ काम, वो भी आधा-अधूरा

VARANASI

वाराणसी के सांसद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वाराणसी की पब्लिक को काफी उम्मीद है। अपने शहर वाराणसी को स्मार्ट सिटी के रूप में देखने का सपना कई लोगों ने देखा है लेकिन ये सपना सच में तब्दील हो पाता है या नहीं, यह विकास कार्य के होने पर डिपेंड करेगा। वाराणसी स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में पहली पायदान पर होता लेकिन ये खिसक कर छठे स्थान पर आ गया है। इसके पीछे शहर में चल रही कई बड़ी योजनाओं का हाथ है। इस योजना में काशी को क्0 में से जीरो मा‌र्क्स मिले हैं।

स्मार्ट सिटी की घोषणा जुलाई-ख्0क्ब् में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। इसके लिए केंद्र सरकार से 98 हजार करोड़ रुपये का बजट पास हुआ। इसमें देश के सभी राज्य से सौ शहरों को सेलेक्ट किया गया था। इसमें पहले फेज में ख्0 शहरों के डेवलपमेंट का काम शुरू किया जाना था। इसके लिए हर शहर को सौ-सौ करोड़ रुपये रिलीज किया गया है।

जेएनएनयूआरएम ने दिया झटका

एग्जाम में कम नंबर मिलने पर काफी तकलीफ होती है। शहर में पिछले काफी वक्त से चल रही महत्वाकांक्षी योजना जेएनएनयूआरएम से स्मार्ट सिटी को झटका लगा है। इसके तहत छह योजनाएं चल रही हैं लेकिन इसमें काम सिर्फ दो योजनाओं में हुआ है वह भी आधा-अधूरा ही। इसके चलते स्मार्ट सिटी की क्लास में वाराणसी को सौ में से 8ख्.भ् नंबर मिले थे। इसमें दस नंबर जेएनएनयूआरएम के मिलने थे। जिसमें एक भी नंबर मिला ही नहीं।

क्या हैं छह प्लैन

छह प्रोजेक्ट में सीवेज प्लांट, ट्रांस वरुणा सीवेज प्लान, स्टार वाटर ड्रेनेज, वाटर सप्लाई प्रॉयरिटी फेज वन और फेज टू, वाटर सप्लाई ट्रांस वरुणा और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम है। इनमें से सीवेज और वाटर सप्लाई प्लैन पर काम हुआ है। लेकिन सच्चाई यह है कि इन दोनों कामों को भी आधा ही किया गया है। आधी-अधूरी तैयारी के साथ वाराणसी ने स्मार्ट सिटी की रेस में छठा स्थान पाया।

किन प्लान पर होना है काम

देश की पौराणिक और सांस्कृतिक राजधानी काशी को स्मार्ट बनाने के लिए घाटों का सौंदर्यीकरण, फिल्म सिटी का निर्माण और बॉटनिकल गॉर्डन बनाने का प्लैन है। इसके अलावा संगीत की जन्मस्थली मानी जाने वाली काशी में शास्त्रीय संगीत के लिए सेंटर भी बनना है। स्मार्ट सिटी प्लैन में बुनकर, हस्त शिल्प उद्योग के लिए भी योजनाएं है और डेवलेपमेंट किया जाना है।

परिवहन में होना है स्मार्ट

शहर को परिवहन की नजर में भी स्मार्ट बनाया जाना है। लेकिन जेएनएनयूआरएम की ओर से संचालित होने वाली बसों का बुरा हाल है। शहर को करीब ब्0 बसें दी गई थीं। जिनमें से चलने वाली बस कुछ ही सही सलामत हैं। इनका मेनटेनेंस भी परिवहन विभाग को भारी पड़ रहा है।

हर प्लैन में है फाल्ट, कै से होंगे स्मार्ट?

सिटी में जितनी भी योजनाएं चल रही हैं, उन सभी में किसी न किसी तरह का फाल्ट सामने आता है। इन खामियों के चलते शहर कैसे स्मार्ट बन सकता है। सिटी की सबसे बड़ी समस्या सडकें हैं। इसके लिए भी स्मार्ट प्लैन केंद्र की ओर से बनाया गया है लेकिन अभी तक इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ज्यादातर सड़कें खस्ता हाल ही है और उनके उद्धार के लिए कोई पहल नहीं हो रही है। सीवर की पाइप लाइन बिछायी जा चुकी है लेकिन स्टार्ट नहीं हो सकी है क्योकि ट्रीटमेंट प्लांट अभी तक नहीं बन पाया है। ओवर हेड टैंक बना दिया गये हैं लेकिन कई लीक कर रहे है। कुछ पर गिरने का खतरा मंडरा रहा है। इन्हें दोबारा बनाये जाने का प्रस्ताव आ चुका है।

यूपी के कौन सी सिटी वाराणसी से आगे

वाराणसी को स्मार्ट सिटी के छठे पायदान पर रखा गया है। इससे ऊपर वे शहर है जिनमें जेएनएनयूआरएम प्लैन नहीं चल रहे हैं। इनमें मुरादाबाद, झांसी, अलीगढ़, सहारनपुर हैं। इसके बाद बरेली और फिर वाराणसी है और उसके बाद स्टेट के सात और शहर हैं।

Posted By: Inextlive