यदि आपके पास पर्याप्त जगह है तो अन्न के भंडारण और अन्य वस्तुओं के संचय के लिए अलग-अलग कक्ष बनाएं पर अगर जगह का अभाव है तो एक ही कक्ष से दोनों उपयोग लिए जा सकते हैं। यहां भंडार गृह संबंधी प्रमुख वास्तु सुझाव दिए जा रहे हैं:

भवन निर्माण में भंडार गृह या भंडारण कक्ष (स्टोर रूम) मुख्य योजना का एक अहम हिस्सा होता है। भंडार गृह बनाने के पीछे दो प्रमुख उद्देश्य हैं कि वर्षभर के लिए अन्न का भंडारण किया जा सके और जरूरी वस्तुओं का संचय हो सके। यदि आपके पास पर्याप्त जगह है, तो अन्न के भंडारण और अन्य वस्तुओं के संचय के लिए अलग-अलग कक्ष बनाएं पर अगर जगह का अभाव है, तो एक ही कक्ष से दोनों उपयोग लिए जा सकते हैं। यहां भंडार गृह संबंधी प्रमुख वास्तु सुझाव दिए जा रहे हैं:

1. अन्नादि के भंडार कक्ष का द्वार नैऋत्य कोण (दक्षिण-पश्चिम) में होना चाहिए।

2. अगर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में अन्न कक्ष बनाया जाता है तो अन्न की कभी कमी नहीं होती।

3. अन्न का वार्षिक संग्रहण दक्षिणी या पश्चिमी दीवार के पास करना चाहिए।

4. अन्न कक्ष में डिब्बे या कनस्तर को खाली न रहने दें। अगर कोई डिब्बा खाली हो रहा हो, तो उसमें कुछ मात्रा में अन्न बचा दें। यह समृद्धि के लिए जरूरी माना जाता है।

5. अन्न भंडार कक्ष में घी, तेल, मिट्टी का तेल एवं गैस सिलेंडर आदि को आग्नेय कोण (दक्षिण-पूर्व) में रखना चाहिए।

6. अन्न के भंडार कक्ष में ईशान कोण (उत्तर पूर्व) में शुद्ध और पवित्र जल से भरा हुआ मिट्टी का एक पात्र रखना चाहिए। यह ख्याल रखें कि पात्र खाली न हो।

7. अन्न कक्ष में अगर विष्णु और लक्ष्मी का चित्र हो तो उससे समृद्धि प्राप्त होती है।

8. रोज उपयोग में आने वाले खाद्यान्न को कक्ष के उत्तर-पश्चिमी भाग में रखें। पूर्व दिशा में अगर भंडार गृह हो तो घर के मुखिया को आजीविका के लिए ज्यादा यात्रा करनी पड़ती है। वह अक्सर घर से बाहर ही रहता है।

9. आग्नेय कोण में अगर भंडार कक्ष का निर्माण किया जाए, तो मुखिया की आमदनी हमेशा कम ही पड़ती है।

10. दक्षिण दिशा में भंडार कक्ष बनाने पर घर के सदस्यों के बीच आपसी मतभेद हो सकते हैं। इससे घर में अशांति रहती है।

 

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Posted By: Kartikeya Tiwari