दिल्ली के सदर बाज़ार के सैकड़ों दुकानों और ख़रीदारों के बीच एक रेहड़ी खड़ी है जिसके मालिक है राजकुमार तिवारी।


बाइस साल के राजकुमार सदर बाज़ार में कान के नकली बूंदे बेचते हैं।यही राजकुमार 2013 में दक्षिण कोरिया में हुए स्पेशल ओलम्पिक वर्ल्ड विंटर गेम्स की आइस स्केटिंग प्रतियोगिता में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीत चुके हैं।छूट रही हैं प्रतियोगिताएंराजकुमार कहते हैं, "पैसे ना होने की वजह से मेरी कई प्रतियोगिताएं छूट जाती हैं। कई बार ऐसा भी हुआ है कि मेरा सेलेक्शन हो जाता है लेकिन जाने के लिए पैसे की व्यवस्था नहीं हो पाती।""मेरे साथ के खिलाड़ी स्केटिंग काफी समय पहले छोड़ चुके हैं। लेकिन मैंने किसी तरह अपने जुनून को बरकरार रखा है. मेरा लक्ष्य 2018 के विंटर ओलम्पिक खेल हैं।"2013 स्पेशल ओलम्पिक्स में गोल्ड और सिल्वर के अलावा राजकुमार 2014 में गुड़गांव में हुई आईस स्केटिंग चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीत चुके हैं।कोच की कमी
2013 में जब राजकुमार स्पेशल ओलम्पिक्स में गोल्ड और सिल्वर मेडल जीतकर आए थे तो ईनाम के तौर पर उन्हें कुल 21 हज़ार रूपये मिले थे।उनकी फ़ेडरेशन की तरफ से किसी प्रकार की प्रोत्साहन राशि नहीं दी गई।


स्पेशल ओलम्पिक भारत की राष्ट्रीय अध्यक्ष मुक्ता नरायन थिंड से बीबीसी ने राजकुमार के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने कहा, "हम राजकुमार की समस्या से वाक़िफ़ हैं। वो कई मेडल जीत चुके हैं। वर्ल्ड गेम्स में हम सभी बच्चों की मदद के लिए कदम उठाते हैं।"उनके मुताबिक़, "राजकुमार की ट्रेनिंग में काफ़ी ख़र्च होता है। हम सभी पहलुओं पर गौर कर रहे हैं। राजकुमार के लिए जितनी मदद संभव है, उसे मिलेगी।"राजकुमार स्केटिंग के अलावा हैंडबॉल और फुटबॉल जैसे खेलों में भी कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीत चुके हैं।

Posted By: Satyendra Kumar Singh