- बारिश ने पहले फसलों को किया बर्बाद, अब बिगाड़ रही घर का बजट

- दूध, दालें और हरी सब्जियों ने आंखें दिखाना किया शुरू

BAREILLY:

किसानों की फसलों को बर्बाद करने के बाद बारिश का असर आम आदमी के घर तक पहुंच गया है. पहले बारिश और फिर पछुआ हवाओं ने सब्जियों के साथ ही दालों के रेट को आसमान में पहुंचा दिया है. आलम यह है कि पब्लिक की आम थाली ही जल्द ही स्पेशल थाली की रेट तक पहुंचने को बेताब नजर आ रही है. चिंता की बात यह है कि जानकार बता रहे हैं कि महंगाई का जो ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ है यह गर्मी बढ़ने के साथ ही और तेजी से बढ़ना शुरू होगा.

मौसम अब भी नहीं दे रहा साथ

दरअसल, बारिश ने फसलों को लगभग पूरी तरह से बर्बाद कर चुकी है. अब, पछुआ हवाएं सब्जियों की फसल को भी बर्बाद करने पर तुली हुई है. जिला कृषि अधिकारी डॉक्टर राम तेज यादव ने बताया कि पछुआ हवाओं ने सब्जी की खेती पर सीधा असर डाल रही है. उन्होंने बताया कि करीब क्भ् से ख्0 प्रतिशत तक खेती पर इसका असर हो रहा है.

दालें भी महंगाई की ओर

अरहर, मटर, चना, उरद, मसूर की दालें भी महंगाई को ओर अपना कदम बड़ा चुकी है. पिछले दस ही दिन में इनके भाव में ख्0 रुपए प्रति केजी तक का इजाफा हो गया है. व्यापारियों की मानें तो, जून-जुलाई तक प्राइस में और इजाफा होगा. बरेली मसूर की दाल का सबसे अधिक उत्पादन होता है. फिर भी फसलों को नुकसान होने के कारण लोग महंगाई की मार झेलने के लिए मजबूर हैं.

तो बाहर से लानी होगी सब्जियां

डेलापीर मंडी में हरी सब्जियों को बाहर से मंगाने वालों की संख्या क्80 है. लोकल की अपेक्षा मैक्सिमम हरी सब्जियां पंजाब, चंडीगढ़, आगरा, मथुरा, कोलकाता, रायपुर जैसे जगहों से ही मंगाई जाती है. लोकल सब्जियां अभी बहुत कम आ रही है. गर्मी के दिनों में सब्जियों का उत्पादन नाममात्र रह जाता है. बाहर से सब्जियां मंगाने पर ट्रांसपोर्ट खर्च बढ़ जाता है. जिसका सीधा असर सब्जियों के दामों में पड़ेगा. रिटेल मार्केट में सब्जियों के दाम अभी से ही रफ्तार पकड़ चुके हैं. आलू और प्याज के दाम फिर आसमान छूने लगे हैं.

चारा की कमी ने बढ़ाए दूध के भाव

बारिश से गेहूं की काफी फसल बर्बाद हुई है. इस वजह से पशुओं को चारा की कमी हो गई है. किसानों को बाहर से चारा खरीदना पड़ रहा है. ऐसे में किसान दूधिए को महंगें दाम में दूध बेच रहे हैं. जोकि, दूधिए के माध्यम ये शहरवासियों तक पहुंचते-पहुंचते और महंगा हो जा रहा है. इसके पीछे एक सबसे बड़ा रीजन यह भी है कि, बरेली महानगर में दूध की डिमांड उत्पादन की अपेक्षा कहीं अधिक है. शहर में रोजाना 90 हजार लीटर दूध की डिमांड है. लेकिन वर्तमान समय में डेयरी और गांव से आने वाली सप्लाई को मिलाकर रोजाना 70 हजार लीटर दूध का ही उत्पादन हो पाता है.

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पहले बारिश अब गर्मी करेगी आम थाली को 'स्पेशल'

जानकारों ने बताया कि बारिश से सिटी में हरी सब्जियों की भ्क् परसेंट से अधिक फसल बर्बाद हुई थी. अब पछुआ हवाओं व गर्मी ने अपना कहर बरपाना शुरू कर दिया है. ये हवाएं खेतों की नमी को खत्म कर देती है. साथ ही सब्जियों को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक कीड़े भी सूर्य की तपिश से बचने के लिए सब्जियों की पत्ती, फूल व पत्ती में छुप जाते हैं. जो भी सीधे नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में आम थाली की कास्ट स्पेशल थाली के रेट तक पहुंच चुकी है.

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सब्जियों के नाम - रेट पहले - अब

लौकी - क्0-क्ख् - क्ख्-क्ब्

करैला - ख्भ्-फ्0 - फ्0-ब्0

भिंडी - ख्भ् - फ्0

टमाटर - फ्0 - ब्0

हरी मिर्च - फ्भ् - ब्0

अदरक - 7भ् - 80

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दालें - अप्रैल - मई

अरहर - 70-7भ् - 7भ्-80

उड़द - 7ख्-7भ् - 8फ्-8भ्

मसूर - म्भ्-70 - 7भ्-80

चना - भ्0 - म्0

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दूध के भाव रुपए प्रति लीटर

अप्रैल - मई - जून-जुलाई

ब्भ् - भ्0 - भ्भ्-म्0 होने की उम्मीद

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नोट- सब्जियों के रिटेल प्राइस में दिन व दुकान के हिसाब से अंतर हो सकता है.

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हवा तेज चलने से सब्जियों के फूल गिर जाते हैं. खेतों में नमी जल्दी गायब हो जाती है, जिसके चलते सिंचाई अधिक करनी पड़ती है.

डॉ. राम तेज यादव, जिला कृषि अधिकारी

चारा का असर दूध के भाव पर भी पड़ रहा है. दूध का उत्पादन कम होना भी दूध के भाव बढ़ने का सबसे बड़ा रीजन है. बरेली महानगर में 90 हजार लीटर दूध रोजाना की जरूरत है.

लल्लू यादव, जिला अध्यक्ष, दुग्ध संघ

लोकल और बाहर दोनों जगहों से हरी सब्जियां आ रही है. पिछले दिनों की अपेक्षा इस समय कुछ हरी सब्जियों के दाम में बढ़ोतरी हुई है.

सुनील, रिटेलर

महंगाई कि अब तो आदत सी बन गयी है. हरी सब्जियों के प्राइस कम हो या अधिक खरीदकर खाने ही पड़ेंगे, क्योंकि हरी सब्जियां लोगों की जरूरतों में शुमार है.

सोनाली कैंट, हाउस वाइफ

Posted By: Radhika Lala