'24' का वादा, हकीकत में आधा
-शहर को बिजली कटौती से मुक्त करने के वादे सिर्फ कागजों तक
-लोगों को 24 घंटे के बजाय सिर्फ 12 से 16 घंटे ही मिल रही लाइट VARANASI शहर को बिजली कटौती से मुक्त करने के वादे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गये हैं। हकीकत में लोगों को ख्ब् घंटे के बजाय सिर्फ क्ख् से क्म् घंटे ही बिजली मिल रही है। इस बीच अगर लोकल फाल्ट या ब्रेक डाउन हुआ तो कंज्यूमर्स को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। वहीं दूसरी ओर जिम्मेदार विभाग इसके पीछे विकास कार्यो का हवाला देकर खुद को सेफ करने में जुटा हुआ है। अब न जाने कटौती मुक्त शहर की आस लगाये काशी वासियों को कब राहत मिलेगी। रुला रही अघोषित कटौतीजी हां, शहर में चल रहे विकास कार्य और आईपीडीएस के तहत अंडर ग्राउंड केबल बिछाने के वर्क के नाम पर डिपार्टमेंट की ओर से संबंधित एरिया में दो से चार घंटे की कटौती की जा रही है। अगले दिन इन इलाकों में निर्धारित अवधि में शट डाउन कर दिया जा रहा है। समस्या तब शुरू होती है, जब टाइम पीरियड बीतने के बाद भी बिना किसी वजह के पब्लिक को डेढ़ से दो घंटे की और कटौती झेलनी पड़ती है।
चौपट हो रहे धंधेबिजली पर निर्भर उद्योग और धंधों को अनियमित कटौती के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है। इससे उबरने के लिए जो सक्षम हैं उन्होंने वैकल्पिक तौर पर जेनरेटर लगा लिया। लेकिन जो सक्षम नहीं हैं उनके सामने रोजगार चौपट होने का संकट गहराने लगा है। अब सवाल यह उठता है कि एमडी लेवल के बनारस रीजन में पावर कॉरपोरेशन की सप्लाई कैसे फेल हो रही है?
हाईलाइटर -बिजली पर आश्रित उद्योग पर संकट -कटौती से प्रभावित हो रहा वॉटर सप्लाई - काम नहीं आ रहा इनवर्टर - जवाब दे जा रही मोबाइल की बैटरी - बिजली की आवाजाही से खराब हो रहे उपकरण - कटौती से बिगड़ा वर्किंग शेड्यूल - हॉस्पिटल्स में भी दिख रहा असर - बुनकरों के सामने चुनौती - रेगुलर बिजली न मिलने से नेटवर्क फाल्ट - हाउस वाइफ भी हैं परेशान पब्लिक वर्जन रेगुलर बिजली न मिलने से उद्योग और धंधों पर असर पड़ रहा है। माल समय से तैयार करने के लिए मशीन का चलना जरूरी है। प्रतीक गुप्ता, व्यापारी कई बार बिजली के इंतजार में बिना काम किये ही घर लौटना पड़ता है। इसके कारण कई दिनों तक माल तैयार नहीं हो पाता। एजाज अहमद, बुनकरअगर सुबह बिजली चली जाती है तो पूरा दिन बरबाद हो जाता है। क्योंकि लाइट न होने से पानी की सप्लाई भी ठप हो जाती है।
अमन श्रीवास्तव, व्यापारी जब लोगों को बिजली की ज्यादा जरूरत होती है, तो उस समय कटौती नहीं करनी चाहिए। इस वजह से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो जाती है। मुकेश मिश्रा, अधिवक्ता आफिसियल वर्जन पब्लिक को ख्ब् घंटे बिजली मिले, इसलिए सेफ्टी रीजन से शट डाउन किया जा रहा है। वहीं ब्रेक डाउन और लोकल फाल्ट एक्स्ट्रा कटौती की वजह बनती है। एके श्रीवास्तव, चीफ इंजीनियर, पावर कॉरपोरेशन