क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ:चैत्र नवरात्र 6 अप्रैल से शुरू होने वाला है, जो 14 अप्रैल तक चलेगा. इस दौरान नौ दिनों तक माता के नौ रूपों की पूजा की जाएगी. जहां कलश स्थापना के साथ ही मां की आराधना शुरू हो जाएगी. आचार्य प्रणव मिश्रा, आचार्यकुलम, अरगोड़ा के अनुसार, सूर्योदय के समय मेष लग्न 6 बजकर 12 मिनट से 7 बजकर 49 मिनट तक और अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 35 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक कलश स्थापना समेत ध्वजारोहण और वर्षपति पूजा का समय है. उदयकाल में रेवती नक्षत्र हो तो योग साधना व सिद्धि में पांच गुणा अधिक फल प्राप्त होता है. रेवती नक्षत्र पंचक का पांचवां नक्षत्र है. उदय काल में होने से तंत्र साधना के लिए बहुत ही ज्यादा महत्व हो जाता है.

5 बार सवार्थसिद्ध योग

इस पूरे नवरात्र में 5 बार सवार्थसिद्ध योग और दो बार रवियोग आएगा. वहीं, इस बीच गुरुपुष्य नक्षत्र योग भी है. नवरात्र वह समय है, जब दोनों ऋतुओं का मिलन होता है. इस संधि काल में ब्रह्मांड से असीम शक्तियां ऊर्जा के रूप में हम तक पहुंचती हैं. आचार्य के अनुसार, वर्ष में चार नवरात्र होते है. चैत्र नवरात्र गर्मी के मौसम की शुरुआत में होता है और प्रकृति एक प्रमुख जलवायु परिवर्तन से गुजरती है.

चैत्र नवरात्रि के अनुष्ठान

नौ दिनों का उपवास रखेंगे. इस दौरान देवी की पूजा और नवरात्रि मंत्रों का जप करते हुए भक्त बिताएंगे. वहीं पूजा के दौरान देसी घी का दीपक जलाएं जो आपके घर की नकारात्मक ऊर्जा को कम करने में मदद करेगा. घर में जौ की बुआई को लेकर ऐसी मान्यता है कि जौ इस सृष्टि की पहली फसल थी इसीलिए इसे हवन में भी चढ़ाया जाता है. दुर्गा सप्तशती शांति, समृद्धि, धन और शांति का प्रतीक है. वहीं कन्या पूजन का अलग महत्व है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है.

Posted By: Prabhat Gopal Jha