Varuthini Ekadashi 2020 : हिंदू कैलेंडर के अनुसार वैसाख माह के शुक्लपक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने पर सभी पापों व कष्टों से मुक्ति मिलती है। विधि- विधान से पूजन करने पर ये फलदायी होती है।

Varuthini Ekadashi 2020 : वरुथिनी एकदाशी इस वर्ष 18 अप्रैल के दिन पड़ ही है परंतु इसका पारण अगले दिन द्वदशी तिथि में 19 अप्रैल को प्रात: काल किया जाएगा। इस व्रत को करने से पुणय व सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा विधि- विधान से पूजन करने पर पापों से मुक्ति मिलती है। इस एकादशी का उत्तर भारत में अधिक महत्व है। इस व्रत की तैयारी एकादशी से एक दिन पहले ही शुरु हो जाती है। चलिए जानते हैं किस विधि पूजा करने से मिलेगा उत्तम फल।

पूजन का विधि- विधान

पंडित गणेश मित्रा के अनुसार वरुथिनी एकादशी में एकादशी के एक दिन पहले यानि कि 17 अप्रैल से ही तैयारी शुरु कर दी जाएगी। इस दिन व्रत की सामग्रियों को एकत्रित कर रख लें जिनका उपयोग 18 अप्रैल को होना है। फिर एकादशी के दिन 18 अप्रैल को प्रात: काल स्नान कर भगवान विष्णु का पूजन करें। साथ ही अपने व्रत का संकल्प भी लें। पूरे दिन व्रत रखें। यदि भूख लगी हो तो सिर्फ एक समय पर ही कुछ खा कर पानी पी लें। तत्पश्चात अगले दिन यानि कि द्वादशी तिथि में 19 अप्रैल को अपने व्रत का पारण करें। व्रती पारण सोर्योदय के साथ ही भगवान विष्णु के पूजन के साथ करें।

हरि वासर में न करें पारण

इस व्रत का पारण यदि कोई व्रती प्रात: काल नहीं कर पाया है तो उसे दोपहर के समय कर लेना चाहिए। मान्यताओं के मुताबिक कि हरि वासर की अवधि में पारण न करें अन्य्था व्रत का फल नहीं पाप मिलता है। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि को कहा जाता है। कभी- कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है जैसे कि इस बार। ऐसे में पहले दिन मनाई जाने वाली एकादशी परिवार वालों के लिए या कह लें गृहस्थों के लिए होती है। दूसरे दिन वाली एकादशी सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं के लिए होती है। दो दिन पड़ने वाली एकदाशी दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं। भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनके भक्त दोनों दिन एकादशी व्रत रख सकते हैं।

Posted By: Vandana Sharma