वास्तु अनुसार शयन कक्ष कष्टों को करता है दूर, जानें आपके लिए क्या है उपयोगी
शयनकक्ष के वास्तु का हमारी शांति और सुकून से गहरा संबंध है। शयनकक्ष ही वह जगह है, जो हमें आपधापी के बाद शांति और आराम देती है। वास्तु सम्मत शयनकक्ष हमारे कष्टों को दूर करता है और हमारे जीवन में प्रसन्नता लाता है। शयनकक्ष से जुड़े कुछ सुझावों पर ध्यान देकर आप उस कक्ष को अपने लिए लाभकारी बना सकते हैं:
1. पलंग शयनकक्ष के द्वार के पास नहीं होना चाहिए। इससे चित्त में व्याकुलता और अशांति बनी रहेगी।2. शयनकक्ष का द्वार एक पल्ले का होना चाहिए।3. विद्यार्थियों के लिए पश्चिम दिशा में सिरहाना उपयुक्त होता है।5. बच्चों, अविवाहितों अथवा मेहमानों के लिए पूर्व दिशा में शयनकक्ष होना चाहिए, परंतु इस कक्ष में नवविवाहित जोड़े को नहीं ठहरना चाहिए।
6. अगर गृहस्वामी को अपने कार्य के सिलसिले में अक्सर टूर पर रहना पड़ता हो तो शयनकक्ष वायव्य कोण में बनाना श्रेयस्कर होगा।7. शयनकक्ष में बेड इस तरह हो कि उस पर सोते हुए सिर पश्चिम या दक्षिण दिशा की ओर रहे। इस तरह सोने से प्रात: उठने पर मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होगा। पूर्व दिशा सूर्योदय की दिशा है, यह जीवनदाता और शुभ है।