-चोरी कर लाई गई गाडि़यों के कागजात बनाने व चेचिस नंबर बदलने का किया करता था काम

-जिन गाडि़यों के कागजात आसानी से नहीं होते थे तैयार, उन्हें काट देता था या पार्ट निकाल कर बेचता था

PRAYAGRAJ: चोरी की गाडि़यों के फर्जी दस्तावेज तैयार कराने से लेकर बेचने तक का काम कीडगंज क्षेत्र का कबाड़ी किया करता था। जिन गाडि़यों के कागजात नहीं तैयार हो पाते थे, उसके एक-एक पार्ट को खोलकर बेच देता था। यहां तक कि चुराए गए वाहनों के चेचिस नंबर तक बदलने में उसे महारत हासिल थी।

इस पूरे खेल का खुलासा उस वक्त हुआ जब गैंग के सरगना सहित तीन गुर्गो को पुलिस ने गिरफ्तार किया। इनके कबूलनामे के आधार पर छापेमारी कर कबाड़ी को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने चोरी की आधा दर्जन चार पहिया गाडि़यों को बरामद किया है।

एसएसपी ने किया खुलासा

पुलिस लाइंस में एसएसपी ने मामले का खुलासा किया। बताया कि घूरपुर इंस्पेक्टर/ स्वाट टीम प्रभारी को गैंग की सटीक सूचना मिली थी। इसी के आधार पर टीम गैंग की फिराक में जुट गई। टीक को गैंग की लोकेशन कंजासा गांव के पास बाजार में मिली। टीम उन पर नजर गड़ाकर पीछा करने लगी। भीटा के पास तेज रफ्तार में आ रही तीन गाडि़यों को टीम ने रोक लिया। गाड़ी में मौजूद सैय्यद जीशान हैदर पुत्र स्व। कौशर हुसैन निवासी जेके आशियाना करेली, सलमान हैदर पुत्र जमीर आसिफ निवासी मवैया सादात सरायममरेज व मो। अख्तर पुत्र जलील अहमद निवासी वार्ड नंबर दस हंडिया सवार थे। पूछताछ में तीनों ने बताया कि गाडि़यां चोरी की हैं। कड़ाई से पूछताछ की गई तो पुलिस को पता चला कि तीनों गाड़ी चोरी का गैंग चलाते हैं। गैंग का सरगना सैय्यद जीशान हैदर है। तीनों ने बताया कि वे चुराई गई गाडि़यों को लेकर कबाड़ी का काम करने वाले कीडगंज के कृष्णानगर निवासी मुकेश केसरवानी पुत्र स्व। त्रिलोकचंद्र के पास जा रहे थे। वह चोरी की गाडि़यों का कागज तैयार कराने से लेकर चेचिस नंबर तक बदल देता था। इसके बाद इन गाडि़यों को महंगे दामों में बेच कर जो पैसे मिलते थे उसमें बंटवारा होता था। बताया कि जिन गाडि़यों के कागजात नहीं बन पाते थे या ज्यादा पुरानी होती थीं, उनके पार्ट को निकाल कर वह अपनी कबाड़ी की दुकान से बेचा करता था।

इस तरह चेंज करता था चेचिस नंबर

-कबाड़ी मुकेश केसरवानी ने पुलिस को बताया कि वह काफी चालाकी से गाडि़यों के कागजात तैयार करता था।

-चोरी कर तीनों के द्वारा लाई गई पुरानी गाडि़यों को वह कटवा देता था और उसके चेचिस नंबर एवं कागजात रख लेता था।

-जब नई गाडि़यां चुरा कर तीनों लाते थे उसके चेचिस नंबर पर कटवाई गई पुरानी गाडि़यों के चेचिस नंबर को हिकमत से लिखवा देता था।

-गाडि़यों के कागजात रहते ही थे, इस तरह कागज को लेकर बहुत मेहनत नहीं करनी पड़ती थी।

-कागज में चेचिस नंबर सही होते थे, लिहाजा चेकिंग में गाडि़यां पकड़ी नहीं जाती थीं।

-चुराई गई जिन नई गाडि़यों के कागजात मिलते थे उसे वह नष्ट कर देता था।

Posted By: Inextlive