ALLAHABAD: मंगलवार को शहर में विभिन्न रामलीलाओं का मंचन हुए। इस दौरान कई भावपूर्ण दृश्य प्रस्तुत किए गए।

पथरचट्टी : मंचन स्थल पर अयोध्या का राज दरबार शोक में डूबा हुआ था। गुरु वशिष्ठ भरत को अयोध्या के राज सिंहासन पर बैठाकर राज संचालन का प्रस्ताव देते हैं। भरत ने इसका खुद विरोध कर दिया। कहा कि अयोध्या का राज्य तो राम का है वहीं राजा हैं। इसके बाद वह पूरी सेना लेकर राम को मनाने के लिए वन को जाते है। लेकिन चित्रकूट में भरत का सारा प्रयास विफल हो जाता है तब वह राम की खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौट आते हैं। वन में ही सूर्पनखा प्रसंग व खर दूषण वध का रोचक प्रसंग देखकर दर्शकों ने खूब तालियां बजाई।

पजावा : लाइट एंड साउंड सिस्टम के जरिए अतरसुईया स्थित मैदान में सीता हरण से जटायु वध और सबरी मिलन की लीला का मंचन किया गया। जब लंकापति रावण आकाश मार्ग से सीता को उठाकर अपने रथ में बैठाना और सीता का विलाप 'मेरे स्वामी कहां हो कहां' जैसे दृश्य पर दर्शक गुस्सा उठे। विलाप सुनकर जटायु पहुंचते हैं लेकिन रावण को मार डालता है।

कटरा : राम वाटिका स्थित मंचन स्थल पर भगवान राम को वनवास जाने पर भरत ने उन्हें अयोध्या वापस लाने का संकल्प लेते हैं। भरत सेना के साथ चित्रकूट को रवाना हो जाते हैं। वन में राम से मिलते हैं लेकिन पिता की आज्ञा का पालन करने का वचन देते हैं उसके बाद भरत राम की खड़ाऊं लेकर लौट जाते हैं। पंचवटी में सूर्पणखा प्रसंग का मंचन देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो उठते हैं।

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दारागंज में मां काली का जयकारा

ALLAHABAD: श्री दारागंज रामलीला कमेटी की ओर से तीन दिवसीय मां काली प्राकट्य उत्सव के अंतिम दिन मां के जयकारे से पूरा दारागंज क्षेत्र गूंज उठा। भगवान वेणीमाधव मंदिर के सामने पं। ध्रुव नारायण शुक्ला के आवास पर कमेटी के पदाधिकारियों ने मां काली का विधि विधान से पूजन-अर्चन किया और उनकी आरती उतारी गई। उसके बाद मां काली ने रौद्र रूप दिखाया। एक हाथ में भुजाली और दूसरे में खप्पर लेकन निकली मां काली को देखते ही लोग जय मां काली, जय मां काली का जयकारा लगाने लगे। जगह-जगह मां काली का पैतरा देखने के लिए देर रात तक सड़क पर लोगों की भारी भीड़ जुटी रही।

Posted By: Inextlive