Varanasi; सोसाइटी के लिए ये खबर अलार्मिंग है. जी हां आज का यूथ हांफ रहा है. उसके फेफड़ों की ताकत घट रही है. जरा सी मेहनत उसके सांसों को फुला दे रही है. यह सब हो रहा है उसकी अपनी आदतों के चलते. स्मोकिंग हैबिट से खुद कम कर ली है अपनी जिंदगी. सिगरेट का हर कश उसे ले जा रहा है मौत की ओर. ये बातें कोई कहानी नहीं हमारे सोसाइटी की तल्ख हकीकत है. इसी हकीकत पर से परदा उठाया है आई नेक्स्ट के साथ जर्मन रेमिडीज व सिप्ला रेस्पेरेटरी ने और शुक्रवार को वल्र्ड नो टोबैको डे के अवसर पर नापी शहर के लोगों की सांस. कई इलाकों में लगाया मोबाइल पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कैंप और जांची लोगों के फेफड़ों की ताकत. वैन के पहिये जिधर भी गये हर जगह स्मोकिंग करने वालों के फेफड़ों की ताकत कम मिली.


सिगरेट के धुएं में गुम हो रही जिंदगी


हमारे मोबाइल कैंप की शुरुआत आईएमए बिल्डिंग लहुराबीर से हुई। इसके बाद मोबाइल कैंप का पहिया शहर के सात जगहों पर घूमा। अंतिम पड़ाव पंजाब नेशनल बैंक का कैंटोन्मेंट स्थित सर्किल ऑफिस था। हर पड़ाव पर लोगों ने बड़ी संख्या में अपने फेफड़ों की जांच करायी। इनमें कम उम्र वाले भी थे और उम्र दराज भी थे। कैंप में अपने फेफड़ों की जांच कराने पहुंची लोगों की भीड़ ने एक चीज साफ कर दी कि लोगों में अपने हेल्थ के प्रति अवेयरनेस है। इनमें स्मोकर्स भी थे और नॉन स्मोकर्स भी। नॉन स्मोकर्स के फेफड़ों की हालत नॉर्मल थी या फिर कुछ में माइल्ड रिसट्रिक्टशन सामने आया। लेकिन जो स्मोकर्स थे उनके फेफड़ों की हालत तो बहुत खराब मिली। अधिकतर में सीवियर रिसट्रिक्टशन देखने में आया। चिंताजनक यह रहा कि ऐसे लोगों की एज 20 से 40 साल के बीच थी।

जांचा ही नहीं, समझाया भी

कैंप में पब्लिक के फेफड़ों की जांच के दौरान टोबैको से होने वाली बीमारियों की भी जानकारी दी जा रही थी। मोबाइल कैंप में बतौर एक्सपर्ट लाल बहादुर शास्त्री गवर्नमेंट हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉ। राबिन दूबे व सीनियर चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। बीरेन्द्र कुमार सिंह उपस्थित थे। उन्होंने कैंप में आने वाले हर व्यक्ति को सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, गुटखा आदि के चलते होने वाली डिजीजेज के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि अगर वे खुशहाल लाइफ जीना चाहते हैं तो उन्हें टोबैको से परहेज रखना होगा। कैंप में आने वाले हर स्मोकर को सिगरेट छोडऩे के तरीके भी बताये। कुछ ने तो सिगरेट छोडऩे का संकल्प भी लिया।  एक फूंक और सामने थी हकीकत फेफड़े की ताकत नापने का टेस्ट बहुत ईजी था। टेस्ट में समय भी एक मिनट से भी कम लग रहा था। मोबाइल वैन पर उपस्थित एक्सपट्र्स  स्पेसिफिक डिवाइज पीक फ्लो मीटर और स्पायरोमीटर से लोगों के फेफड़ों की जांच कर रहे थे। इस मशीन में बस एक फूंक मारना होता था। स्पायरोमीटर से उन लोगों का टेस्ट किया जाता है जो स्मोकर्स हैैं। वहीं पीक फ्लो मीटर से नॉर्मल लोगों के फेफड़ों की जांच की जाती है।500 लोगों के फेफड़ों की हुई जांच
आई नेक्स्ट के मोबाइल पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट कैंप में 500 लोगों के फेफड़ों की जांच की गयी। इनमें से 60 परसेंट लोगे ऐसे थे जो स्मोकिंग करते थे। इनके फेफड़ों में सीवियर रिसट्रिक्टशन सामने आया। इसके अलावा तकरीबन पांच परसेंट संख्या ऐसे लोगों की थी जो पहले स्मोकिंग करते थे लेकिन फिलहाल वे इससे तौबा कर चुके थे। उनके फेफड़ों में माइल्ड रिसट्रिक्टशन की बात सामने आयी। वहीं 35 परसेंट जो नॉन स्मोकर्स थे उनके फेफड़ों की ताकत नॉर्मल मिली। कुछ लोगों में कुछ कमी थी जो दूसरे कारणों से रही। यहां पर लगे camp -आईएमए बिल्डिंग, लहुराबीर -लंका क्रॉसिंग -अरिहंत कॉम्प्लेक्स, सिगरा -विनय कुंज अपार्टमेंट, सिगरा -डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर, वाराणसी -पंजाब नेशनल बैंक, सर्किल ऑफिस कैंटइनका रहा साथ -डॉ। आलोक भारद्वाज, आईएमए सेक्रेटरी-डॉ। राबिन दूबे, सीनियर कंसल्टेंट -डॉ। बीरेन्द्र कुमार सिंह, चेस्ट स्पेशलिस्ट -विवेक झा, जीएम पीएनबी -वीके गर्ग, एजीएम पीएबी-एके रस्तोगी, चीफ मैनेजर पीएनबी-एससी श्रीवास्तव, मार्केटिंग मैनेजर पीएनबी -अंकुर कुमार सिंह, जर्मन रेमिडीज -अखिलेश श्रीवास्तव, टेरेटरी मैनेजर सिप्ला-गौरव मिश्रा, सिप्ला -दीपक बहल, विनय कुंज अपार्टमेंट

Posted By: Inextlive